खांसी के घरेलू उपाय, लक्षण, कारण Khansi Ka Gharelu Upay, Ilaaj Home Remedies for Cough
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में बदलते पर्यावरण और आधुनिक खान-पान की वजह से शरीर को स्वस्थ रखना बहुत ही मुश्किल हो गया है। बदलते हुए मौसम में आमतौर पर सभी व्यक्ति थोड़े बीमार हो ही जाते हैं। खासकर बूढ़े और बच्चों को सर्दी खांसी होना आम बात है। तो आज हम जानेंगे बदलते मौसम से होने वाले सर्दी, जुखाम और खांसी से कैसे बचे। आज हम कुछ घरेलू उपाय के बारे में भी जानेंगे। जो हमें सर्दी खांसी से राहत प्रदान करने में सहायक होते हैं। आमतौर पर बदलते मौसम में सभी व्यक्तियों को मौसमी बीमारियां हो ही जाती है। खांसी को शुरुआत में ही उपचार करके दूर कर दिया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। अगर खांसी लंबे समय तक चलती हैं तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेकर उचित उपचार करना चाहिए। लंबे समय तक खांसी रहना चिंता का विषय है।
खांसी क्या है What is Cough in Hindi ?
खांसी एक सामान्य समस्या है जो असंतुलित वात, पित्त, और कफ के कारण होती है। शरीर में अनुचित आहार और अनुयायी जीवनशैली के कारण वात और कफ दोष हो सकते हैं, जो खांसी का कारण बनते हैं। आयुर्वेद के अनुसार खांसी मुख्यतः कफ दोष के कारण होती है।
खांसी आने के कारण Reasons for Coughing in Hindi
खांसी का इलाज/उपचार करने से पहले आइए जान लेते हैं कि खांसी के आने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं। इन कारणों को जानकर हम खांसी की समस्या को कम कर सकते हैं। आमतौर पर खांसी के कुछ कारण होते हैं। जिनसे व्यक्ति को खांसी आती है। कई बार किसी चीज की एलर्जी होने से खांसी आती है। तो कभी पर्यावरण प्रदूषण भी खांसी का कारण हो सकता है। कभी कभी टीबी जैसी बीमारियों में भी खांसी हो जाती है। रेस्पिरेट्री सिस्टम में इन्फेक्शन के कारण भी खांसी आती है। निमोनिया और दमा जैसी स्थिति में भी खांसी आती है। बदलते मौसम में भी खांसी आना एक आम बात है।
खांसी आने के कारण
खांसी आने के कारण
धूल मिट्टी से एलर्जी (Dust allergies): खांसी आने के कारण में धूल और मिट्टी से होने वाली एलर्जी एक सामान्य कारण है। धूल मिट्टी में मौजूद रेत, धूल अणु, और विषाणुओं के तत्व स्वांस के माध्यम से हमारे नाक, गले और श्वसन मार्ग में इरीटेशन पैदा करते हैं जिनके कारण से खांसी आने लगती है। इससे श्वसन मार्ग में इंफ्लेमेशन (सूजन) और खांसी आनी शुरू हो जाती है।
ट्यूबरक्लोसिस/टीबी Tuberculosis (TB).: ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रेस्पिरेटरी (श्वसन) सिस्टम को प्रभावित करता है जिसके कारण से खाँसी आती है। यदि आप इस विकार से ग्रसित हैं तो घरेलू उपाय के स्थान पर आपको चिकित्सक से उचित इलाज करवाना चाहिए।
पर्यावरण प्रदूषण Environmental pollution.: पर्यावरण प्रदूषण भी खांसी का एक प्रमुख कारण है। शहरों में हवा में गाड़ियों का धुआँ, कल कारखानों का धुंआ आदि शामिल होते हैं जिससे हवा की शुद्धता समाप्त हो जाती है।
दमा : Asthma दमा (अस्थमा) के कारण भी खांसी हो सकती है। दमा के रोगी को सांस लेने में दिक्क्त होती है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें खांसी आ सकती है। दमा से पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह के उपरान्त ही घरेलू उपाय अपनाने चाहिए।
श्वसन तंत्र के संक्रमण Respiratory tract infections. : श्वसन तंत्र के संक्रमण भी खांसी का एक कारण बनता है। श्वसन तंत्र के संक्रमण विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- नीमोनिया: यह फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण खांसी का कारण बन सकता है।
