क्रोधी व्यक्ति और महात्मा बुद्ध Krodhi Vyakti Aur Mahatma Buddh Ki Kahani

आज हम महात्मा बुद्ध और उनके उपदेशों पर आधारित एक कहानी के बारे में जानेंगे। बुद्ध ने अपने उपदेशों से लोगों के जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान की । इस कहानी का शीर्षक है "क्षमा और शांति।" इस प्रेरक कथा के माध्यम से हम भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का एक ऐसा पहलू जानेंगे जो हमारे जीवन को नई दिशा देने में सहायक है।

Krodhi Vyakti Aur Mahatma Buddh Ki Kahani

बुद्ध भगवान का उपदेश और क्रोधी व्यक्ति की कहानी

भगवान बुद्ध एक गाँव में अपने शिष्यों के साथ लोगों को धर्म का उपदेश दे रहे थे। उन्होंने कहा, "हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील और क्षमाशील होना चाहिए। क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करने वाला न केवल दूसरों को बल्कि खुद को भी जला देता है।" क्रोध व्यक्ति को ही परेशान करता है.

सभा में सभी लोग शांत होकर बुद्ध की बातें सुन रहे थे, लेकिन वहाँ एक व्यक्ति ऐसा भी था जो स्वभाव से अति क्रोधी था और बुद्ध की बातों को बेतुका समझ रहा था। कुछ देर सुनने के बाद वह व्यक्ति अचानक आगबबूला हो गया और क्रोधित होकर अनर्गल कहने लगा, "तुम पाखंडी हो। तुम केवल बड़ी-बड़ी बातें बनाते हो और लोगों को भ्रमित करते हो। तुम्हारी बातें आज के युग में किसी काम की नहीं हैं।"

बुद्ध ने उस व्यक्ति के कड़वे वचनों को शांतिपूर्वक सुना, उन्हें क्रोध तनिक ना आया। न तो वे दुखी हुए, न ही कोई प्रतिक्रिया दी। यह देखकर वह व्यक्ति और अधिक क्रोधित हो गया और उसने क्रोध में आकर बुद्ध के मुँह पर थूक दिया। इसके बाद वह वहाँ से चला गया।

अगले दिन जब उस व्यक्ति का क्रोध शांत हुआ, तो उसे अपने बुरे व्यवहार का एहसास हुआ और वह पछतावे की आग में जलने लगा। उसने सोचा कि वह जाकर भगवान बुद्ध से माफी माँगेगा। पर जब वह उस स्थान पर पहुँचा, तो उसे मालूम हुआ कि बुद्ध वहाँ से अपने शिष्यों के साथ दूसरे गाँव की ओर निकल चुके हैं।

काफी खोजबीन के बाद वह उस स्थान पर पहुँचा जहाँ बुद्ध प्रवचन दे रहे थे। जैसे ही उसने बुद्ध को देखा, वह उनके चरणों में गिर पड़ा और माफी माँगने लगा, "मुझे क्षमा करें प्रभु! मैं वही हूँ जिसने कल आपके साथ बुरा व्यवहार किया था। मुझे अपने कृत्य पर गहरा पछतावा है, यह सब मैंने क्रोध के वश में किया"

बुद्ध ने प्रेमपूर्वक कहा, "भाई, बीता हुआ कल तो मैं वहीँ छोड़कर आया हूँ। तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है, तुम्हारा हृदय निर्मल हो चुका है। अब तुम आज में प्रवेश करो और बीते कल के कारण अपने आज को मत बिगाड़ो।" तुमको चाहिए की तुम मौन धारण करके क्रोध पर विजय हाशिल करो, क्रोध दूसरों का नहीं अपितु करने वाले का ही सबसे बड़ा शत्रु होता है.
इस घटना से व्यक्ति का हृदय बदल गया। उसने बुद्ध के चरणों में प्रणाम किया और क्रोध त्यागने तथा क्षमाशील बनने का संकल्प लिया। भगवान बुद्ध ने उसे आशीर्वाद दिया और उसके जीवन में प्रेम, शांति और करुणा की धारा प्रवाहित होने लगी।

कहानी की सीख

मित्रों, यह कथा हमें सिखाती है कि अतीत में की गई गलतियों के लिए खुद को बार-बार कष्ट देने की बजाय, उनसे सबक लेकर वर्तमान को संवारना चाहिए। पश्चाताप करने से हमारा मन निर्मल होता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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