लगा रहै सतज्ञान सो सबही बन्धन तोड़ हिंदी मीनिंग Laga Rahe Satgyan So Meaning

लगा रहै सतज्ञान सो सबही बन्धन तोड़ हिंदी मीनिंग Laga Rahe Satgyan So Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit

लगा रहै सतज्ञान सो सबही बन्धन तोड़ |
कहैं कबीर वा दास को, काल रहै हथजोड़ ||
 
Laga Rahe Satgyan So Sabahi Bandhan Tod,
Kahe Kabir Va Daas Ko, Kaal Rahe Hathjod.
 
लगा रहै सतज्ञान सो सबही बन्धन तोड़ हिंदी मीनिंग Laga Rahe Satgyan So Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब ने इस दोहे में सन्देश दिया है की ऐसा साधक/व्यक्ति जो गुरु के बताये मार्ग का अनुसरण करते हुए सत्यज्ञान की प्राप्ति में लगा रहता है, इस दोहे में कबीर साहेब कहते हैं कि जो व्यक्ति सदैव सत्य ज्ञान में लगा रहता है, समस्त सांसारिक बन्धनों को तोड़ के, वह व्यक्ति साधक अवश्य ही भक्ति के सर्वोच्च को प्राप्त करता है. कबीर साहेब ऐसे व्यक्ति के बारे में कहते हैं की वे ऐसे व्यक्ति के सामने तो काल भी हाथ जोड़कर खड़ा होता है. भाव है की ऐसा व्यक्ति जो सत्यज्ञान के विश्लेषण पर लगा रहता है, मोह और माया को छोड़कर हरी की भक्ति में लीन रहता है वह अवश्य ही समस्त बन्धनों से मुक्त हो जाता है. काल के हाथ जोड़कर खड़े रहने से आशय है की वह जीवन के जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है. वह सभी विषय-बंधनों को तोड़ देता है। वह सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है। ऐसे व्यक्ति के सामने काल भी हाथ जोड़कर सिर झुक जाता है, क्योंकि वह काल का भी भय दूर कर देता है, काल के बंधन से वह दूर हो जाता है।

दोहे का भावार्थ- "लगा रहै सतज्ञान सो सबही बन्धन तोड़" - जो व्यक्ति सदैव सत्य ज्ञान में लगा रहता है, वह सांसारिक मोह-माया से मुक्त हो जाता है। वह धन, पद, यश, भोग-विलास आदि सांसारिक विषयों के बंधनों से मुक्त हो जाता है। "कहैं कबीर वा दास को, काल रहै हथजोड़" - कबीर साहेब कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति के सामने काल भी हाथ जोड़कर सिर झुक जाता है। काल का अर्थ है मृत्यु। जो व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर लेता है, उसे मृत्यु का भय नहीं रहता। वह काल के बंधन से भी मुक्त हो जाता है। अतः यह दोहा कबीर साहेब ने भक्ति की सर्वोच्च स्थिति के बारे में चित्रण किया है.
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