बगलामुखी मंत्र लाभ महत्त्व Bagalamukhi Mantra Benefits

बगलामुखी मंत्र/ Baglamukhi Mantra hindi Baglamukhi Mantra


Baglamukhi Mantra hindi Baglamukhi Mantra

"ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा "

माता बगलामुखी को देवी दुर्गा का आठ अवतार कहा जाता है, जिन्हें महाविद्या के नाम से भी जाना जाता है। माता बगलामुखि को हल्दी के पानी से उत्पन्न किया गया है, क्योंकि हल्दी का रंग पीला है, इसलिए उनकी उपस्थिति है, इसलिए उन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है। उसकी कई अभिव्यक्तियाँ हैं और रात के समय उसकी पूजा करने से विशेष फल मिलता है। बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में से आठवीं हैं। बगलामुखी मंत्र चौतरफा संरक्षण, समृद्धि स्थिरता के लिए अनगिनत लाभ प्रदान करता है और बीमारियों, पुरानी समस्याओं और दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। कहा जाता है कि बगलामुखी मंत्र का नियमित जप उस व्यक्ति के अहंकार और कार्यों को पंगु बना देता है जो हमें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है।

बगलामुखी हिंदू धर्म में दस तांत्रिक देवताओं के समूह महाविद्या में से एक है। देवी बगलामुखी अपने भक्त की भ्रांतियों और भ्रमों को कुडल से मारती है। बगला शब्द की उत्पत्ति वाल्गा (अर्थ - लगाम या लगाम) शब्द से हुई है, जो वागला और फिर बगला बन गया। देवी के 108 अलग-अलग नाम हैं (कुछ अन्य लोग उन्हें 1108 नामों से भी पुकारते हैं)। बग्गलुमुखी बुद्धिमान देवी के दस रूपों में से एक है, जो शक्तिशाली महिला प्रधान शक्ति का प्रतीक है। वह शक्ति के एक स्तंभ से कम नहीं है जो भक्तों के डर को खत्म करता है और अपनी ताकत से सभी दुश्मनों और बुरी शक्तियों को नष्ट कर देता है। देवी को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की सामग्री अर्पित करना सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि उनके सुनहरे पीले रंग की उपस्थिति के कारण, यह सलाह दी जाती है कि पूजा करने वाले को पीले वस्त्र पहनने चाहिए।

 
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यह माना जाता है कि ब्रह्मांड की पूरी शक्ति एक इकाई में रहती है और वह इकाई मां है। यह शक्ति माँ के रूप में विजय प्राप्त करती है, बुराई पर अच्छाई की जीत, उनकी पूजा करने से भक्तों को सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

बागलामुखी या बगलादेवी को समर्पित मुख्य मंदिर कमाक्य मंदिर, गुवाहाटी, असम में पाया जाता है। मां बगुलामुखी दुष्टों का संहार करती हैं। अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना का संचार करती हैं। इनकी साधना अथवा प्रार्थना में श्रद्धा और विश्वास असीम हो तभी मां की शुभ दृष्टि आप पर होगी। इनकी आराधना करके आप जीवन में जो चाहें जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं। सामान्यत: आजकल इनकी सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं। इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता, वरन उसे मनमाना कष्ट पहुंच सकता है। इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य परमावश्यक है।

