कुबेर अष्टोत्तर शतमावली Kubera Ashtottara Shatanamavali

कुबेर अष्टोत्तर शतमावली कुबेर अष्टोत्तर शतनामावली 108 नाम Kubera Ashtottara Shatanamavali

 
कुबेर अष्टोत्तर शतमावली Kubera Ashtottara Shatanamavali

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कुबेर एक साधारण व्यक्ति थे और देखने में साधारण, लेकिन शिवजी के प्रबल भक्त। कई वर्षों की कठिन तपस्या के बाद भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और कुबेर को उनकी भक्ति के फलस्वरूप पूरे संसार की संपत्ति का कार्यवाहक नियुक्त कर दिया। पहले मामूली जीवन जीने वाले कुबेर इस वरदान से अति प्रसन्न हुए, लेकिन शीघ्र ही इस धन के कारण उनमें लालच और अहंकार उत्पन्न हो गया। 
 
अधिकाधिक धन संचय की इच्छा में, वे यह भूल गए कि वे केवल खजाने के रक्षक हैं, मालिक नहीं। भगवान शिव को जब कुबेर के इस लालच का पता चला, तो उन्हें शिक्षा देने के लिए भगवान गणेश को उनके भोज में भेजा। गणेश ने कुबेर के सारे भोज, खजाना और महल तक खा लिया। तब कुबेर ने अपनी गलती का अहसास किया और माफी मांगी। इसके पश्चात कुबेर ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग न करने की प्रतिज्ञा ली, और तब से उन्हें धन के देवता के रूप में पूजा जाने लगा।

भगवान कुबेर को देवताओं के कोषाध्यक्ष और यक्षों के राजा के रूप में माना जाता है। वे समृद्धि, गौरव और धन के सच्चे प्रतीक हैं। कुबेर सम्पूर्ण ब्रह्मांड के खजानों की सुरक्षा और देखरेख करते हैं और उन्हें धन का संरक्षक भी माना जाता है। वह ऋषि विश्रवा और माता इलविडा के पुत्र हैं और उनकी पत्नी कौबेरी है, जिन्हें भद्र और चारवी के नाम से भी जाना जाता है। कुबेर का रूप विचित्र है - संस्कृत में 'कुबेर' का अर्थ ही विकृत आकार होता है। उन्हें मोटे, छोटे और बौने स्वरूप में दर्शाया गया है, जिनके तीन पैर हैं, केवल आठ दांत हैं और एक पीली बाईं आंख है। वे प्रायः सोने के सिक्कों से भरा पात्र या थैला लिए और आभूषणों से सजे होते हैं, जो उनके धन और वैभव का प्रतीक है।
 

॥ श्री कुबॆर अष्टॊत्तर शतनामावलि ॥

ॐ कुबॆराय नमः ।
ॐ धनदाय नमः ।
ॐ श्रीमदॆ नमः ।
ॐ यक्षॆशाय नमः ।
ॐ गुह्यकॆश्वराय नमः ।
ॐ निधीशाय नमः ।
ॐ शंकरसखाय नमः ।
ॐ महालक्ष्मीनिवासभुवयॆ नमः ।
ॐ महापद्मनिधीशाय नमः ।
ॐ पूर्णाय नमः ॥ १० ॥

ॐ पद्मनिधीश्वराय नमः ।
ॐ शंखाख्य निधिनाथाय नमः ।
ॐ मकराख्यनिधिप्रियाय नमः ।
ॐ सुखछाप निधिनायकाय नमः ।
ॐ मुकुंदनिधिनायकाय नमः ।
ॐ कुंदाक्यनिधिनाथाय नमः ।
ॐ नीलनित्याधिपाय नमः ।
ॐ महतॆ नमः ।
ॐ वरनित्याधिपाय नमः ।
ॐ पूज्याय नमः ॥ २० ॥

ॐ लक्ष्मीसाम्राज्यदायकाय नमः ।
ॐ इलपिलापतयॆ नमः ।
ॐ कॊशाधीशाय नमः ।
ॐ कुलॊधीशाय नमः ।
ॐ अश्वरूपाय नमः ।
ॐ विश्ववंद्याय नमः ।
ॐ विशॆषज्ञानाय नमः ।
ॐ विशारदाय नमः ।
ॐ नळकूभरनाथाय नमः ।
ॐ मणिग्रीवपित्रॆ नमः ॥ ३० ॥

