गायत्री मंत्र अर्थ महत्त्व और जाप विधि जानिये

गायत्री मंत्र लिरिक्स मीनिंग Gayatri Mantra Hindi Lyrics


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चारों वेदों से मिलकर बने गायत्री मंत्र का उच्‍चारण करने से व्‍यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार होता है. इस मंत्र का जाप करने से शरीर निरोग बनता है और इंसान को यश, प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति भी होती है.

गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्

गायत्री मंत्र का अर्थ
भगवान सूर्य की स्तुति में गाए जाने वाले इस मंत्र का अर्थ निम्न है... उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें. वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे.
गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द का एक विशेष अर्थ है।
  • ॐ प्रणव है, जो ब्रह्मांड के स्रोत और सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है।
  • भूर्भुवः स्वः तीनों लोकों (पृथ्वी, आकाश और स्वर्ग) का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • तत्सवितुर्वरेण्यं प्रकाशमान, सर्वश्रेष्ठ, और पावन प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है।
  • भर्गो देवस्यः प्रकाशमय, परमात्मा की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
  • धीमहि ध्यान करने के योग्य, ध्यान का प्रतिनिधित्व करता है।
  • धियो बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
  • यो नः प्रचोदयात् हमारी बुद्धि को प्रकाशमान करे, हमें प्रेरित करे।
गायत्री मंत्र का अर्थ है:

हे प्रकाशमान, सर्वश्रेष्ठ, और पावन प्रकाश! हे प्रकाशमय, परमात्मा की शक्ति! हम आपकी प्रशंसा करते हैं। कृपया हमारी बुद्धि को प्रकाशमान करें और हमें सही मार्ग दिखाएं।

गायत्री मंत्र का जप करने से व्यक्ति को ज्ञान, एकाग्रता, और आध्यात्मिक विकास प्राप्त होता है। यह बुद्धि को शुद्ध करने और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर ले जाने में मदद करता है।

गायत्री मंत्र को गायत्री देवी को समर्पित किया गया है, जो ज्ञान और प्रकाश की देवी हैं। गायत्री देवी को पंचमुखी भी कहा जाता है, क्योंकि उनके पांच सिर हैं। ये पांच सिर पांच इंद्रियों और पांच प्राणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

गायत्री मंत्र का जप करने से व्यक्ति को इन पांच इंद्रियों और पांच प्राणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास के उच्च स्तर पर पहुंचने में मदद मिलती है।



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