- ट्यूबरकुलोसिस (टीबी): यह बैक्टीरियल संक्रमण श्वसन तंत्र पर असर डालकर खांसी उत्पन्न कर सकता है।
- एलर्जी : प्रदूषण, धूल, धुएं, के संपर्क में आने पर श्वसन तंत्र की प्रतिक्रिया के रूप में खांसी हो सकती है।
- सामान्य सर्दी-जुकाम: श्वसन मार्ग में इन्फेक्शन या संक्रमण के कारण होने वाली सामान्य सर्दी और जुकाम भी खांसी का कारण बन सकते हैं।
ठंड लगना : विभिन्न कारणों से जब हम अधिक ठंडी हवा, पानी, खाद्य प्रदार्थों के संपर्क में आते हैं तो खांसी आने लगती है क्योंकि इससे शरीर का तापमान गिर जाता है। इसके अतिरिक्त ठंडी हवा में नमी की मात्रा भी अधिक होती है जिसके कारण से खांसी आने लगती है।
निमोनिया Pneumonia : निमोनिया (Pneumonia) के कारण खांसी (coughing) हो सकती है। यह संक्रमण सामान्यतः बैक्टीरिया, वाइरस या फंगस के द्वारा फेफड़ों में प्रवेश करके और सूजन उत्पन्न करने से होती है। इस सूजन के कारण खांसी हो सकती है।
बदलता मौसम (Changing weather) Varied weather conditions : जब मौसम में तेज बदलाव होता है, जैसे कि ठंडी या गर्मी के मौसम के दौरान, यह श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। इससे श्वसन मार्ग में सूजन और खांसी की परेशानी हो सकती है।
फेफड़ों का कैंसर (Lung cancer) : फेफड़ों के कैंसर के कारण श्वसन प्रणाली में बदलाव होता है और फेफड़ों में गांठें बन सकती हैं। यह गांठें खांसी के समय वायु मार्ग को अवरुद्ध कर सकती हैं, जिससे खांसी की तकलीफ होती है।
मुंह का सूखना (Dry mouth): मुंह का सूखना भी खांसी का कारण बनता है। मुंह का सूखना कई कारणों से हो सकता है यथा कब्ज, डायबिटीज, एचआईवी, शरीर में पानी की कमी आदि।
धूम्रपान करना (Smoking) Tobacco consumption : धूम्रपान करने से तम्बाकू के धुआं के कारण श्वसन प्रणाली में इंफ्लेमेशन (सूजन) होता है और फेफड़ों में अवरोध होता है। इससे खांसी और गले में खराश हो सकती है। तम्बाकू में मौजूद तत्व श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंचाते हैं।
काली खांसी (Persistent cough) Chronic cough काली खांसी आमतौर पर कफ (phlegm) के रूप में दिखाई देती है, जिसमें मौसम के परिवर्तन, धूल-मिट्टी, प्रदूषण, धूम्रपान आदि के कारण रंग की बदलाव होती है।
ठंडी वस्तुओं का सेवन (Exposure to cold substances) Consumption of cold items : ठंडी वस्तुओं का सेवन (Consuming cold substances) खांसी (cough) का एक कारण हो सकता है। ठंडी वस्तुओं के सेवन करने से श्वसन मार्ग में सूजन और इरिटेशन हो सकता है और यह खांसी का कारण बनता है। इससे गले में खराश और इंफ्लेमेशन (सूजन) हो सकती है।
आइसक्रीम का सेवन (Consumption of ice cream) Eating ice cream : आइसक्रीम से आपके गले में सूजन और इंफ्लेमेशन (सूजन) हो सकती है जो खांसी का कारण बनती है।
कोल्डड्रिंक का सेवन करना (Consumption of cold drinks) Drinking cold beverages : कोल्डड्रिंक से आपके गले में सूजन और इंफ्लेमेशन (सूजन) हो सकती है जो खांसी का कारण बनती है।
आपने जाना कि उपरोक्त कारणों से खांसी की समस्या हो सकती हैं। ऐसे कारणों से बचकर हम अपने आप को खांसी से दूर रख सकते हैं।
खांसी आने के लक्षण Symptoms of Coughing in Hindi
- खांसी होने पर गले में खराश और दर्द बना रहता है। खांसी के दौरान, श्वसन मार्ग में मौजूद विषाणुओं, हल्का सा बुखार, शरीर गर्म बना रहता है / Mild fever, body feels warm.
- सीने में कंजेशन/सीने में दर्द / Congestion/chest pain.
