नवजात शिशु स्तनपान टिप्स स्तनपान सबंधी जानकारी Breastfeeding Tips
नवजात शिशु को स्तनपान करवाने के कोई ख़ास नियम तो नहीं होते फिर भी आप दिए गए टिप्स को ध्यान में रखते हैं तो अवश्य ही लाभदायी स्टेप होता। नवजात शिशु को स्तनपान करवाना सबसे उत्तम माना गया है। स्तनपान से शिशु को पूर्ण पोषण प्राप्त होता है और अन्य किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। डॉक्टर्स के अनुसार इसमें लगभग 400 प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो शिशु के सर्वांगीर्ण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन से जारी दिशा निर्देशों के अनुसार प्रथम छह माह तक आवश्यक रूप से स्तनपान करवाया जाना चाहिए।
शिशु को स्तनपान सबंधी टिप्स : नवजात शिशु स्तनपान टिप्स स्तनपान सबंधी जानकारी
शिशु की हरकतों पर विशेष ध्यान दें। शिशु को भूख लगने पर वह अपने हाथों को अपने मुंह की तरफ ले जाता है, रोने लगता है, हाथों को चूसने का प्रयास करना और सक्रीय होकर इधर उधर देखना। आप शिशु की हरकतों को देखें घडी की तरफ नहीं देखें।
शिशु को स्तनपान करवाने में जल्दबाजी कभी ना करें। सबसे पहले यह जान लें की शिशु को कम से कम दस से पंद्रह मिनट का समय लग सकता है, इसलिए सही स्थान का चयन करें जहाँ माँ कम्फर्टेबल होकर शिशु को स्तनपान करवा सके। आप कई स्थानों का चयन कर सकते हैं और फिर उनमे श्रेष्ठ जगह का चयन करें।
शिशु को स्तनपान करवाने के लिए उसके गर्दन और सर पर पीछे की तरफ से हाथ रखें और दूसरे हाथ से पीठ का सहारा देते हुए स्तनपान करने के लिए उठायें। शिशु को उठाते समय विशेष सावधानी का इस्तेमाल करें। शिशु को गोद में सुलाकर स्तन पान करवाने के लिए तकिये का इस्तेमाल किया जाना जाहिए जिससे सपोर्ट मिले।
ध्यान रखें की स्तनपान करवाते वक़्त शिशु आरामदायक स्थिति में रहे अन्यथा वह दूध पिने पर फोकस नहीं कर पायेगा और स्तन छोड़कर बीज बीज में रोने लगेगा और पूरा दूध नहीं पियेगा। बैठकर दूध पिलाने के लिए गोद में तकिये का इस्तेमाल करें और अपने पैरों के निचे कोई छोटा स्टूल रखकर उन्हें ऊपर उठायें।
स्तनपान के वक़्त तय किये गए स्थान पर किसी प्रकार का शोरगुल ना हो इसका विशेष रूप से ध्यान रखें। शोरगुल के स्थान पर शिशु का ध्यान भंग हो सकता है और वो दूध पीने में ध्यान नहीं रख पाता है। इससे उसकी भूख पूर्ण रूप से शांत नहीं हो पाती है।
स्तनपान करवाते वक़्त ध्यान दीजिये की बार बार स्तन को बदलें नहीं। जहाँ तक हो सके एक स्तन से पूरा दूध पिलाना चाहिए। स्तन बदल देने पर आखिर में आने वाले वसायुक्त दूध से शिशु वंचित रह जाता है और शिशु चिड़चिड़ा होकर रोने लग जाता है।
यदि आपका शिशु एक स्तन से संतुष ना हो तो दूसरे स्तन का दूध पिलायें लेकिन उसे बीच में डकार अवश्य दिलवाएं। डकार दिलवाने से बाद में शिशु मुंह से वापस दूध की उलटी नहीं करता है।
ब्रा का विशेष ध्यान रखें और कोमल ब्रा का इस्तेमाल करें ताकि उसे खोलने में आसानी रहे।
ब्रा के टाइट रहने पर दूध सही से नहीं आता है और स्तन सबंधी विकार हो सकते हैं।
स्तनों की स्वछता का विशेष ध्यान रखें और यदि स्तन से दूध रिस रहा हो तो ब्रा को समय समय पर बदल कर स्तनों को स्वच्छ करें।
स्तनपान के समय मोबाइल का उपयोग नहीं करें और टीवी नहीं चलाएं। ऐसा करने से माँ का ध्यान स्तनपान पर नहीं रहता है और शिशु कई बार भूखा ही रह जाता है।
कई बार शिशु ज्यादा दूध पी लेता है और उसे उलटी आती है इसलिए शिशु की खुराक का ध्यान रखे। आपको यह ध्यान रखना होगा की ना तो शिशु भूखा रहे और ना ही ओवर ब्रैस्टफीडिंग हो।
