राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी भजन

राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी भजन

राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी
म्हे तो गोविन्दरा गुण गास्यां हे माय॥
राणोजी रूठे तो अपने देश रखासी
म्हे तो हरि रूठ्यां रूठे जास्यां हे माय।
लोक-लाजकी काण न राखां
म्हे तो निर्भय निशान गुरास्यां हे माय।
राम नाम की जहाज चलास्यां 
म्हे तो भवसागर तिर जास्यां हे माय।
हरिमंदिर में निरत करास्यां
म्हे तो घूघरिया छमकास्यां हे माय।
चरणामृत को नेम हमारो
म्हे तो नित उठ दर्शण जास्यां हे माय।
मीरा गिरधर शरण सांवल के
म्हे ते चरण-कमल लिपरास्यां हे माय। 
 
मीरा बाई के इस पद में वे अपने पति राणा से कहती हैं कि यदि वे (राणा) नाराज़ होते हैं, तो उन्हें कोई चिंता नहीं, क्योंकि वे तो गोविंद (कृष्ण) के गुण गाने में लीन हैं। यदि राणा उन्हें अपने देश से निकाल भी दें, तो भी उन्हें परवाह नहीं, क्योंकि यदि हरि (कृष्ण) रूठ जाएं, तो उनका जीवन व्यर्थ हो जाएगा। वे लोक-लाज की परवाह नहीं करतीं और निर्भय होकर गुरु के मार्ग पर चलती हैं। राम नाम की नाव चलाकर वे भवसागर (संसार रूपी समुद्र) को पार करना चाहती हैं। हरि के मंदिर में नृत्य करते हुए वे अपने घुंघरुओं की ध्वनि से आनंदित होती हैं। चरणामृत का नियम उनका दैनिक कार्य है, और वे प्रतिदिन हरि के दर्शन के लिए जाती हैं। अंत में, मीरा कहती हैं कि वे सांवले गिरधर (कृष्ण) की शरण में हैं और उनके चरण कमलों से लिपटी हुई हैं।

Sukhdev Ji Maharaj Kuchera ! राणा जी रूठे तो मारो काई करसी ! Meera Bai Bhajan

raanojee Roothe To Mhaaro Kaanee Karasee
Mhe To Govindara Gun Gaasyaan He Maay.
Raanojee Roothe To Apane Desh Rakhaasee
Mhe To Hari Roothyaan Roothe Jaasyaan He Maay.
Lok-laajakee Kaan Na Raakhaan
Mhe To Nirbhay Nishaan Guraasyaan He Maay.
Raam Naam Kee Jahaaj Chalaasyaan
Mhe To Bhavasaagar Tir Jaasyaan He Maay.
Harimandir Mein Nirat Karaasyaan
Mhe To Ghooghariya Chhamakaasyaan He Maay.
Charanaamrt Ko Nem Hamaaro
Mhe To Nit Uth Darshan Jaasyaan He Maay.
Meera Giradhar Sharan Saanval Ke
Mhe Te Charan-kamal Liparaasyaan He Maay.

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