ॐ गूढमंत्राय नमः ।
ॐ वैश्रवणाय नमः ।
ॐ चित्रलॆखामनप्रियाय नमः ।
ॐ ऎकपिंकाय नमः ।
ॐ अलकाधीशाय नमः ।
ॐ पौलस्त्याय नमः ।
ॐ नरवाहनाय नमः ।
ॐ कैलासशैलनिलयाय नमः ।
ॐ राज्यदाय नमः ।
ॐ रावणाग्रजाय नमः ॥ ४० ॥

ॐ चित्रचैत्ररथाय नमः ।
ॐ उद्यानविहाराय नमः ।
ॐ सुकुतूहलाय नमः ।
ॐ महॊत्सहाय नमः ।
ॐ महाप्राज्ञाय नमः ।
ॐ सदापुष्पकवाहनाय नमः ।
ॐ सार्वभ्ॐआय नमः ।
ॐ अंगनाथाय नमः ।
ॐ सॊमाय नमः ।
ॐ स्ॐयदिकॆश्वराय नमः ।
ॐ पुण्यात्मनॆ नमः ॥ ५० ॥

ॐ पुरूहतश्रीयै नमः ।
ॐ सर्वपुण्यजनॆश्वराय नमः ।
ॐ नित्यकीर्तयॆ नमः ।
ॐ लंकाप्राक्तन नायकाय नमः ।
ॐ यक्षाय नमः ।
ॐ परमशांतात्मनॆ नमः ।
ॐ यक्षराजॆ नमः ।
ॐ यक्षिणिविरुत्ताय नमः ।
ॐ किन्नरॆश्वराय नमः ।
ॐ किंपुरुषनाथाय नमः ॥ ६० ॥

ॐ खड्गायुधाय नमः ।
ॐ वशिनॆ नमः ।
ॐ ईशानदक्षपार्श्वस्थाय नमः ।
ॐ वायुनामसमाश्रयाय नमः ।
ॐ धर्ममार्गैकनिरताय नमः ।
ॐ धर्मसंमुखसंस्थिताय नमः ।
ॐ नित्यॆश्वराय नमः ।
ॐ धनाध्यक्षाय नमः ।
ॐ अष्टलक्ष्म्याश्रीतालयाय नमः ।
ॐ मनुष्यधर्मण्यॆ नमः ॥ ७० ॥

ॐ सकृताय नमः ।
ॐ कॊशलक्ष्मीसमाश्रिताय नमः ।
ॐ धनलक्ष्मीनित्यवासाय नमः ।
ॐ धान्यलक्ष्मीनिवासभुवयॆ नमः ।
ॐ अश्वलक्ष्मीसदावासाय नमः ।
ॐ गजलक्ष्मीस्थिरालयाय नमः ।
ॐ राज्यलक्ष्मीजन्मगॆहाय नमः ।
ॐ धैर्यलक्ष्मीकृपाश्रयाय नमः ।
ॐ अखंडैश्वर्यसंयुक्ताय नमः ।
ॐ नित्यानंदाय नमः ॥ ८० ॥

ॐ सुखाश्रयाय नमः ।
ॐ नित्यतृप्ताय नमः ।
ॐ निधिवॆत्रॆ नमः ।
ॐ निराशाय नमः ।
ॐ निरुपद्रवाय नमः ।
ॐ नित्यकामाय नमः ।
ॐ निराकांक्षाय नमः ।
ॐ निरुपाधिकवासभुवयॆ नमः ।
ॐ शांताय नमः ।
ॐ सर्वगुणॊपॆताय नमः ॥ ९० ॥

ॐ सर्वज्ञाय नमः ।
ॐ सर्वसम्मताय नमः ।
ॐ सर्वाणिकरुणापात्राय नमः ।
ॐ सदानंद कृपालयाय नमः ।
ॐ गंधर्वकुलसंसॆव्याय नमः ।
ॐ सौगंधिक कुसुमप्रियाय नमः ।
ॐ स्वर्णनगरीवासाय नमः ।
ॐ निधिपीठसमाश्रिताय नमः ।
ॐ महामॆरुद्रास्तायनॆ नमः ।
ॐ महर्षीगणसंस्तुताय नमः ॥ १०० ॥

ॐ तुष्टाय नमः ।
ॐ शूर्पणका ज्य़ॆष्ठाय नमः ।
ॐ शिवपूजारथाय नमः ।
ॐ अनघाय नमः ।
ॐ राजयॊगसमायुक्ताय नमः ।
ॐ राजशॆखरपूजयॆ नमः ।
ॐ राजराजाय नमः ।
ॐ कुबॆराय नमः ॥ १०८ ॥

॥ इती श्री कुबॆर अष्टॊत्तर शतनामावलिः संपूर्णम्‌ ॥

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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