गाज माता की कहानी पढ़ें पूरी कथा Gaaj Mata Ki Kahani Vrat Katha

गाज माता की कहानी पढ़ें पूरी कथा Gaaj Mata Ki Kahani Vrat Katha

एक नगर में राजा और रानी रहते थे। राजा को धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी। लेकिन राजा और रानी की कोई संतान नहीं थी। इसलिए राजा और रानी बहुत ही परेशान रहते थे। एक दिन राजा और रानी महल में सो रहे थे। उसी समय गाज माता बहुत जोर से गरजने लगी। तो रानी ने कहा हे गाज माता अगर मैं न्हायी अर्थात गर्भवती हो जाऊं तो मैं आपको हलवे का प्रसाद चढ़ाऊंगी।
 
गाज माता की कहानी पढ़ें पूरी कथा Gaaj Mata Ki Kahani Vrat Katha

कुछ समय पश्चात रानी गर्भवती हो गई। तो रानी ने कहा हे गाज माता अगर मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी तो मैं आपके प्रसाद में हलवा बनाऊंगी। कुछ समय पश्चात रानी के लड़का भी हो गया। लेकिन रानी ने गाज माता का प्रसाद नहीं किया और हलवा नहीं बनाया।

तो गाज माता ने सोचा की रानी मुझे भूल गई है। तो गाज माता गरजती हुई आई और लड़के को पालने के साथ उठा कर ले गई। गाज माता ने उस बच्चे को एक भील भीलनी के घर पर छोड़ दिया।

भील भीलनी बहुत ही गरीब थे और उनके बच्चे भी नहीं थे। भील और भीलनी उस समय जंगल में गए हुए थे। जब वो घर आए तब उन्होंने देखा की उनके घर में एक पालना रखा है तथा उसमें लड़का है। दोनों बहुत खुश हुए और बच्चे को खिलाने लगे। 

उसी नगर में एक धोबी रहता था। जो राजा तथा भील दोनों के कपड़े धोता था। जब राजा के बेटे को गाज माता पालने सहित उठाकर ले गई तब राजा ने कहलवाया था कि गाज माता मेरे बेटे को पालने सहित उठाकर ले गई है। अगर किसी भी व्यक्ति को मेरे बेटे का पता चले तो मुझे जरूर सूचित करें।

यह बात जब धोबी ने सुनी तो उसने कहा कि हे राजा एक लड़का पालने सहित भील के घर में भी सो रहा है। राजा ने भील को बुलाकर पूछा कि यह लड़का तुम्हारे यहां कैसे आया। तो भील ने कहा कि हे राजा हम गाज माता का व्रत करते हैं। तो गाज माता ने हीं हमें पुत्र प्रदान किया है। गाज माता ने ही हमें बच्चा दिया है।

तब रानी आई और कहा कि मैंने भी गाज माता का प्रसाद बोला था। मैंने दो कड़ाही प्रसाद की बोली थी। लेकिन मैंने प्रसाद नहीं बनवाया। लगता है तभी गाज माता ने मेरा पुत्र पालने सहित उठा लिया।

रानी ने गाज माता से विनती की और कहा हे गाज माता मुझे मेरा पुत्र वापस दे दें। मैंने जितना प्रसाद आपका बोला था उससे दो गुना ज्यादा प्रसाद बनवाऊंगी।

रानी ने गाज माता का उजमन किया। बहुत ही धूमधाम से गाज माता का प्रसाद बनाया। गाज माता ने रानी को उसका लड़का वापस दे दिया। भील के भी लड़का हो गया।

राजा ने पूरे नगर में कहलवा दिया की सभी व्यक्ति गाज माता का उजमन जरूर करवायें। हे गाज माता जैसा राजा रानी को पुत्र रत्न दिया, भील और भीलनी को पुत्र रत्न दिया वैसे ही सबको देना। कहानी कहने वालों को, कहानी सुनने वालों को और उनके परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाये रखना। हे गाज माता सब के घर में सुख, समृद्धि, संपन्नता तथा वंश वृद्धि का आशीर्वाद देना।

गाज माता का व्रत कब किया जाता है?

गाज माता का व्रत भाद्रपद माह में किसी भी शुभ दिन को किया जा सकता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को इस व्रत को करना अधिक शुभ माना जाता है।

गाज माता का व्रत क्यों किया जाता है?

महिलाएं इस व्रत को अपने पुत्र की सुख, शांति और समृद्धि की कामना के लिए करती हैं। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि गाज माता का व्रत करने से पुत्र के जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं तथा उसे सुख, समृद्धि और संपन्नता का आशीर्वाद मिलता है।
 

गाज माता का व्रत कब रखा जाता है जिस रोज कथा सुनी जाती है ?

गाज माता का व्रत भाद्रपद शुक्ल द्वितीया को रखा जाता है और इसी रोज पूजन भी होता है। उल्लेखनीय है की इस रोज पक्की रसोई नहीं बनाई जाती है इसके स्थान पर कुल देवता की पूजा और कच्ची रसोई का विधान है। इस रोज कुल देवता को भोग लगाकर प्रसाद को एक ही कुलगोत्र के व्यक्तियों में बांटा जाता है।  

गाज माता की पूजा कैसे की जाती है ?

गाज माता की पूजा में सर्वप्रथम विद्यमान कुल देवता की पूजा की जाती है और इसके उपरान्त कुल देवता को भोग लगाया जाता है। इसका प्रसाद कुल के व्यक्तियों में बांटा जाता है। कुल देवता की पूजा सामान्य रूप से दोपहर के रोज की जाती है। पूजा के लिए घर की सबसे बड़ी बहु जिसके पुत्र हो चूका हो, के द्वारा दीवार पर गाज बीज का चित्र बनाया जाता है। चित्र में एक मेडी बनाकर उस पर लड़के को विराजमान किया जाता है। इसके अलावा एक लडके का चित्र पेड़ के नीचे बनाया जाता है। मेडी पर गाज का गिरना और पेड़ के द्वारा गाज से पुत्र की सुरक्षा करना इस चित्र का सांकेतिक अर्थ होता है, इस प्रकार से गाज बीज का पूजन पारम्परिक रूप से किया जाता है। 

गाज माता के व्रत का महत्त्व जानिये

गाज माता के व्रत का महत्त्व है की इस व्रत को करने और कहानी सुनने से कुल का  विकास होता है, कुल में सुख संपत्ति बढ़ती है। परिवाल और कुल में धन धान्य, अन्न, सुख संपत्ति आती है और महिलाओं को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। विद्वानों के अनुसार के अनुसार गाज माता का व्रत भाद्रपद माह के किसी भी शुभ दिन पर किया जाता है। गाज माता का व्रत भाद्रपद शुक्ला द्वितीया तिथि को करना शुभ माना जाता है।
 
व्रत की अन्य कहानियां यहाँ पढ़ें-
Previous Post
1 Comments
  • बेनामी
    बेनामी 9/18/2024

    Jay gaaj mata ki

Add Comment
comment url