स्तनपान कब शुरू करें Breastfeeding when to start Breastfeeding FAQs
स्तनपान शिशु के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है। शिशु को यह क्षमता माँ के दूध से ही प्राप्त होती है, इसलिए स्तनपान के अलावा अन्य कोई भी माध्यम माँ के दूध का विकल्प नहीं हो सकता है। आइये जानते हैं स्तनपान से सबंधी जानकारियों के बारे में। शिशु पहले 30 से 60 मिनट के दौरान सर्वाधिक सक्रिय रहता है और उस समय उसके चूसने की शक्ति सबसे अधिक रहती है। विशेष बात है की शिशु को छह माह तक केवन स्तनपान और छह माह के उपरांत दो वर्ष तक सप्लीमेंट्स के साथ शिशु को स्तनपान करवाया जाना चाहिए। साधारणतया यदि माँ को कोई बीमारी हो तो भी शिशु को दूध पिलाना चाहिए। टायफायड, मलेरिया, यक्ष्मा, पीलिया और कुष्ठ रोग आदि के दौरान भी डॉक्टर की सलाह के उपरांत दूध पिलाना चाहिए।
स्तनपान कब शुरू किया जाना चाहिए When to Start Breastfeeding
स्तनपान जन्म के एक घंटे के उपरांत कर देना चाहिए। यदि शल्य क्रिया से शिशु पैदा होता है तो शल्य क्रिया में बेहोश के लिए उपयोग में ली जाने वाली दवा के चार घंटे उपरांत या फिर डॉक्टर की सलाह से दूध पिलाया जाना चाहिए।
ऑपरेशन (शल्य क्रिया ) से उत्पन्न माँ को शिशु को कब स्तनपान करवाना चाहिए
शल्य क्रिया के उपरांत माँ को लगभग चार घंटे बाद या अनिस्थितिया से बाहर आने के बाद स्तनपान करवाना चाहिए। स्तनपान में नर्स की सहायता लें और डॉक्टर से परामर्श लेने के उपरांत स्तनपान शुरू करवाएं।
कोलोस्ट्रम क्या है? तथा यह बच्चे के लिए कैसे लाभदायक हैं
कोलोस्ट्रम शिशु के जन्म के बाद उत्पन्न माँ का पहला दूध होता है। इस दूध का रंग पीला होता है। माँ का यह दूध लगभग ४०० पोषक तत्वों से भरपूर होता है। माँ के इस दूध से नवजात शिशु को पोषण मिलता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। माँ का यह दूध पोषक तत्वों और एंटीबॉडिज़ से भरपूर होता है, यह बच्चे को बीमारी और संक्रमण से भी बचाता है। पीले रंग का द्रव, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, शिशु को संक्रमण से बचाने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का सबसे अच्छा उपाय है।
स्तनपान शिशु के लिए आवश्यक क्यों होता है
माँ का दूध शिशु के लिए किसी अमृत से कम नहीं होता है। इसमें समस्त पोषक तत्व और शिशु के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर होता है। यह शिशु को उचित पोषण प्रदान करता है। शिशु के प्रथम एक वर्ष की आयु तक माँ का दूध आवश्यक होता है जो उसके शरीर को स्ट्रांग बनाता है और। इस अवधि में संक्रमण की सबसे अधिक आशंका बनी रहती है इसलिए माँ के दूध का कोई विकल्प नहीं होता है। कामकाजी महिलायें अक्सर बोतल का दूध पिलाने लग जाती है जो शिशु के लिए किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं होता है। प्रतिवर्ष में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है जिसका उद्देश्य लोगों को स्तनपान के सबंध में जागरूक करना होता है। माँ के दूध से शिशु संक्रामक रोगो से बचा रह सकता है। माँ का दूध डायरिया, दस्त एक्यूट, ओटिटिस मीडिया और श्वसन संक्रमण में दन्तक्षय और दांतों की अपूर्ण स्थिति की रोकथाम में सहयोगी होता है। ऐसा नहीं है की स्तनपान से केवल शिशु को ही लाभ होता है अपितु स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में कैंसर की सम्भावना भी कम हो जाती है। माँ को उच्च रक्चाप की समस्या भी नहीं होती है।
स्तनपान से शिशु को तो लाभ मिलता ही है इसके अलावा स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को भी इसका लाभ मिलता है। ताजा शोध में यह बात सामने होकर आयी है की अवसाद, हृदय से सबंधित रोग, स्तन कैंसर, कैंसर-डिम्बग्रंथि के कैंसर और स्तन कैंसरआदि की से स्तनपान करवाने से लाभ मिलता है। प्रसव के उपरांत स्तनपान तत्काल शुरू करने से स्तनों में सूजन या प्रसवोत्तर रक्तस्राव की शिकायत नहीं होती।
नवजात शिशु को जन्म के तुरंत बाद से लेकर छह माह तक स्तनपान करवाना चाहिए। छह माह के उपरांत जब शिशु अपनी गर्दन सँभालने लग जाये और बैठने की और अग्रसर होने लगे तो शिशु को सप्लीमेंटरी आहार के साथ ०२ वर्ष तक जारी रखना चाहिए। जब तक शिशु ०२ वर्ष का ना हो जाय तब तक या इससे अधिक समय तक भी इसे चालू रखा जा सकता है। धीरे धीरे स्तनपान के प्रति शिशु की भी रूचि कुछ कम हो जाती है। इसलिए यह सलाह दी जाती है की जब तक माँ दूध पिला सकने में सक्षम हो या जब तक शिशु दूध पिए तब तक दो वर्ष तक शिशु को दूध पिलाना श्रेयकर होता है।
यह सुद्ध रूप से शिशु की भूख पर निर्भर करता है। दिन में छह से १८ बार तक बच्चा दूध का सेवन कर सकता है। यह कोई नियम नहीं होता है यह शिशु की भूख पर निर्भर करता है। माँ को कोशिश करनी चाहिए की जब भी शिशु को स्तनपान करवाएं उसे शोरगुल से दूर स्थान पर तसल्ली से स्तनपान करवाएं। यह भी सुनिश्चित करें की शिशु को उचित अवस्था में रखे। अनकम्फर्टेबले पोजीशन में शिशु दूध पिने पर ध्यान नहीं लगा पाता है और चिड़चिड़ा होकर बार बार रोने लगता है।
स्तनपान कैसे कराया जाता है, गोदी में करवाएं या फिर सो कर ?
