कामी क्रोधी लालची इतने भक्ति न होय मीनिंग
कामी क्रोधी लालची, इतने भक्ति न होय |
भक्ति करे कोई सुरमा, जाति बरन कुल खोय ||
Kami Krodhi Lalchi Itane Bhakti Na Hoy,
Bhakti Kare Koi Surama Jati Baran Kul Khoy.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ)
कबीर साहेब सन्देश देते हैं की भक्ति करने में क्या बाधक हैं। बाधाओं को चिन्हित करते हुए कबीर साहेब कहते हैं की
कामी, क्रोधी और लालची व्यक्ति जो विषय विकारों से ग्रस्त हैं, उनसे भक्ति नहीं हो सकती हैं। कामी क्रोधी और लालची व्यक्ति भक्ति नहीं कर सकते हैं। जो कोई भी व्यक्ति अपने कुल और जाती की परवाह ना करते हुए वह एक तरह से सुरमा होता है और वही भक्ति कर सकता है।
अतः कबीर साहेब की वाणी है की यदि साधक को भक्ति मार्ग पर चलना है तो लालच, काम और क्रोध से मुक्त होना पड़ेगा। क्योंकि इन विकारों के होते हुए कोई भक्ति नहीं कर सकता है। सच्चा सूरमा वही है जो अपनी जाती और कुल का अभिमान त्याग कर भक्ति करे। कामी, क्रोधी और लालची लोगो से भक्ति नहीं हो सकती | जाति, वर्ण और कुल का मद मिटाकर, भक्ति तो कोई शूरवीर करता है | कामी, क्रोधी और लालची लोगों से भक्ति नहीं हो सकती। कामी व्यक्ति सांसारिक सुखों में लिप्त रहता है, क्रोधी व्यक्ति दूसरों से द्वेष करता है, और लालची व्यक्ति हमेशा अधिक पाने की लालसा रखता है। ये सभी गुण भक्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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