मीर तक़ी मीर अए हम-सफ़र न आब्ले को पहुँचे चश्म-ए-तर Poet Meer Taki Meer Gajal Aye Hum Safar Lyrics

मीर तक़ी मीर अए हम-सफ़र न आब्ले को पहुँचे चश्म-ए-तर Poet Meer Taki Meer Gajal Aye Hum Safar Lyrics Hindi


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मीर तक़ी मीर
अए हम-सफ़र न आब्ले को पहुँचे चश्म-ए-तर
लगा है मेरे पाओं में आ ख़ार देखना

होना न चार चश्म दिक उस ज़ुल्म-पैशा से
होशियार ज़ीन्हार ख़बरदार देखना

सय्यद दिल है दाग़-ए-जुदाई से रश्क-ए-बाग़
तुझको भी हो नसीब ये गुलज़ार देखना

गर ज़मज़मा यही है कोई दिन तो हम-सफ़र
इस फ़स्ल ही में हम को गिरफ़्तार देखना

बुल-बुल हमारे गुल पे न गुस्ताख़ कर नज़र
हो जायेगा गले का कहीं हार देखना

शायद हमारी ख़ाक से कुछ हो भी अए नसीम
ग़िर्बाल कर के कूचा-ए-दिलदार देखना

उस ख़ुश-निगाह के इश्क़ से परहेज़ कीजिओ 'मीर'
जाता है लेके जी ही ये आज़ार देखना
 
यह शेर मीर तकी मीर का है। इस शेर में मीर तकी मीर अपने साथी यात्री से कह रहे हैं कि जब तक हम अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँचते, तब तक हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन कठिनाइयों को काँटे के रूप में देखा जा सकता है। मीर तकी मीर कह रहे हैं कि हमें इन कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उनका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस शेर में मीर तकी मीर हमें एक महत्वपूर्ण संदेश दे रहे हैं। वह कह रहे हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हमें इन कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उनका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।


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