नमस्तेऽस्तु लंबोदारायैकदंताय विघ्ननाशिने शिव सुताय। श्री वरदमूर्तये नमोनम:।।10।।
गणेश अथर्वशीर्ष: श्री गणेश जी पूजा धन धान्य, समृद्धि, मान सम्मान और सभी सुख सुविधाओं के लिए किया जाता है। प्रत्येक शुभ कार्य के लिए सर्प्रथम गणेश पूजा की जाती है। नित्य प्रतिदिन श्री गणेश की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। श्री गणेश जी के कई प्रकार के श्लोक और मंत्र हैं जिनके माध्यम से श्री गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है लेकिन "श्री गणपति अथर्वशीर्ष" का अपना महत्त्व है। प्रतिदिन श्री गणपति अथर्वशीर्ष की आराधना से श्री गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। श्री गणपति अथर्वशीस का पाठ प्रतिदिन सुद्ध होकर किया जाना चाहिए।
क्या है श्री गणेश अथर्वशीर्ष और इसके लाभ
वैसे तो श्री गणेश जी को प्रशन्न करने के कई तरह के मंत्र और आरती आदि हैं लेकिन उन सभी में श्री गणेश अथर्वशीर्ष प्रमुख है। श्री गणेश अथर्वशीर्ष श्री गणेश जी की वैदिक स्तुति है। इसमें श्री गणेश जी के आह्वान से लेकर ध्यान और शुभ फल आदि का वर्णन है। यह व्यक्ति के धार्मिक जीवन के कष्टों को दूर करने के साथ साथ व्यावहारिक जीवन में आने वाले संकटो को भी दूर करता है। श्री गणेश जन्मोत्सव के समय इसका पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। यदि आपकी कुंडली में बुध गृह का नकारात्मक प्रभाव है, जीवन में धन धान्य का अभाव है, क्रूर गृह बनते कार्य बिगाड़ रहे हैं, व्यापार में लाभ की प्राप्ति नहीं हो रही है, आर्थिक समस्याएं घर कर गयी हैं तो बुध गृह जाप, गणेश जी के मंत्र पाठ के साथ ही बुधवार के रोज व्रत से लाभ होता है। यह लाभ और भी बढ़ जाता है यदि गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर व्रत किया जाय। समस्त ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को गणेश जी हर लेते हैं इसलिए ही श्री गणेश जी को विघ्न हर्ता कहा जाता है।
गणेश अथर्वशीर्ष (Ganpati Atharvashirsha) क्या है ?
गणेश अथर्वशीर्ष भगवान श्री गणेश जी की स्तुति है, यह अराधना अत्यंत ही मंगलकारी और पावन मानी जाती है।
आपको बोध होना चाहिए की अथर्वशीर्ष शब्द का अर्थ होता है, अथर्ववेद का शिरोभाग चार वेद के चार भाग होते हैं यथा संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक तथा उपनिषद्। जिन्हें श्रुति कहा जाता है। अधिकांश उपनिषद् प्रायः आरण्यक भाग के अंश हैं 'अथर्वशीर्ष' उपनिषद् ही होते हैं और अथर्ववेद के अन्त में होते हैं।
गणेश अथर्वशीर्ष के नित्य पाठ सफलता, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
जातक के जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर होती हैं।
रिद्धि सिद्धि और जीवन वैभव की प्राप्ति होती है।
गणपति अथर्वशीर्ष का नित्य पाठ करे जिससे आपके शरीर की आंतरिक शुद्धि होगी और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होगा।
गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
जीवन में आने वाली बाधाएं श्री गणेश जी भगवान की कृपा से दूर होती हैं।
गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ कैसे करें ?
गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने के लिए शारीरिक शुद्धि के उपरान्त शांत स्थान पर आसन पर बैठकर पाठ करें। संकष्टी चतुर्थी के दिन शाम के समय 21 बार ये पाठ करने इसका फल अधिक प्राप्त होता है।
गणपति अथर्वशीर्ष का जाप कितनी बार करना है?
श्री गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए गणपति अथर्वशीर्ष का 11 या 21 बार पाठ करना श्रेष्ठ होता है।
Ganpati Atharvashirsha गणपती अथर्वशीर्ष - Suresh Wadkar | Ganesh Songs, Bhakti Song | Atharvashirsha
श्री गणपति अथर्वशीर्ष के रचियता कौन हैं ?
श्री गणपति अथर्वशीर्ष को अथर्व ऋषि ने लिखा था।
गणेश को अथर्व क्यों कहा जाता है?
भगवान गणेश अथर्व कहा जाता है क्योंकि वे अत्यंत ही दूरदर्शिता और शक्तिशाली हैं। गणपति अथर्वशीर्ष एक बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करता है और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है। गणपति अथर्वशीर्ष में 10 ऋचाएं हैं। प्रत्येक ऋचा में भगवान गणेश के एक अलग गुण या विशेषता का वर्णन किया गया है। स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और वह सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं से मुक्त हो जाता है।
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