श्री रामायणजी की आरती

श्री रामायणजी की आरती

आरती श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिया-पी की॥
गावत ब्राह्मादिक मुनि नारद। बालमीक विज्ञान विशारद।
शुक सनकादि शेष अरु शारद। बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत वेद पुरान अष्टदस। छओं शास्त्र सब ग्रन्थन को रस।
मुनि-मन धन सन्तन को सरबस। सार अंश सम्मत सबही की॥
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत सन्तत शम्भू भवानी। अरु घट सम्भव मुनि विज्ञानी।
व्यास आदि कविबर्ज बखानी। कागभुषुण्डि गरुड़ के ही की॥
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

कलिमल हरनि विषय रस फीकी। सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।
दलन रोग भव मूरि अमी की। तात मात सब विधि तुलसी की॥
आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

 
आरती का महत्त्व : पूजा पाठ और भक्ति भाव में आरती का विशिष्ठ महत्त्व है। स्कन्द पुराण में आरती का महत्त्व वर्णित है। आरती में अग्नि का स्थान महत्त्व रखता है। अग्नि समस्त नकारात्मक शक्तियों का अंत करती है। अराध्य के समक्ष विशेष वस्तुओं को रखा जाता है। अग्नि का दीपक घी या तेल का हो सकता है जो पूजा के विधान पर निर्भर करता है। वातावरण को सुद्ध करने के लिए सुगन्धित प्रदार्थों का भी उपयोग किया जाता है। कर्पूर का प्रयोग भी जातक के दोष समाप्त होते हैं।

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सुंदर भजन में श्रीराम की महिमा और रामायण जी के महत्व को प्रदर्शित किया गया है। यह आरती रामायण को ईश्वरीय कृपा का स्रोत मानते हुए, उसकी कीर्ति का गान करती है। शास्त्रों में वर्णित महापुरुष—मुनि, नारद, बाल्मीकि, शुकदेव, सनकादि और अन्य संत—सभी ने रामायण की दिव्यता को स्वीकार किया है। इसमें न केवल श्रीराम के चरित्र की विशेषता है, बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति की गहराई भी समाहित है।

इस आरती में वेद, पुराण, अष्टादश ग्रंथों और शास्त्रों का सार प्रकट होता है, जो मानव जीवन को धर्म, नीति और सत्पथ पर चलने की प्रेरणा देता है। यह उन संतों और ज्ञानियों के लिए भी श्रद्धा का प्रतीक है, जिन्होंने रामायण को अपनी बुद्धि और भक्ति से सराहा है।

ईश्वरीय आराधना में शंकर, भवानी, व्यास, कागभुशुण्डि और गरुड़ जैसे दिव्य व्यक्तित्व भी इस ग्रंथ की महिमा का गान करते हैं, जो इसके अनंत प्रभाव को दर्शाता है।

रामायण केवल एक कथा नहीं, बल्कि कलियुग में भक्तों की आत्मा को शुद्ध करने वाला अमृत है। यह विषय-वासना और सांसारिक मोह को समाप्त करके, मोक्ष के पथ पर चलने की राह दिखाता है। जीवन में धर्म, भक्ति और सन्मार्ग अपनाने की प्रेरणा इस ग्रंथ से मिलती है।
 
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