दोनों ही अवस्था में स्तनपान करवाया जा सकता है। आपको विशेष रूप से यह ध्यान रखना चाहिए की शिशु और माँ की अवस्था सही बनी रहे। शिशु को आसानी से निप्पल मुंह में आ जाए और उसका शरीर भी सीधा रहे। करवट ले कर सोने की अवस्था में दूध पिलाते वक़्त शिशु की गर्दन के निचे छोटा तकिया रखें। सीजेरियन विधि से शिशु को जन्म देनेवाली माताएँ पहले कुछ दिन तक नर्स की मदद से अपने शिशु को सफलतापूर्वक स्तनपान करा सकती हैं।
कोशिश की जानी चाहिए की एक बार में एक स्तन का पूरा दूध पिलाया जाय। क्यों की शुरू में दूध गाढ़ा आता है और बाद में वसायुक्त पतला दूध आता है। शिशु को जब पतला दूध नहीं मिलता है तो वह चिड़चिड़ा होकर रोने लगता है। इसलिए पहले एक स्तन का दूध पिलायें और अगर शिशु इससे संतुष्ट नहीं होता है तो दूसरे स्तन का भी दूध दिया जा सकता है।
स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को का आहार क्या होना चाहिए ?
स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर भोजन करना चाहिए। हरी सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करें। डॉक्टर की सलाह से फलों का सेवन करें।
क्या स्तनपान के दौरान अल्कोहोल या सिगरेट का सेवन किया जा सकता है ?
स्तनपान के दौरान तम्बाकू, सिगरेट, और शराब का सेवन नहीं किया जाना चाहिए। इससे शिशु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
स्तनपान के दौरान क्या माँ को पहले से किसी रोग की चल रही दवा को लेते रहना चाहिए ?
स्तनपान के दौरान दवाओं के उपयोग से बचा जाना चाहिए। यदि कोई विशेष रोग हो तो डॉक्टर की सलाह लें।
क्या माँ के दूध को संगृहीत किया जा सकता है ?
सर्प्रथम तो यह कोशिश की जानी चाहिए की माँ का दूध सीधे शिशु को पिलाया जाय। यदि कोई विशेष परिस्थिति हो तो डॉक्टर की सलाह के उपरांत इसे बिजली के पंप या फिर मैन्युअल पम्प की सहायता से माँ के दूध को निकालकर इसे रेफ्रिजरेटर में स्टोर करें। दूध पिलाने से पहले उसे हल्का गुनगुना कर लें। लेकिन ये कोई आदर्श स्थिति नहीं होती है, जहाँ तक संभव हो इससे बचना चाहिए।
क्या लगातार स्तनपान करवाने से ख़राब दूध पैदा होता है ?
नहीं यह एक मिथक होता है। माँ का दूध सदा शिशु के लिए लाभदायी होता है। लगातार स्तनपान से इसकी गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं होता है।
क्या माँ का पहला गाढ़ा दूध शिशु के लिए अच्छा नहीं होता है ?
नहीं, यह कोरा मिथक है। वास्तविकता यह है की माँ का पहला दूध (कोलोस्ट्रम) शिशु के लिए किसी अमृत से कम नहीं होता है।
स्तन का लम्प क्या होता है ?
स्तन जब किसी कारण से निप्पल से बंद हो जाय तो स्तन लम्प होना होता है इसमें दूध बाहर नहीं निकल पाटा है। ऐसी स्थिति में गर्म पानी से स्तन को साफ़ किया जाना चाहिए। लगातार लम्प होने पर डॉक्टर की सलाह लेवें अन्यथा स्तन में संक्रमण की सम्भावना बनी रहती है। आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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