- खांसी आने से सिर दर्द होता है। / Headache occurs when coughing.
- खांसी आने पर हमें थकान महसूस होती है। / Coughing leads to fatigue.
- सीने में दर्द होने के साथ ही सांस लेने में भी परेशानी होती है। खांसी की समस्या में नाक बंद हो जाता है। / Along with chest pain, there is difficulty in breathing. Nasal congestion occurs in coughing problems.
- पर्याप्त रूप से ऑक्सीजन की पूर्ति ना होने पर नींद में कमी होती है। / Lack of sufficient oxygen supply leads to sleep disturbances.
- खाना खाने की इच्छा भी नहीं होती है। / Loss of appetite.
- गले में खराश होना / Sore throat.
- गले में दर्द होना / Throat pain.
- बुखार आना / Fever occurs.
- सिरदर्द / Headache.
- थकान होना / Fatigue.
- सीने में दर्द होना / Chest pain.
- सांस लेने में परेशानी होना / Difficulty in breathing.
- नाक बंद होना / Nasal congestion.
- उल्टी आना / Nausea.
- नींद न आना / Insomnia.
- सीने में जलन होना / Burning sensation in the chest.
- खाने की इच्छा न होना / Loss of appetite.
उपरोक्त लक्षण होने पर हम जान सकते हैं कि उस व्यक्ति को खांसी हो गई है।
आमतौर पर खांसी कई प्रकार की होती हैं। साधारण सर्दी जुखाम में होने वाली खांसी जल्दी ही सही हो जाती है। लेकिन अगर खांसी एक सप्ताह से ज्यादा समय तक आ रही है तो समय रहते ही खांसी का इलाज करना चाहिए। लंबे समय तक खांसी रहने के कारण दूसरी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं।
सामान्य खांसी (General Cough)
तीव्र खांसी (Acute cough)
सब एक्यूट खांसी (Sub Acute cough)
पुरानी खांसी (chronic cough)
आमतौर पर खांसी कई प्रकार की होती हैं। साधारण सर्दी जुखाम में होने वाली खांसी जल्दी ही सही हो जाती है। लेकिन अगर खांसी एक सप्ताह से ज्यादा समय तक आ रही है तो समय रहते ही खांसी का इलाज करना चाहिए। लंबे समय तक खांसी रहने के कारण दूसरी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं।
खांसी के प्रकार Kinds of Cough
सामान्य खांसी (General Cough)
यह खांसी बदलते मौसम के साथ होती है। कुछ समय पश्चात सही भी हो जाती है। अगर खांसी ज्यादा समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से उपचार करवाना चाहिए। भले ही खांसी साधारण हो लेकिन यदि खांसी लगातार बनी रहती है तो डॉक्टर से इसकी जांच अवश्य करवाएं क्योंकि खांसी के पीछे कई रोग पनप सकते हैं। खांसी फेफड़ों और स्वांस की नालियों में संक्रमण के कारण होती है। हमारा शरीर बाहरी प्रदार्थों को खांसी के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने का प्रयत्न करता है। इसके अतिरिक्त खांसी के कारण टॉन्सिल्स, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में संक्रमण, न्यूमोनिया, दिल की बीमारियां, बच्चों में पेट के कीड़ों के फेफड़ों में पहुंचने पर या फिर एसिडिटी आदि से भी खांसी हो सकती है।
तीव्र खांसी (Acute cough)
यह खांसी 2 से 3 सप्ताह तक चलती है। उचित उपचार के पश्चात यह खांसी दूर हो जाती है। लेकिन अगर खांसी 3 सप्ताह से भी अधिक तक बनी रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। तीव्र खांसी को 3 सप्ताह या उससे कम समय तक मौजूद होने वाली खांसी के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह अधिकांशतः श्वसन मार्ग के ऊपरी हिस्से या निचले श्वसन मार्ग के एक वायरल संक्रमण के कारण होती है।
सब एक्यूट खांसी (Sub Acute cough)
जब खांसी 2 से 3 हफ्ते बाद भी सही ना हो तो तुरंत डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए। कई बार तीव्र खांसी सही नहीं होने पर यह स्थिति हो जाती है। अगर एक महीने तक भी खांसी सही ना हो तो उसे सब एक्यूट खांसी कहा जाता है। उचित उपचार से यह खांसी 1 से 2 महीने में सही हो जाती है। अगर 2 महीने तक भी खांसी दूर नहीं हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करके इलाज करवाना चाहिए। जब खांसी सब एक्यूट खांसी (Sub Acute cough) हो तो यह श्वसन संक्रमण से संबंधित नहीं होती है।
