ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ
ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ
ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,मोरी दूखे नरम कलइया।
तेरो माखन मैं नहिं खायो,
अपने घर के धोखे में आयो,
मटकी ते नहिं हाथ लगायो,
हाथ छोड़ दे हा-हा खाऊँ,
तेरी लऊँ बलइयाँ ॥
ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,
मोरी दूखे नरम कलइया।
खोल किवारिया तू गई पानी,
भूल करी अब क्यों पछतानी,
मो संग कर रही ऐंचातानी,
झूठो नाम लगाय रही,
घर में घुसी बिलइया ॥
ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,
मोरी दूखे नरम कलइया।
तोको तनिक लाज नहिं आवे,
मुझ सूधे को दोस लगावे,
घर में बुला के चोर बतावे,
हाथ छोड़ दे देर होत है,
दूर निकस गईं गइयाँ ॥
ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,
मोरी दूखे नरम कलइया।
आज छोड़ दे सौगंध खाऊँ,
फेर न तेरे घर में आऊँ,
नित तेरी गागर उचकाऊँ,
पड़ूँ पाँव तेरे, जान दे मोहे,
बोल रह्यो बल भइया ॥
तेरो माखन मैं नहिं खायो,
अपने घर के धोखे में आयो,
मटकी ते नहिं हाथ लगायो,
हाथ छोड़ दे हा-हा खाऊँ,
तेरी लऊँ बलइयाँ ॥
ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,
मोरी दूखे नरम कलइया।
खोल किवारिया तू गई पानी,
भूल करी अब क्यों पछतानी,
मो संग कर रही ऐंचातानी,
झूठो नाम लगाय रही,
घर में घुसी बिलइया ॥
ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,
मोरी दूखे नरम कलइया।
तोको तनिक लाज नहिं आवे,
मुझ सूधे को दोस लगावे,
घर में बुला के चोर बतावे,
हाथ छोड़ दे देर होत है,
दूर निकस गईं गइयाँ ॥
ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,
मोरी दूखे नरम कलइया।
आज छोड़ दे सौगंध खाऊँ,
फेर न तेरे घर में आऊँ,
नित तेरी गागर उचकाऊँ,
पड़ूँ पाँव तेरे, जान दे मोहे,
बोल रह्यो बल भइया ॥
ग्वालिन मत पकड़े मोरी बहियाँ,
मोरी दूखे नरम कलइया।
शब्दार्थ: ऐंचातानी =
खींचतान, उचकाऊँ = उठाऊँ
कृष्ण जब गाय चराने जाते थे, तो वे अपनी बालसमायी लीलाओं से ब्रज के लोगों को आनंदित कर देते थे। वे गायों को चराते-चराते नंगे पैर जंगलों में घूमते थे। वे यमुना नदी में नहाते थे । वे अक्सर अपनी माखन चोरी की लीलाओं से लोगों को चकित कर देते थे। कृष्ण की गाय चराने की लीलाओं का एक विशेष पहलू यह था कि वे हमेशा गायों की रक्षा करते थे। वे उन्हें जंगली जानवरों से बचाते थे और उन्हें अच्छी तरह से खिलाते-पिलाते थे। वे गायों को अपने साथ ही रखते थे और उन्हें कभी भी अकेला नहीं छोड़ते थे। कृष्ण की गाय चराने की लीलाएं हमें बताती हैं कि वे कितने दयालु और करुणामयी थे। वे सभी जीवों की रक्षा करना चाहते थे, विशेष रूप से गायों की। गाय को हिंदू धर्म में एक पवित्र प्राणी माना जाता है और कृष्ण ने गायों की सेवा करके इस पवित्रता को बढ़ाया।
Gwalan Mat Pakde Meri Baiya || KANHA BHAJAN || Jaya Kishori Ji #Bhaktibhajan
भजन में श्रीकृष्णजी की चंचल बाल-लीला और गोपियों के साथ उनकी प्रेम भरी ठिठोली जीवंत हो उठती है। यह वह मासूम शरारत है, जहाँ कान्हा गोपियों की शिकायतों का जवाब अपनी चपलता और मधुर बातों से देते हैं। गोपियों का उनकी बाँह पकड़ना और माखन चोरी का इल्ज़ाम लगाना उस प्रेममय बंधन को दर्शाता है, जो वृंदावन की गलियों में उनके बीच खिलता है। यह प्रेम का वह रंग है, जो शिकायतों में भी मिठास घोल देता है।
कान्हा का यह कहना कि उन्होंने माखन नहीं खाया और बिल्ली ने चोरी की, उनकी उस शरारती मुस्कान को सामने लाता है, जो हर गोपी के मन को मोह लेती है। जैसे कोई विद्यार्थी अपनी मासूम गलती को हँसते-हँसते छिपाने की कोशिश करता है, वैसे ही यहाँ श्रीकृष्णजी अपनी चतुराई से गोपियों को चकमा देते हैं। यह उनकी वह चपलता है, जो हर शिकायत को प्रेम की ठिठोली में बदल देती है।
कान्हा का यह कहना कि उन्होंने माखन नहीं खाया और बिल्ली ने चोरी की, उनकी उस शरारती मुस्कान को सामने लाता है, जो हर गोपी के मन को मोह लेती है। जैसे कोई विद्यार्थी अपनी मासूम गलती को हँसते-हँसते छिपाने की कोशिश करता है, वैसे ही यहाँ श्रीकृष्णजी अपनी चतुराई से गोपियों को चकमा देते हैं। यह उनकी वह चपलता है, जो हर शिकायत को प्रेम की ठिठोली में बदल देती है।
Album Name: Shyam Hi Hamaro Dhan
Singer Name: Jaya Kishori Ji, Chetna Sharma
Singer Name: Jaya Kishori Ji, Chetna Sharma