सूर्य कवच जानिये अर्थ और महत्त्व

सूर्य कवच जानिये अर्थ और महत्त्व

सूर्य को प्रसन्न करने के लिए सूर्य कवच का पाठ एवं सूर्योदय के समय अर्घ्य नियमित रूप से दें।
 
याज्ञवल्क्य उवाच
श्शणुष्व मुनिशार्दूल! सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्वसौभाग्यदायकम्॥
देदीप्यमान मुकुटं स्फुन्मकरकुण्डलम्।
ध्यात्वा सहस्र किरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्॥
शिरो मे भास्कर: पातु ललाटं मेदमितद्युति:।
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:॥
घ्राणां धर्मघ्शणि: पातु वदनं वेदवाहन:।
द्धह्लह्नां मे मानद: पातु कण्ठं मे सुरवन्दित:॥
स्कन्धौ प्रभाकर: पातु वक्ष: पातु जनप्रिय:।
पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वांगसकलेश्वर:॥
सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भुर्जपत्रके।
दधातिय: करैरस्य वशगा सर्वसिध्दय:॥
सुस्नातो यो जपेत् सम्यग् योदधीते स्वस्थमानस:।
स रोग मुक्तो दीर्घायु: सुख पुष्टिं च वन्दति॥


अर्थ और महत्त्व याज्ञवल्क्य बोले - हे मुनिशिरोमणे! सूर्य के शुभ कवच को सुनो।शरीर को आरोग्य देने वाले और सब सौभाग्यों के दायक, देदीप्यमान, चमकते मुकुट और मकर कुंडल वाले सहस्र किरण रूपी इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए॥

मेरे सिर की रक्षा वे भास्कर करें। वे द्युतिरूप मेरे ललाट की रक्षा करें। नेत्र में दिनमणि तथा कान में वासर स्वामी रक्षा करें। सब गंधों में धर्म को ग्रहण करने वाले घ्शणि नाकों की और बदन की वेद रूपी वाहन वाले वे देव रक्षा करें। वे मानद रूपी मेरी जिह्ना की और मेरे कण्ठ की सुखंदित रक्षा करें। स्कन्धों की रक्षा प्रभाकर और वक्ष की रक्षा जनप्रिय करें। पैरों की द्वादशात्मा (12 सूर्य रूप) और सब अंगों की वे सकलेश्वर रूप रक्षा करें।

सूर्य रक्षा वाले इस स्तोत्र को भोजपत्र पर लिखकर जो धारण करता है, उसे सब सिध्दियां वश में होती हैं। जो स्नानपूर्वक बाद में जपता है या सम्यक् स्वस्थमन से जो धारण करता है, वह रोग मुक्त, दीर्घायु, सुखी व पुष्ट होता है। 

सुंदर सूर्य कवच में भगवान सूर्य की दिव्य शक्ति और उनके कवच की महिमा का गहन उदगार प्रकट हुआ है। यह कवच साधक को आरोग्य, दीर्घायु और सर्वसौभाग्य प्रदान करता है। सूर्य देव, जो तेजस्विता और ज्ञान के स्रोत हैं, अपनी कृपा से भक्त को ऊर्जा, आत्मबल और सफलता प्रदान करते हैं।

इसमें सूर्य देव के तेजस्वी स्वरूप का उल्लेख हुआ है—वे मुकुटधारी, दिव्य मकर-कुंडल से शोभायमान और सहस्र किरणों से प्रकाशित हैं। उनका कवच साधक के शरीर, मन और आत्मा की रक्षा करता है, जिससे व्यक्ति रोगमुक्त होकर सुख-समृद्धि को प्राप्त करता है। यह कवच विशेष रूप से शरीर की आरोग्यता और मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक है।

उदगार स्वरूप यह सूर्य कवच प्रदर्शित करता है कि सूर्य कवच का नियमित पाठ करने से शरीर के प्रत्येक अंग की रक्षा होती है। सूर्य देव अपने प्रकाश से अज्ञान और तमस को दूर कर साधक को धर्म, सदाचार और सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ाते हैं। यह कवच साधक को आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करता है।

इस कवच का जप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे रोग, चिंता और कष्टों का नाश होता है। यह सूर्य कवच यह सिखाता है कि सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है, आरोग्यता बनी रहती है और समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इसका पाठ करने से साधक को जीवन में अपार सौभाग्य और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है।

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