मंत्र साधना के नियम
  • सर्वप्रथम शुभ मुर्हूत, शुभ दिन, शुभ स्थान, स्वच्छ वस्त्र, नए ताम्र पूजा पात्र, बिना किसी छल कपट के शांत चित्त, भोले भाव से यथाशक्ति यथा सामग्री, ब्रह्मचर्य के पालन की प्रतिज्ञा कर यह साधना आरम्भ कर सकते हैं।
  • पीले पुष्प, पीले वस्त्र, हल्दी की 108 दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रतिमा, यंत्र आदि रखकर शुद्ध आसन कम्बल, कुशा या मृगचर्य जो भी हो उस पर बैठकर माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त करें
  • माता बगलामुखी की आराधना के लिए जब सामग्री आदि इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर बैठें (उत्तर मुख) तो दो बातों का ध्यान रखें, पहला तो यह कि सिद्धासन या पद्मासन हो, जप करते समय पैर के तलुओं और गुह्य स्थानों को न छुएं शरीर गला और सिर सम स्थित होना चाहिए।
  • गंगाजल से छिड़काव कर (स्वयं पर) यह मंत्र पढें- अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपिवा, य: स्मरेत, पुण्डरी काक्षं स बाह्य अभ्यांतर: शुचि:। उसके बाद इस मंत्र से दाहिने हाथ से आचमन करें-ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम:। अन्त में ॐ हृषीकेशाय नम: कहके हाथ धो लेना चाहिए।
  • इसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ते हुए तीन बार प्राणायाम करें।
  • चोटी बांधे और तिलक लगाएं। अब पूजा दीप प्रज्जवलित करें।
  • विघ्नविनाशक गणपति का ध्यान करें।
  • जैसे ही आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, उस देवी-देवता के पास आपकी पुकार तुरंत पहुंचती है।। इसलिए मंत्र शुद्ध पढ़ना चाहिए।
  • मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होने पर कोई फल नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान ही होगा। इसीलिए उच्चारण पर विशेष ध्यान रखें।
  • अब आप गणेश जी के बाद सभी देवी-देवादि कुल, वास्तु, नवग्रह और ईष्ट देवी-देवतादि को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए कष्ट का निवारण कर शत्रुओं का संहार करने वाली वाल्गा (बंगलामुखी) का विनियोग मंत्र दाहिने हाथ में जल लेकर पढ़ें-ॐ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप्छन्द: बगलामुखी देवता, ह्लींबीजम् स्वाहा शक्ति: ममाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोग: (जल नीचे गिरा दें)। अब माता का ध्यान करें, याद रहे सारी पूजा में हल्दी और पीला पुष्प अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

    अपने हाथ में पीले पुष्प लेकर उपरोक्त ध्यान का शुद्ध उच्चारण करते हुए माता का ध्यान करें। उसके बाद यह मंत्र जाप करें।
    ध्यान-
    मध्ये सुधाब्धि मणि मण्डप रत्न वेद्यां,
    सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम,
    पीताम्बरा भरण माल्य विभूषिताड्गीं
    देवीं भजामि धृत मुद्गर वैरिजिह्वाम
    जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं,
    वामेन शत्रून परिपीडयन्तीम,
    गदाभिघातेन च दक्षिणेन,
    पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि॥


    पूजा में निम्न ध्यान अवश्य रखें -
    • ब्रह्मचर्य, शुद्ध और स्वच्छ आसन गणेश नमस्कार और घी का दीपक ध्यान और शुद्ध मंत्र का उच्चारण पीले वस्त्र पहनना और पीली हल्दी की माला से जाप करना।
    • तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर भागती है।
    • गूगल और तिल से हवन करने से कारागार से मुक्ति मिलती है।
    • अगर वशीकरण करना हो तो उत्तर की ओर मुख करके और धन प्राप्ति के लिए पश्चिम की ओर मुख करके हवन करना चाहिए।
    बगलामुखी यंत्र के मुख्य लाभ
    • बगलामुखी मंत्र के उच्चारण से चमत्कारी शक्तियां प्राप्त होती हैं। बगलामुखी मंत्र दुश्मनों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए जाना जाता है। 
    • बगलामुखी मंत्र विशेष रूप से प्रशासन और प्रबंधन संवर्ग के लोगों, राजनेताओं, ऋण या मुकदमेबाजी की समस्याओं का सामना करने वाले लोगों आदि के लिए सुझाया जाता है। 
    • बगलामुखी मंत्र का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जो व्यवसाय, वित्तीय समस्याओं, झूठे अदालती मामलों, झूठे आरोपों, ऋण में हानि का सामना कर रहा है।  
    • समस्याएँ, पेशे में बाधाएँ, आदि प्रतियोगी परीक्षाओं, वाद-विवाद आदि के लिए दिखाई देने वाले लोगों के लिए बगलामुखी मंत्र प्रभावी होता है। 
    • बगलामुखी मंत्र बुरी आत्माओं और बुरी नज़र को दूर करने में भी मदद करता है। 
    • यह आपको अपने दुश्मनों के बुरे इरादों से सुरक्षा प्रदान करता है।
    • यह आपको पेशेवर रूप से अधिक सफल बनने में मदद करता है
    • यह आपकी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है।
    • यह आपके आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है।
    • यह पारिवारिक जीवन को अधिक सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण बनाता है।
    • यह अन्य लोगों द्वारा आपके ऊपर लगाए गए किसी भी अभिशाप को दूर कर सकता है।
    • यह मोक्ष की यात्रा पर आपकी मदद करता है (मोक्ष)
    • बगलामुखी यंत्र के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
    सावधानियां
    • बगलामुखी यंत्र की प्रतिदिन अगरबत्ती और दीपक से पूजा की जानी चाहिए।
    • यंत्र की पूजा करने से पहले उसे गंगाजल से पवित्र करना होता है
    • बागलामुखी के अच्छे प्रभाव 30-45 दिनों के भीतर महसूस होंगे और आप अपने जीवन में महत्वपूर्ण सुधार देखेंगे।
    • इस यंत्र की पूजा के दौरान पीले कपड़े पहनना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
    • इस यंत्र की पूजा के दौरान बगलामुखी साधना मंत्र का जाप करना चाहिए।
    बगलामुखी मंत्र/ Baglamukhi Mantra hindi