पुरानी खांसी (chronic cough)
कई बार खांसी की समस्या बहुत ही लंबे समय तक रहती है। 2 से 3 महीने के पश्चात भी खांसी सही पूर्ण रूप से सही नहीं होती है। तो इसे ही पुरानी खांसी कहा जाता है। पुरानी खांसी होने पर जब तक सही ना हो डॉक्टर से उपचार जारी रखना चाहिए। पुरानी खांसी (chronic cough) कई अलग-अलग बीमारियों के कारण हो सकती है। पुरानी खांसी आठ सप्ताह से अधिक समय तक चलती है।
chronic cough का सबसे सामान्य कारण धूम्रपान होता है। हालांकि, अन्य आम कारण में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
- अस्थमा / Asthma
- एलर्जी / Allergy
- पोस्टनेसल ड्रिप / Postnasal drip
- गेस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) / Gastroesophageal reflux disease (GERD)
- सीओपीडी (श्वसन नलिका रोग) / COPD (Chronic Obstructive Pulmonary Disease)
- दवाओं, विशेष रूप से एसीई इंहिबिटर्स, का सेवन / Medications, especially ACE inhibitors, consumption
- फेफड़ों का कैंसर (दुर्लभ परिस्थितियों में ही) / Lung cancer (in rare circumstances)
कुक्कुर खांसी (whooping cough)
कुक्कुर खांसी यह खांसी गले और नाक में संक्रमण की वजह से होती है। यह खांसी सामान्यतः बच्चों में होती है। जो काफी समय तक रहती है। उचित उपचार से कुक्कुर खांसी को दूर किया जा सकता है। इस खांसी में बच्चे खांसी के बाद एक "व्हूपिंग" ध्वनि आती है। वास्तव में, यह केवल हल्की खांसी हो सकती है और बच्चे उल्टी करने (पोस्ट-टूसिव एमिसिस) तक खांसते हैं ।
सूखी खांसी (Dry cough)
सूखी खांसी पर्यावरण प्रदूषण के कारण होती हैं। पर्यावरण में धूल मिट्टी होने की वजह से यह खांसी होती है। इसमें हमेशा यह महसूस होता है कि गले में कुछ फंसा हुआ है। गले में खराश होना इसका एक लक्षण है। सूखी खांसी (non-productive cough) भोंक (bark) जैसी ध्वनि की तरह होती है, जबकि एक गीली खांसी (productive cough) कफ की खांसी जैसी होती है है। गीली खांसी या सूखी खांसी का अंतर इस पर है कि क्या यह बलगम पैदा हो रहा है या नहीं। सूखी खांसी में खांसी लगातार बनी रहती है और खांसते-खांसते पूरे पेट में और पसलियों में दर्द होने लगता है।
बलगम वाली खांसी (Wet cough)
बलगम वाली खांसी में खांसी के समय बलगम आता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से उपचार करवाना चाहिए। गीली खांसी (productive cough) वह खांसी है जो बलगम उत्पन्न करती है। यह ऐसा महसूस हो सकता है कि आपकी सीने या गले के पीछे कुछ फंस गया है। कभी-कभी गीली खांसी से बलगम मुंह में आता है। गीली खांसी यह दर्शाती है कि आपके शरीर में सामान्य से अधिक बलगम उत्पन्न हो रहा है।
खांसी के घरेलू इलाज Home Remedies of Cough in Hindi
आमतौर पर खांसी एक आम समस्या है। जिससे परिवार का कोई ना कोई सदस्य ग्रसित रहता ही है। इसलिए घरेलू उपाय उपाय जान करके आप खांसी की समस्या को दूर कर सकते हैं। खांसी के घरेलू इलाज को अपनाकर खांसी को दूर किया जा सकता है। आज हम कुछ ऐसे ही घरेलू इलाज उपचार के बारे में जानेंगे जिससे खांसी को दूर करने में सहायता मिलती है। तो आइए जानते हैं खांसी के घरेलू इलाज/उपचार-
गर्म पानी से गरारा करें Gargle with warm water
गर्म पानी (पीने योग्य) में आप एक चम्मच नमक को मिला लें और इससे सुबह शाम गरारा करें। इस विधि से आप सूखी खांसी में लाभ प्राप्त कर सकते हैं। गले में खराश और साइनस में भी यदि आप गरारा करते हैं तो आराम मिलता है। यह एक घरेलू तरीका है जिसके कोई दुष्परिणाम नहीं होते हैं और आपको गले में खरांस और खांसी में लाभ प्राप्त होता है। ऐसा करने से गले का संक्रमण दूर होता है। गरारे करने से श्वास नली के संक्रमण में कमी आती है। नमक के पानी से गरारा करने से खांसी में तुरंत राहत मिलती है। यह एक आयुर्वेदिक नुस्खा है जो प्राचीन काल से ही प्रयोग में लिया जाता रहा है।गर्म पानी की भाप लें Take steam of hot water.
