महामृत्युंजय मंत्र लिरिक्स Mahamrityunjaya Manta Lyrics
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम.
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्.
Om Tryambakan Yajaamahe Sugandhin Pushtivardhanam.
Urvaarukamiv Bandhanaanmrtyormuksheey Maamrtaat.
महामृत्युंजय मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। यह मंत्र मृत्यु से मुक्ति प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने वाला एक शक्तिशाली मंत्र है। इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है। कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति भयमुक्त, रोगमुक्त जीवन चाहता है और अकाल मृत्यु के डर से खुद को दूर करना चाहता है, तो उसे ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र के 33 अक्षर हैं, जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि देवताओं के प्रतीक हैं। उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस कोटि देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहित होती हैं।
महामृत्युंजय मंत्र का शाब्दिक अर्थ है:
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से शरीर और मन को शांति मिलती है। यह मंत्र भय और चिंता को दूर करने में मदद करता है। यह मंत्र मृत्यु से मुक्ति प्राप्त करने और मोक्ष प्राप्त करने का एक तरीका है। महामृत्युंजय मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं। इस मंत्र के जप से व्यक्ति को संसार के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से लाभ मिलता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के लिए किसी विशेष विधि की आवश्यकता नहीं होती है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, सुबह जल्दी उठकर और शुद्ध मन से इस मंत्र का जाप करना सबसे अच्छा माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। इसे कम से कम एक माला या अधिक माला भी किया जा सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:
महामृत्युंजय मंत्र का शाब्दिक अर्थ है:
- ॐ - ब्रह्मांड की शुरुआत और अंत का प्रतीक।
- त्र्यम्बकं - तीन नेत्रों वाले।
- यजामहे - हम पूजते हैं।
- सुगन्धिं - सुगंधित।
- पुष्टिवर्धनम् - पोषण करने वाला।
- उर्वारुकमिव बन्धनान् - ककड़ी ।
- मृत्योर्मुक्षीय - मृत्यु से मुक्त हो जाओ।
- मामृतात् - अमरता से ।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से शरीर और मन को शांति मिलती है। यह मंत्र भय और चिंता को दूर करने में मदद करता है। यह मंत्र मृत्यु से मुक्ति प्राप्त करने और मोक्ष प्राप्त करने का एक तरीका है। महामृत्युंजय मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं। इस मंत्र के जप से व्यक्ति को संसार के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से लाभ मिलता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के लिए किसी विशेष विधि की आवश्यकता नहीं होती है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, सुबह जल्दी उठकर और शुद्ध मन से इस मंत्र का जाप करना सबसे अच्छा माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। इसे कम से कम एक माला या अधिक माला भी किया जा सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:
- शांत स्थान पर बैठ जाएं।
- अपने हाथों को जोड़ें और अपनी आंखें बंद करें।
- मंत्र को 108 बार जपें।
- मंत्र का अर्थ समझें और अपने मन में भगवान शिव की कल्पना करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जप नियमित रूप से करने से लाभ मिलता है।
कब और कैसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप ?
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के लिए सबसे अच्छा समय सूर्योदय से पहले है। इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है, जो मंत्र के प्रभाव को बढ़ाती है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक है और इससे मंत्र का जाप अधिक प्रभावी होता है।महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने की विधि निम्नलिखित है:
- सबसे पहले, एकांत स्थान पर बैठें और अपने आसपास के वातावरण को शांत करें।
- अपने हाथों को जोड़कर, भगवान शिव को प्रणाम करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण शुरू करें।
- मंत्र का उच्चारण करते समय, अपने मन को एकाग्र रखें और भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करें।
- मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए।
- भयमुक्ति
- रोगमुक्ति
- अकाल मृत्यु से मुक्ति
- सभी बाधाओं और परेशानियों से मुक्ति
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
- आध्यात्मिक उन्नति
स्त्रोत और मंत्र जाप के लाभ : चाहे मन्त्र हो या फिर स्त्रोत इनके जाप से देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में मन्त्रों की महिमा का विस्तार से वर्णन है। श्रष्टि में ऐसा कुछ भी नहीं है जो मन्त्रों से प्राप्त ना किया जा सके, आवश्यक है साधक के द्वारा सही जाप विधि और कल्याण की भावना। बीज मंत्रों के जाप से विशेष फायदे होते हैं। यदि किसी मंत्र के बीज मंत्र का जाप किया जाय तो इसका प्रभाव और अत्यधिक बढ़ जाता है। वैज्ञानिक स्तर पर भी इसे परखा गया है। मंत्र जाप से छुपी हुयी शक्तियों का संचार होता है। मस्तिष्क के विशेष भाग सक्रीय होते है। मन्त्र जाप इतना प्रभावशाली है कि इससे भाग्य की रेखाओं को भी बदला जा सकता है। यदि बीज मन्त्रों को समझ कर इनका जाप निष्ठां से किया जाय तो असाध्य रोगो से छुटकारा मिलता है। मन्त्रों के सम्बन्ध में ज्ञानी लोगों की मान्यता है की यदि सही विधि से इनका जाप किया जाय तो बिना किसी औषधि की असाध्य रोग भी दूर हो सकते हैं। विशेषज्ञ और गुरु की राय से राशि के अनुसार मन्त्रों के जाप का लाभ और अधिक बढ़ जाता है।
विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए पृथक से मन्त्र हैं जिनके जाप से निश्चित ही लाभ मिलता है। मंत्र दो अक्षरों से मिलकर बना है मन और त्र। तो इसका शाब्दिक अर्थ हुआ की मन से बुरे विचारों को निकाल कर शुभ विचारों को मन में भरना। जब मन में ईश्वर के सम्बंधित अच्छे विचारों का उदय होता है तो रोग और नकारात्मकता सम्बन्धी विचार दूर होते चले जाते है। वेदों का प्रत्येक श्लोक एक मन्त्र ही है। मन्त्र के जाप से एक तरंग का निर्माण होता है जो की सम्पूर्ण वायुमंडल में व्याप्त हो जाता है और छिपी हुयी शक्तियों को जाग्रत कर लाभ प्रदान करता है।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे
महामृत्युंजय मंत्र के कई फायदे हैं। यह एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है और इसका नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति को कई लाभ मिल सकते हैं।महामृत्युंजय मंत्र के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं:
- भयमुक्ति: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति का अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
- रोगमुक्ति: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी रोग दूर होते हैं और वह स्वस्थ रहता है।
- आयु में वृद्धि: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
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