    "ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा "

    स्त्रोत और मंत्र में क्या अंतर होता है : स्त्रोत और मंत्र देवताओं को प्रशन्न करते के शक्तिशाली माध्यम हैं। आज हम जानेंगे की मन्त्र और स्त्रोत में क्या अंतर होता है। किसी भी देवता की पूजा करने से पहले उससे सबंधित मन्त्रों को गुरु की सहायता से सिद्ध किया जाना चाहिए। 

    स्त्रोत : किसी भी देवी या देवता का गुणगान और महिमा का वर्णन किया जाता है। स्त्रोत का जाप करने से अलौकिक ऊर्जा का संचार होता है और दिव्य शब्दों के चयन से हम उस देवता को प्राप्त कर लेते हैं और इसे किसी भी राग में गाया जा सकता है। स्त्रोत के शब्दों का चयन ही महत्वपूर्ण होता है और ये गीतात्मक होता है।

    मन्त्र : मन्त्र को केवल शब्दों का समूह समझना उनके प्रभाव को कम करके आंकना है। मन्त्र तो शक्तिशाली लयबद्ध शब्दों की तरंगे हैं जो बहुत ही चमत्कारिक रूप से कार्य करती हैं। ये तरंगे भटकते हुए मन को केंद्र बिंदु में रखती हैं। शब्दों का संयोजन भी साधारण नहीं होता है, इन्हे ऋषि मुनियों के द्वारा वर्षों की साधना के बाद लिखा गया है। मन्त्रों के जाप से आस पास का वातावरण शांत और भक्तिमय हो जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रिक करके मन को शांत करता है। मन के शांत होते ही आधी से ज्यादा समस्याएं स्वतः ही शांत हो जाती हैं। मंत्र किसी देवी और देवता का ख़ास मन्त्र होता है जिसे एक छंद में रखा जाता है। वैदिक ऋचाओं को भी मन्त्र कहा जाता है। इसे नित्य जाप करने से वो चैतन्य हो जाता है। मंत्र का लगातार जाप किया जाना चाहिए। सुसुप्त शक्तियों को जगाने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं। मंत्र एक विशेष लय में होती है जिसे गुरु के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। जो हमारे मन में समाहित हो जाए वो मंत्र है। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ ही ओमकार की उत्पत्ति हुयी है। इनकी महिमा का वर्णन श्री शिव ने किया है और इनमे ही सारे नाद छुपे हुए हैं। मन्त्र अपने इष्ट को याद करना और उनके प्रति समर्पण दिखाना है। मंत्र और स्त्रोत में अंतर है की स्त्रोत को गाया जाता है जबकि मन्त्र को एक पूर्व निश्चित लय में जपा जाता है। 

    बीज मंत्र क्या होता है : देवी देवताओं के मूल मंत्र को बीज मन्त्र कहते हैं। सभी देवी देवताओं के बीज मन्त्र हैं। समस्त वैदिक मन्त्रों का सार बीज मन्त्रों को माना गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार सबसे प्रधान बीज मन्त्र ॐ को माना गया है। ॐ को अन्य मन्त्रों के साथ प्रयोग किया जाता है क्यों की यह अन्य मन्त्रों को उत्प्रेरित कर देता है। बीज मंत्रो से देव जल्दी प्रशन्न होते हैं और अपने भक्तों पर शीघ्र दया करते हैं। जीवन में कैसी भी परेशानी हो यथा आर्थिक, सामजिक या सेहत से जुडी हुयी कोई समस्या ही क्यों ना हो बीज मन्त्रों के जाप से सभी संकट दूर होते हैं।

