गणेश गायत्री मंत्र जानिये शक्तिशाली मन्त्र अर्थ सहित
श्रीगणेश की विशेष मंत्रों से पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है। गणेश गायत्री मंत्र का शांत मन से लगातार 11 दिन तक 108 बार जप करने से गणेशजी की विशिष्ट कृपा होती है। गणेश गायत्री मंत्र के जप से व्यक्ति का भाग्य चमक जाता
गणेश गायत्री मंत्र -
श्री गणेश जी को प्रशन्न करने के लिए उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है। गणेश पूजा के दौरान द्रुवा घास का उपयोग किया जाना चाहिए। दूर्वा घास को कभी भी गणेश जी के चरणों में अर्पित नहीं करना चाहिए। लाल सिन्दूर भी श्री गणेश को प्रिय है। बुधवार को श्री गणेश जी की पूजा से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती की जाती है।
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एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
Ekadantaay Vidmahe, Vakratundaay Dheemahi, Tanno Danti Prachodayaat.
Mahaakaaranaay Vidmahe, Vakratundaay Dheemahe, Tanno Danti Prachodayaat.
Gajaanan Vidmaha, Vakratundaay Dheemaha, Tanno Danti Prachodayaat.
Mahaakaaranaay Vidmahe, Vakratundaay Dheemahe, Tanno Danti Prachodayaat.
Gajaanan Vidmaha, Vakratundaay Dheemaha, Tanno Danti Prachodayaat.
श्री गणेश के बारे में : श्री शिव और पार्वती के पुत्र हैं गणेश जी। श्री गणेश गणों के स्वामी हैं इसलिए इन्हे गणेश कहा जाता है। श्री गणेश जी के मस्तस्क पर हाथी होने के कारन इनको गजानंद और गजानन भी कहा जाता हैं।
श्री गणेश जी को समस्त शुभ कार्यों में सर्वप्रथम पूजा जाता है इसलिए इन्हे प्रथम पूज्य भी कहा जाता है। इनको पूजने वाले सम्प्रदाय को गाणपत्य कहा जाता है। श्री गणेश को कई नामों से याद किया जाता है ये हैं सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश,विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। गणेश जी का वाहन चूहा माना जाता है।
श्री गणेश जी वाहन चूहा क्यों हैं : एक बार श्री गणेश जी का युद्ध गजमुखासुर नाम के असुर से हुआ। गजमुखासुर को वरदान प्राप्त था की उसका अंत किसी अस्त्र से नहीं होगा इसलिए श्री गणेश जी अपने दांत का एक टुकड़ा तोडा और असुर पर प्रहार किया। गजमुखासुर हार कर मूषक बन कर भागने लगा तो श्री गणेश ने मूषक को अपना वाहन बना कर उसे जीवन दान दे दिया।
श्री गणेश जी को करें प्रसन्न : श्री गणेश जी की पूजा से पहले संकल्प लेना चाहिए और संकल्प के लिए हाथ में फूल, जल, और चावल से लें। श्री गणेश जी को लाल चौकी पर बिठाना चाहिए। ताम्बे के पात्र में जल अर्पित करने के लिए रोली, कुकू, अक्षत, और पुष्प अर्पित करें।
श्री गणेश जी को समस्त शुभ कार्यों में सर्वप्रथम पूजा जाता है इसलिए इन्हे प्रथम पूज्य भी कहा जाता है। इनको पूजने वाले सम्प्रदाय को गाणपत्य कहा जाता है। श्री गणेश को कई नामों से याद किया जाता है ये हैं सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश,विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। गणेश जी का वाहन चूहा माना जाता है।
श्री गणेश जी वाहन चूहा क्यों हैं : एक बार श्री गणेश जी का युद्ध गजमुखासुर नाम के असुर से हुआ। गजमुखासुर को वरदान प्राप्त था की उसका अंत किसी अस्त्र से नहीं होगा इसलिए श्री गणेश जी अपने दांत का एक टुकड़ा तोडा और असुर पर प्रहार किया। गजमुखासुर हार कर मूषक बन कर भागने लगा तो श्री गणेश ने मूषक को अपना वाहन बना कर उसे जीवन दान दे दिया।
श्री गणेश जी को करें प्रसन्न : श्री गणेश जी की पूजा से पहले संकल्प लेना चाहिए और संकल्प के लिए हाथ में फूल, जल, और चावल से लें। श्री गणेश जी को लाल चौकी पर बिठाना चाहिए। ताम्बे के पात्र में जल अर्पित करने के लिए रोली, कुकू, अक्षत, और पुष्प अर्पित करें।
श्री गणेश जी को प्रशन्न करने के लिए उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है। गणेश पूजा के दौरान द्रुवा घास का उपयोग किया जाना चाहिए। दूर्वा घास को कभी भी गणेश जी के चरणों में अर्पित नहीं करना चाहिए। लाल सिन्दूर भी श्री गणेश को प्रिय है। बुधवार को श्री गणेश जी की पूजा से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती की जाती है।