बाजार में स्तनपान के उद्देश्य से विशेष ब्रा आती है जिनका उपयोग सुविधाजनक होता है।
स्तनों को साफ़ करने के लिए कॉटन के साफ़ कपडे का चयन करें।
स्तनों को स्तनपान करने से पहले साफ़ कर लेना श्रेयकर होता है। कई बार अस्वछता से स्तन के निप्पल पर पसीना और दूध जमने से कीटाणु पैदा हो जाते हैं जो शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
नहाते समय साबुन का विशेष ध्यान रखे। साबुन से निप्पल कड़े हो सकते हैं और ध्यान रखे की उनमे साबुन का कोई अंश बचा ना रह जाय।
स्तनपान करवाते वक़्त सर को कभी पीछे से सीधा आगे की और ना धकेलें। इसके लिए उसके सर, गर्दन और पीठ के पीछे हाथ को फैलाकर सहारा देते हुए आगे की और लाएं।
निप्पल को शिशु मुंह में अच्छे से डाले। ध्यान रखे की आपका अंगूठा या फिर अंगुलियां बाधक ना बने।
शिशु पुरे दिन में आठ से बारह बार स्तनपान कर सकता है यह उसकी भूख पर निर्भर करता है।
जिन शिशु को अपनी माँ का दूध नहीं मिलता है वे शुरू से ही कमजोर हो जाते हैं और डाइबिटीज के शिकार हो जाते हैं। गाय का दूध वैसे तो लाभदायी होता है लेकिन छह माह तक तो सिर्फ माँ के दूध को ही पिलाना चाहिए। माँ के दूध के अभाव में बच्चे की बुद्धि का विकास नहीं हो पाता है।
बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना: स्तन के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे को संक्रमण से बचाते हैं। स्तनपान करने वाले बच्चों में श्वसन संक्रमण, कान के संक्रमण, और दस्त होने का खतरा कम होता है।
बच्चे के विकास और वृद्धि को बढ़ावा देना: स्तन के दूध में बच्चे के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। स्तनपान करने वाले बच्चों में वजन कम होने का खतरा कम होता है और वे अधिक स्वस्थ होते हैं।
मां और बच्चे के बीच संबंध को मजबूत करना: स्तनपान एक अंतरंग अनुभव है जो मां और बच्चे के बीच संबंध को मजबूत करता है। स्तनपान करने से मां और बच्चे के बीच एक विशेष बंधन बनता है।
स्तनपान शुरू करने के लिए सुझाव
जन्म के तुरंत बाद बच्चे को स्तनपान कराना शुरू करें। जन्म के तुरंत बाद बच्चे को माँ के स्तन पर लगाने से बच्चे को मां के दूध का पहला दूध, जो कोलोस्ट्रम कहलाता है, मिल जाता है। कोलोस्ट्रम में बच्चे के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व होते हैं और यह बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है।
बच्चे को जब भी वह भूखा हो, उसे स्तनपान कराएं। बच्चे को अपनी इच्छानुसार स्तनपान कराएं। बच्चे को जब भी वह भूखा हो, उसे स्तनपान कराने से बच्चे को पर्याप्त दूध मिल सकेगा और मां के दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा।
बच्चे को सही तरीके से दूध पिलाने के लिए किसी अनुभवी नर्स या स्तनपान विशेषज्ञ से सलाह लें। बच्चे को सही तरीके से दूध पिलाने से बच्चे को पर्याप्त दूध मिल सकेगा और मां को भी दर्द नहीं होगा।
स्तनपान के दौरान सुझाव
स्तनपान के दौरान आराम करें और पर्याप्त नींद लें। स्तनपान मां के लिए एक शारीरिक और भावनात्मक रूप से थका देने वाला अनुभव हो सकता है। इसलिए, स्तनपान के दौरान आराम करें और पर्याप्त नींद लें।
धूम्रपान और शराब से बचें। धूम्रपान और शराब स्तन के दूध के उत्पादन को प्रभावित कर सकती हैं।
स्तनपान के दौरान स्वस्थ आहार लें। स्वस्थ आहार लेने से मां के दूध में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है।
स्तनपान के सामान्य प्रश्न
स्तनपान के दौरान दर्द होना सामान्य है या नहीं?