एक बड़े पतीले में गर्म पानी करें। पानी उबलने पर उसमें एक चम्मच नमक, चार से पांच पत्ते तुलसी, एक छोटी चम्मच हल्दी डालकर उबाल लें। पानी उबलने पर गैस बंद कर दें। अब तौलिए से सिर ढककर भाप ले। आप दिन में दो बार भाप लें। ऐसा करने से नाक का संक्रमण दूर होता है। खांसी में भी राहत मिलती है। नाक बंद होने पर भाप लेने से तुरंत राहत मिलती है। भाप लेने के पश्चात आप कुछ समय तक ठंडी हवा से बचें। भाप लेने के लिए पहले पानी पानी उबाल लें और जब पानी से भाप निकलने लगे तो आप इसमें लौंग चूर्ण, सौंठ आदि को थोड़ी मात्रा में मिला लें। इसके उपरान्त गर्म पानी वाले पात्र को अपने सामने रख लें और लम्बे तौलिये से स्वंय के सर को ढक लें। लम्बी लम्बी साँस लेकर अब आप इस भाप को लें। भाप या स्टीम लेने से भाप आपके गले और नाक से गुजरती है जिससे फेफड़ों, स्वांस नली, गले में यदि कहीं कफ्फ चिपका हुआ है तो वह ढीला होकर आसानी से बाहर निकल आता है। भाप से उत्पन्न गर्मी से बेक्टेरिया भी समाप्त हो जाते हैं।
अदरक का रस और शहद का सेवन ginger juice and honey.
अदरक और शहद का सेवन करने से खांसी में बहुत ही राहत मिलती है। शहद में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल्स प्रॉपर्टीज खांसी को दूर करने में सहायक होते हैं। शहद और अदरक का सेवन करने से इंफेक्शन दूर होता है तथा खांसी में राहत प्राप्त होती हैं।
अदरक का रस और शहद का सेवन कैसे करें:
- एक चम्मच अदरक का रस,
- तथा दो चम्मच शहद मिलाकर धीरे-धीरे सेवन करें।
ऐसा करने से गले का संक्रमण दूर होता है और खांसी में राहत प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त आप अदरक का सीरप भी बना सकते हैं। अदरक का सीरप बनाने के लिए आधा चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर, एक बड़ा चम्मच सिरका और शहद को मिला लें। आप इसमें इसमें दो तीन चम्मच पानी मिलाकर सिरप तैयार कर लें और दिन में दो से तीन बार इस सीरप को लेने से खांसी में लाभ मिलता है।
लौंग का सेवन Consume cloves.
लौंग का सेवन करने से खांसी में काफी राहत मिलती है। लौंग एक्सपेक्टोरेंट की तरह कार्य करता है। सर्दी, जुखाम और खांसी की दवाइयों में लौंग का प्रयोग किया जाता है। खांसी आने पर आप लौंग को मुंह में रख सकते हैं। धीरे-धीरे इसे चबाकर खाने से खांसी में राहत प्राप्त होती हैं। इसके अलावा आप लौंग का सेवन नमक के साथ भी कर सकते हैं।
मुलेठी (यष्टिमधु) लौंग अडूसा (वासा) का काढ़ा licorice, cloves (laung), adusa/vasaka.
