अँसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम बेल बोयी मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics
अँसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम बेल बोयी
अब तो बेल फ़ैल गई, आणंद-फल होयी
अब तो बेल फ़ैल गई, आणंद-फल होयी
प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा की कृष्ण के प्रति भाव-भक्ति का वर्णन किया
गया है| उसने अपने आँसुओं से कृष्ण के प्रेम रूपी बेल को सींच-सींच कर बड़ा
किया है| उनके प्रेम रुपी बेल में आनंद रुपी फल लग गए हैं अर्थात्
कृष्ण-प्रेम में वह इतनी विलीन हो गई हैं कि अब उन्हें अलौकिक आनंद प्राप्त
हो रहा है|
पतीया मैं कैशी लीखूं, लीखये न जातरे ॥ध्रु०॥
कलम धरत मेरा कर कांपत । नयनमों रड छायो ॥१॥
हमारी बीपत उद्धव देखी जात है । हरीसो कहूं वो जानत है ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल रहो छाये ॥३॥
कीत गयो जादु करके नो पीया ॥ध्रु०॥
नंदनंदन पीया कपट जो कीनो । नीकल गयो छल करके ॥१॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे । कबु ना मीले आंग भरके ॥२॥
मीरा दासी शरण जो आई । चरणकमल चित्त धरके ॥३॥
हरी तुम कायकू प्रीत लगाई ॥ध्रु०॥
प्रीत लगाई परम दुःख दीनो । कैशी लाज न आई ॥१॥
गोकुल छांड मथुरेकु जाये । वामें कोन बराई ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । तुमकू नंद दुवाई ॥३॥
ये ब्रिजराजकूं अर्ज मेरी । जैसी राम हमारी ॥ध्रु०॥
मोर मुगुट श्रीछत्र बिराजे । कुंडलकी छब न्यारी ॥१॥
हारी हारी पगया केशरी जामा । उपर फुल हाजारी ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल बलिहारी ॥३॥
तैं मेरी गेंद चुराई । ग्वालनारे ॥ध्रु०॥
आबहि आणपेरे तोरे आंगणा । आंगया बीच छुपाई ॥१॥
ग्वाल बाल सब मिलकर जाये । जगरथ झोंका आई ॥२॥
साच कन्हैया झूठ मत बोले । घट रही चतुराई ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल बलजाई ॥४॥
कोई देखोरे मैया । शामसुंदर मुरलीवाला ॥ध्रु०॥
जमुनाके तीर धेनु चरावत । दधी घट चोर चुरैया ॥१॥
ब्रिंदाजीबनके कुंजगलीनमों । हमकू देत झुकैया ॥२॥
ईत गोकुल उत मथुरा नगरी । पकरत मोरी भय्या ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल बजैया ॥४॥
कलम धरत मेरा कर कांपत । नयनमों रड छायो ॥१॥
हमारी बीपत उद्धव देखी जात है । हरीसो कहूं वो जानत है ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल रहो छाये ॥३॥
कीत गयो जादु करके नो पीया ॥ध्रु०॥
नंदनंदन पीया कपट जो कीनो । नीकल गयो छल करके ॥१॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे । कबु ना मीले आंग भरके ॥२॥
मीरा दासी शरण जो आई । चरणकमल चित्त धरके ॥३॥
हरी तुम कायकू प्रीत लगाई ॥ध्रु०॥
प्रीत लगाई परम दुःख दीनो । कैशी लाज न आई ॥१॥
गोकुल छांड मथुरेकु जाये । वामें कोन बराई ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । तुमकू नंद दुवाई ॥३॥
ये ब्रिजराजकूं अर्ज मेरी । जैसी राम हमारी ॥ध्रु०॥
मोर मुगुट श्रीछत्र बिराजे । कुंडलकी छब न्यारी ॥१॥
हारी हारी पगया केशरी जामा । उपर फुल हाजारी ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल बलिहारी ॥३॥
तैं मेरी गेंद चुराई । ग्वालनारे ॥ध्रु०॥
आबहि आणपेरे तोरे आंगणा । आंगया बीच छुपाई ॥१॥
ग्वाल बाल सब मिलकर जाये । जगरथ झोंका आई ॥२॥
साच कन्हैया झूठ मत बोले । घट रही चतुराई ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल बलजाई ॥४॥
कोई देखोरे मैया । शामसुंदर मुरलीवाला ॥ध्रु०॥
जमुनाके तीर धेनु चरावत । दधी घट चोर चुरैया ॥१॥
ब्रिंदाजीबनके कुंजगलीनमों । हमकू देत झुकैया ॥२॥
ईत गोकुल उत मथुरा नगरी । पकरत मोरी भय्या ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । चरणकमल बजैया ॥४॥
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