हां, स्तनपान के दौरान दर्द होना सामान्य है। हालांकि, अगर दर्द बहुत अधिक हो या लगातार हो तो किसी अनुभवी नर्स या स्तनपान विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
स्तनपान के दौरान बच्चे को कब दूध पिलाना बंद कर देना चाहिए?
माँ और बच्चे की सहमति के आधार पर स्तनपान को किसी भी उम्र में बंद किया जा सकता है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सलाह है कि बच्चों को कम से कम 6 महीने तक केवल स्तनपान कराएं और फिर 2 साल तक स्तनपान के साथ-साथ ठोस आहार भी दें।
स्तनपान के लिए समर्थन
स्तनपान एक चुनौतीपूर्ण अनुभव हो सकता है। इसलिए, स्तनपान के दौरान मां को परिवार और दोस्तों का समर्थन बहुत जरूरी है। स्तनपान के लिए कई समर्थन समूह भी उपलब्ध हैं जो मां को स्तनपान के बारे में जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
स्तनपान बच्चे के लिए सबसे अच्छा पोषण है। स्तनपान के कई लाभ हैं, जिनमें बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना, उसके विकास और वृद्धि को बढ़ावा देना, और मां और बच्चे के बीच संबंध को मजबू
स्तनपान का महत्व
स्तनपान एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें एक महिला अपने बच्चे को अपनी छाती से निकलने वाले दूध से पोषण करती है। यह एक ऐसा संबंध है जो मां और बच्चे को एक साथ बांधता है। स्तनपान के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं:
बच्चे के लिए सबसे अच्छा पोषण: स्तन के दूध में सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं। स्तन का दूध बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है।
बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना: स्तन के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे को संक्रमण से बचाते हैं। स्तनपान करने वाले बच्चों में श्वसन संक्रमण, कान के संक्रमण, और दस्त होने का खतरा कम होता है।
बच्चे के विकास और वृद्धि को बढ़ावा देना: स्तन के दूध में बच्चे के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। स्तनपान करने वाले बच्चों में वजन कम होने का खतरा कम होता है और वे अधिक स्वस्थ होते हैं।
मां के लिए स्वास्थ्य लाभ: स्तनपान से मां को भी कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे कि स्तन कैंसर, ओवेरियन कैंसर, और टाइप 2 मधुमेह का खतरा कम होना।
स्तनपान एक चुनौतीपूर्ण अनुभव हो सकता है, लेकिन यह एक ऐसा अनुभव है जो मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद है। स्तनपान शुरू करने और जारी रखने में मदद के लिए कई संसाधन उपलब्ध हैं। स्तनपान बच्चे के लिए सबसे अच्छा पोषण है। यह बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, उसके विकास और वृद्धि को बढ़ावा देता है, और मां के लिए भी स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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