आप मुलेठी और अल्डुसा की दो मात्रा और लौंग की एक मात्रा को में लेकर इसका काढ़ा तैयार करें। काढ़ा के लिए आप एक गिलास पानी लें और इसमें तीनों के चूर्ण को डालकर इसे एक कप होने तक धीमी आंच पर उबालें। अब इसे ठंडा कर लें और गुनगुना होने पर आप इसे चाय की भाँती पीयें। उल्लेखनीय है की इन लौंग और अल्डुसा की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका उपयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद में आप वासारिष्ट, वासावलेह का उपयोग कर सकते हैं। कालीमिर्च -खांसी दूर करने के लिए Black pepper to relieve cough
काली मिर्च में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाये जाते हैं। जो खांसी रोकने में सहायक होते हैं। काली मिर्च संक्रमण को कम करती है। उल्लेखनीय है की कालीमिर्च बलगम की झिल्ली को ढीला कर छाती के कफ के जमाव को कम करती है।
कैसे करें काली मर्च का सेवन:
- 8 से 10 काली मिर्च पीसकर दो चम्मच शहद में मिलाएं। फिर धीरे-धीरे काली मिर्च और शहद के मिश्रण का सेवन करें। ऐसा करने से गले का संक्रमण दूर होता है। खांसी में राहत मिलती है।
- खांसी में राहत प्राप्त करने के लिए काली मिर्च और मिश्री का सेवन भी कर सकते हैं
- दो से तीन साबुत काली मिर्च आधे घंटे तक धीरे धीरे मुंह में रखकर चबाते रहें और धीरे धीरे इसको निगलते रहें। ऐसा करने से कालीमिर्च धीरे धीरे गले में जाती है और गले में जमा बलगम को दूर करती है।
- कालीमिर्च का स्वाद यदि आपको पसंद नहीं हो तो आप काली मिर्च / त्रिकटु चूर्ण का सेवन शहद के साथ कर सकते हैं।
लहसुन का सेवन खांसी दूर करने के लिए Garlic for cough
लहसुन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल प्रॉपर्टीज होती है। जिससे संक्रमण में राहत मिलती है।
कैसे करें लहसुन का सेवन:
लहसुन को आप सीधा (कच्चा) भी खा सकते हैं।
आप लहसुन की तीन से चार कलियां एक गिलास दूध में उबाल लें। गुनगुना होने पर दूध और लहसुन का सेवन करें। ऐसा करने से खांसी में राहत प्राप्त होती है। लहसुन में पायी जाने वाली एंटी बैक्टीरियल और एंटीवायरल प्रॉपर्टीज खांसी में राहत प्रदान करती हैं। लहसुन का सेवन करने से संक्रमण दूर होता है।
तुलसी का सेवन खांसी दूर करने के लिए Consuming Tulsi to get rid of cough
सर्दी खांसी और जुखाम में तुलसी के पत्तों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। तुलसी के पत्तों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन को दूर रखने के गुण होते हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफगल प्रॉपर्टी सर्दी खांसी और मौसमी बीमारियों को दूर करती हैं। उल्लेखनीय है की आप हरी तुलसी के स्थान पर श्यामा तुलसी का उपयोग करें जो अधिक प्रभावी होती है।
ऐसे करें तुलसी का सेवन:
तुलसी के चार से पांच पत्ते धोकर धीरे-धीरे चबाकर खाएं।
तुलसी के पत्तों के साथ ही इसके फूल, बीज, जड़ और तने का भी सेवन किया जाता है। उसके लिए इन सभी को मिक्स करके काढ़ा बनाया जाता है। एक चम्मच मिश्रण को एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें। पानी आधा रहने पर गैस बंद कर दे। गर्म काढ़े का सेवन करने से खांसी में तुरंत राहत प्राप्त होती है। श्यामा या काली तुलसी के रस को आप शहद में मिलाकर ले सकते हैं।
हल्दी खांसी दूर करने के लिए Turmeric to relieve cough
हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन संक्रमण को कम करता है। हल्दी का सेवन करना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक होता है।जैसा की हम जानते हैं की हल्दी में हल्दी में एंटीबैक्टेरियल, एन्टीवायरल एवं सूजनरोधी गुण होते हैं। यदि कच्ची हल्दी उपलब्ध है तो इसका छोटा टुकड़ा मुंह में रखें और धीरे धीरे इसे चूँसकर खाते रहें। ऐसा करने से खांसी शांत होती है और इसकी तासीर गर्म होने के कारण कफ ढीला होकर शरीर से बाहर निकलता है।
कैसे करें हल्दी का सेवन:
आप एक गिलास गर्म पानी में एक छोटा चम्मच हल्दी मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
इसके अलावा आप हल्दी वाले दूध का भी सेवन कर सकते हैं।
