सात समंद की मसि करौं लेखनि सब बनराइ मीनिंग Sat Samand Ki Masi Karo Meaning

सात समंद की मसि करौं लेखनि सब बनराइ मीनिंग Sat Samand Ki Masi Karo Meaning : Kabir Ke Dohe Ka Hindi Arth/Bhavarth

सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ।
धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ॥ 

Sat samand Ki Masi Karu, Lekhani Sab Banrai,
Dharati Sab Kagad Karo, Tau Hari Gun Likhya Na Jai.
 
सात समंद की मसि करौं लेखनि सब बनराइ मीनिंग Sat Samand Ki Masi Karo Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning

कबीर साहेब ने इस दोहे में स्पष्ट किया है की गुरु की महत्ता बहुत अधिक होती है। उसे शब्दों में व्यक्त कर पाना संभव नहीं हो पाता है। इसी क्रम में कबीर साहेब कहते हैं की सातों समंदर के पानी को स्याही बना ली जाय, सभी जंगलों के वृक्षों की लकड़ी को कलम बना ली जाय और धरती को कागज़ बना लिया जाय तो भी हरी गुण को लिख कर व्यक्त कर पाना संभव नहीं है। अतः इस दोहे में कबीर साहेब ने गुरु की महत्ता को स्थापित किया है। कबीर दास का यह दोहा परमात्मा के गुणों की महिमा का वर्णन करता है। वे कहते हैं कि परमात्मा के गुणों को लिखने के लिए सातों समुद्रों के जल से स्याही, सभी वन समूहों से लेखनी, और पूरी पृथ्वी को कागज बनाना भी पर्याप्त नहीं होगा। क्योंकि परमात्मा के गुण अनंत हैं।
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