    स्त्रोत और मंत्र जाप के लाभ : चाहे मन्त्र हो या फिर स्त्रोत इनके जाप से देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में मन्त्रों की महिमा का विस्तार से वर्णन है। श्रष्टि में ऐसा कुछ भी नहीं है जो मन्त्रों से प्राप्त ना किया जा सके, आवश्यक है साधक के द्वारा सही जाप विधि और कल्याण की भावना। बीज मंत्रों के जाप से विशेष फायदे होते हैं। यदि किसी मंत्र के बीज मंत्र का जाप किया जाय तो इसका प्रभाव और अत्यधिक बढ़ जाता है। वैज्ञानिक स्तर पर भी इसे परखा गया है। मंत्र जाप से छुपी हुयी शक्तियों का संचार होता है। मस्तिष्क के विशेष भाग सक्रीय होते है। मन्त्र जाप इतना प्रभावशाली है कि इससे भाग्य की रेखाओं को भी बदला जा सकता है। यदि बीज मन्त्रों को समझ कर इनका जाप निष्ठां से किया जाय तो असाध्य रोगो से छुटकारा मिलता है। मन्त्रों के सम्बन्ध में ज्ञानी लोगों की मान्यता है की यदि सही विधि से इनका जाप किया जाय तो बिना किसी औषधि की असाध्य रोग भी दूर हो सकते हैं। विशेषज्ञ और गुरु की राय से राशि के अनुसार मन्त्रों के जाप का लाभ और अधिक बढ़ जाता है। 

    विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए पृथक से मन्त्र हैं जिनके जाप से निश्चित ही लाभ मिलता है। मंत्र दो अक्षरों से मिलकर बना है मन और त्र। तो इसका शाब्दिक अर्थ हुआ की मन से बुरे विचारों को निकाल कर शुभ विचारों को मन में भरना। जब मन में ईश्वर के सम्बंधित अच्छे विचारों का उदय होता है तो रोग और नकारात्मकता सम्बन्धी विचार दूर होते चले जाते है। वेदों का प्रत्येक श्लोक एक मन्त्र ही है। मन्त्र के जाप से एक तरंग का निर्माण होता है जो की सम्पूर्ण वायुमंडल में व्याप्त हो जाता है और छिपी हुयी शक्तियों को जाग्रत कर लाभ प्रदान करता है। 

    विभिन्न मन्त्र और उनके लाभ :
    • ॐ गं गणपतये नमः : इस मंत्र के जाप से व्यापार लाभ, संतान प्राप्ति, विवाह आदि में लाभ प्राप्त होता है।
    • ॐ हृीं नमः : इस मन्त्र के जाप से धन प्राप्ति होती है।
    • ॐ नमः शिवाय : यह दिव्य मन्त्र जाप से शारीरिक और मानसिक कष्टों का निवारण होता है।
    • ॐ शांति प्रशांति सर्व क्रोधोपशमनि स्वाहा : इस मन्त्र के जाप से क्रोध शांत होता है।
    • ॐ हृीं श्रीं अर्ह नमः : इस मंत्र के जाप से सफलता प्राप्त होती है।
    • ॐ क्लिीं ॐ : इस मंत्र के जाप से रुके हुए कार्य सिद्ध होते हैं और बिगड़े काम बनते हैं।
    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय : इस मंत्र के जाप से आकस्मिक दुर्घटना से मुक्ति मिलती है।
    • ॐ हृीं हनुमते रुद्रात्म कायै हुं फटः : सामाजिक रुतबा बढ़ता है और पदोन्नति प्राप्त होती है।
    • ॐ हं पवन बंदनाय स्वाहा : भूत प्रेत और ऊपरी हवा से मुक्ति प्राप्त होती है।
    • ॐ भ्रां भ्रीं भौं सः राहवे नमः : परिवार में क्लेश दूर होता है और शांति बनी रहती है।
    • ॐ नम: शिवाय : इस मंत्र के जाप से आयु में वृद्धि होती है और शारीरिक रोग दोष दूर होते हैं।
    • ॐ महादेवाय नम: सामाजिक उन्नति और धन प्राप्ति के लिए यह मन्त्र उपयोगी है।
    • ॐ नम: शिवाय : इस मंत्र से पुत्र की प्राप्ति होती है।
    • ॐ नमो भगवते रुद्राय : मान सम्मान की प्राप्ति होती है और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
    • ॐ नमो भगवते रुद्राय : मोक्ष प्राप्ति हेतु।
    • ॐ महादेवाय नम: घर और वाहन की प्राप्ति हेतु।
    • ॐ शंकराय नम: दरिद्रता, रोग, भय, बन्धन, क्लेश नाश के लिए इस मंत्र का जाप करें।
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