कैसे बनाएं हल्दी का दूध:
एक गिलास दूध में एक छोटा चम्मच हल्दी, स्वादानुसार चीनी डालकर 5 मिनट तक उबाल लें। गुनगुना होने पर इसका सेवन करें।
हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर होता है। खांसी की रोकथाम के लिए यह एक घरेलू उपाय है। खांसी में हल्दी का इस्तेमाल करने के लिए, आपको एक कप पानी में एक चम्मच हल्दी पाउडर और एक चम्मच काली मिर्च पाउडर को मिलाकर उबाल लें, आप इसमें दालचीनी/त्रिकटु चूर्ण भी मिला सकते हैं । अब इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं और जब तक खांसी जारी हो, नियमित रूप से सेवन करें।
ग्रीन टी Green Tea
ग्रीन टी में एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं। जो मौसमी संक्रमण से बचाव करती हैं। ग्रीन टी का नियमित सेवन करने से मौसमी बीमारियों से बचाव होता है। अगर खांसी की समस्या हो तो ग्रीन टी का सेवन करने से राहत प्राप्त होती है।
कैसे करें ग्रीन टी का सेवन:
ग्रीन टी बनाने के लिए एक कप गर्म पानी में कुछ पत्तियां ग्रीन टी की डालें और एक चम्मच शहद मिलायें। अब चाय की तरह इसका सेवन करें। नियमित रूप से ग्रीन टी का सेवन करने से मौसमी बीमारियों से बचाव होता है। ग्रीन टी की एंटीइन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज सर्दी, जुखाम और बुखार जैसी समस्याओं से हमारा बचाव करती है।
दालचीनी (दालचीनी, दारुचीनी, दारचीनी) का सेवन Cinnamon (dalchini)
दालचीनी में पाये जाने वाले एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल और एंटीवायरल प्रभाव के कारण इसका सेवन करना स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही लाभदायक होता है। मौसमी संक्रमण से बचाव करने में दालचीनी का सेवन करना लाभदायक होता है।
कैसे करें दालचीनी (Cinnamomum verum, या C. zeylanicum) का सेवन:
चुटकी भर दालचीनी का पाउडर एक चम्मच शहद में मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से खांसी में राहत प्राप्त होती है तथा गले का संक्रमण दूर होता है। इससे गले की खराश कम होती है। इसके अतिरिक्त आप सब्जी और दाल आदि में दालचीनी के चूर्ण को खड़े मसाले के रूप में भी उपयोग करें.
नींबू का सेवन Lemon (neemboo)
नींबू में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है। जिससे यह संक्रमण को दूर करने में सहायक होता है। सर्दी खांसी के समय नींबू का सेवन करना फायदेमंद होता है।
ऐसे करें नींबू के रस का सेवन
एक कप गर्म पानी में एक चम्मच नींबू का रस तथा दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से गले की खराश और गले का संक्रमण दूर होता है तथा खांसी में राहत प्राप्त होती है। नींबू में पाए जाने वाले विटामिन सी से संक्रमण कम होता है तथा उसमें बीमारियां दूर होती हैं।
नींबू में सूजन रोकने के गुण होते हैं और यह संक्रमण से लड़ने में सहायक होता है। दो बड़े चम्मच नींबू के रस में एक बड़ा चम्मच शहद मिलाकर एक मिश्रण बनाएं और खांसी से राहत पाने के लिए इसे दिन में कई बार सेवन करें। खांसी से राहत पाने के लिए थोड़ा सा शहद में एक चुटकी नमक और नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है।
गुड़ का सेवन Jaggery (gur)
खांसी के समय गुड़ का सेवन करने से खांसी दूर होती है। सर्दी खांसी में गुड़ का सेवन करना फायदेमंद होता है। गुड़ के सेवन से बलगम दूर होता है। सर्दियों के समय गुड़ का सेवन करने से सर्दी जुकाम जैसी समस्याएं कम होती हैं। खांसी होने पर गुड़ का सेवन करना स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक होता है।
आंवला का सेवन Amla (Indian gooseberry)
आंवला में विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है। आंवले का सेवन करने से हमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी की प्राप्ति होती है। विटामिन सी एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करता है। जिससे मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी, जुखाम और वायरल दूर होता है। आंवला का सेवन करने से सर्दी, खांसी में भी राहत प्राप्त होती है।
