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Teri Jata Mein Ganga Maiya, Chanda Mukut Pe Saja Raha।।
Gangori Jaisa Roop Hai Tero, Dam Dam Damru Baj Raha।।
Trishul Maine Tera Dekha, Ghunghrale Hain Baal।।
O Jai Jai Mahakal, Teri Jai Ho Bholenath।।
Gora Maiya Ghota Ghote, Shambhu Kash Lagte Hain।।
Bhole Jab Bhi Hote Magan, Nandi Havan Lagte Hain।।
Zahar Pyali Kanth Hai Bhola, Kalo Ka Hai Kaal।।
O Jai Jai Mahakal, Teri Jai Ho Bholenath।।
Kya Maangu Main Tumse Bhole, Tumne Sab Kuch Bakhsha Hai।।
Mere Hisse Ka Usko Dena, Dane-Dane Ko Jo Tarsa Hai।।
Dil Dayara Sir Neecha Rakhna, Karte Hain Ardaas।।
O Jai Jai Mahakal, Teri Jai Ho Bholenath।।
भजन महाकाल शिवजी की महिमा का गुणगान करता है। भगवान शिव के गंगा धारक स्वरूप, डमरू की ध्वनि, और त्रिशूल की शक्ति का वर्णन है। साथ ही, भोलेनाथ के त्याग, करुणा और सभी जीवों के प्रति दया को प्रस्तुत किया गया है। भजन शिवभक्तों की विनम्र प्रार्थना को दर्शाता है, जिसमें वह दूसरों की भलाई के लिए शिव से आशीर्वाद मांगते हैं। शिवजी को कालों का काल और समस्त ब्रह्मांड का पालनहार बताया गया है।
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महाकाल ज्योर्तिलिंग: शिवभक्ति का अद्वितीय केंद्र
भारत में स्थित द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक प्रमुख ज्योर्तिलिंग है श्री महाकालेश्वर, जो भगवान शिव के परम पवित्र धाम के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन, पूजा और आराधना करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वे भगवान शिव की असीम कृपा के पात्र बन जाते हैं।
महाकाल ज्योर्तिलिंग का स्थान और महत्व
महाकाल ज्योर्तिलिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में स्थित है, जो पवित्र क्षिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ है। प्राचीन समय में इसे उज्जयिनी और अवंतिका के नाम से जाना जाता था। यह भारत की सात पवित्र पुरियों (सप्तपुरियों) में से एक है। धार्मिक ग्रंथों जैसे महाभारत, शिवपुराण और स्कंदपुराण में महाकाल ज्योर्तिलिंग की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है।
महाकाल ज्योर्तिलिंग की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं में इस ज्योर्तिलिंग की उत्पत्ति और इसकी महिमा को लेकर कई रोचक कहानियां हैं।
श्रीकर बालक की शिवभक्ति
एक समय उज्जयिनी में राजा चंद्रसेन राज्य करते थे, जो शिव के अनन्य भक्त थे। उनके शिवपूजन को देखकर एक पांच वर्षीय गोप बालक श्रीकर को भी शिवभक्ति की प्रेरणा मिली। उसने रास्ते में पड़े एक पत्थर को शिवलिंग मानकर उसकी पूजा शुरू कर दी। उसकी श्रद्धा देखकर भगवान शिव प्रकट हुए और उसे आशीर्वाद दिया।
भगवान शिव की कृपा से वहां एक दिव्य मंदिर प्रकट हुआ, जिसमें एक तेजस्वी ज्योर्तिलिंग स्थापित था। इस घटना से सभी लोग भगवान शिव की कृपा और बालक की भक्ति से अचंभित हो गए।
दूषण असुर का अंत
एक अन्य कथा के अनुसार, अवंतिकापुरी में एक ब्राह्मण तपस्या कर रहा था। दूषण नामक असुर ने उसकी तपस्या भंग करने की कोशिश की। भगवान शिव ने प्रकट होकर अपनी हुंकार से उस असुर का अंत कर दिया। चूंकि भगवान शिव यहां हुंकार के साथ प्रकट हुए थे, इसलिए उन्हें महाकाल कहा गया।
महाकाल ज्योर्तिलिंग की महिमा
महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग न केवल शिवभक्तों के लिए एक पूजनीय स्थल है, बल्कि यह जीवन में आध्यात्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। यह स्थान भक्तों की श्रद्धा और विश्वास को और गहराई देता है।
महाकाल ज्योर्तिलिंग भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अनमोल हिस्सा है। यहां की कथाएं हमें सिखाती हैं कि भक्ति और श्रद्धा के बल पर भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है। उज्जैन का यह धाम हर शिवभक्त के लिए एक बार दर्शन करने योग्य स्थान है।
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