कैसे करें आंवले का सेवन:
एक चम्मच आंवले का रस दो चम्मच शहद में मिलाकर धीरे-धीरे इसका सेवन करें। आप आंवले के पाउडर को शहद में मिलाकर भी इसका सेवन कर सकते हैं। आंवले का सेवन करने से खांसी में राहत प्राप्त होती है।
अजवाइन का सेवन Ajwain (carom seeds)
अजवाइन का सेवन करने से श्वसन संबंधित बीमारियों में फायदा होता है। अजवाइन को एंटी अस्थमा भी कहा जाता है। अस्थमा में इसका सेवन करना लाभदायक होता है। यह फेफड़ों के संक्रमण को दूर करता है।
कैसे करें अजवाइन का सेवन:
इसके लिए आप एक छोटी चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो गैस बंद कर दे। गुनगुना होने पर एक चम्मच शहद मिलाकर अजवाइन के पानी का सेवन करें। अजवाइन के पानी का सेवन करने से गले का संक्रमण दूर होता है। खांसी में राहत मिलती है।
अन्नानास का सेवन Pineapple
अन्नानास में ब्रोमेलैन नामक तत्व पाया जाता है। यह तत्व प्रोटीन-डाइजेस्टिंग (प्रोटियोलिटिक) एंजाइम या प्रोटीन का मिश्रण होता है। यह बलगम को दूर कर तथा खांसी में राहत प्रदान करता है।
कैसे करें अन्नानास का सेवन:
अन्नानास के एक कप रस में एक चम्मच शहद, चुटकी भर काला नमक और चुटकी भर काली मिर्च पाउडर डालकर सेवन करें। ऐसा करने से खांसी में तुरंत राहत प्राप्त होती है।
थाइम का सेवन Thyme
थाइम की पत्तियों में फ्लेवोनॉयड्स पाए जाते हैं जो गले की मांसपेशियों को स्वस्थ रखते हैं। जिससे खांसी और सूजन कम होती है। थाइम की पत्तियों के रस का सेवन करने से खांसी तथा ब्रोंकाइटिस में राहत प्राप्त होती है।
कैसे करें थाइम का सेवन
थाइम की पत्तियों को एक गिलास पानी में 4 से 5 मिनट तक उबालकर गैस बंद कर दें। गुनगुना होने पर उसका सेवन करें।ऐसा करने से खांसी में तुरंत राहत प्राप्त होती है।
मार्शमैलो रूट का सेवन Marshmallow root
मार्शमैलो की पत्तियों और जड़ों का उपयोग गले की खराश और खांसी को दूर करने के लिए किया जाता है। यह गले की खराश को दूर करता है। बच्चों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
कैसे करें मार्शमैलो रूट का सेवन:
मार्शमैलो रूट का पाउडर एक कप गर्म पानी में मिलायें।
गुनगुना होने पर दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।
यह गले का संक्रमण दूर कर खांसी में राहत प्रदान करता है।
पुदीना का सेवन Mint leaves
पुदीना में मेंथोल पाया जाता है। पुदीना में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल और एंटीट्यूसिव गुण पाये जातें हैं। पुदीना के यही गुण सर्दी जुखाम में राहत प्रदान करते हैं।
कैसे करें पुदीना का सेवन:
एक चम्मच पुदीना का पाउडर एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें। गुनगुना होने पर इसे छानकर दो चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें।
प्रोबायोटिक्स का सेवन Probiotics
प्रोबायोटिक्स का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। प्रोबायोटिक्स दही में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जो स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक होते हैं। प्रोबायोटिक्स का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इसके सेवन से मौसम संबंधी समस्याएं जैसे सर्दी, जुकाम, खांसी और वायरल से बचाव होता है। सुबह के समय दही और छाछ का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है।प्याज का सेवन
प्याज में अनेकों जीवाणुरोधक, अज्वलनशील, तथा अनेक कीटाणुनाशक तत्व पाए जाते हैं अतः प्याज के माध्यम से भी आप खांसी का इलाज कर सकते हैं। श्वसनली शोथ (ब्रांकाइटिस), अस्थमा, साधारण जु़काम और खाँसी में भी प्याज का उपयोग गुणकारी होता है। प्याज के रस से कफ्फ ढीला होता है और छाती की जकडन दूर होती है। प्याज के रस में आप शहद मिलाकर लें तो अधिक लाभ मिलता है।गिलोय के प्रयोग से पुरानी खांसी का इलाज
गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और यही कारण है की इसको आयुर्वेद में अमृता कहा गया है। आप गिलोय चूर्ण, गिलोय घनवटी का उपयोग कर सकते हैं। यदि आपके पास गिलोय ताज़ी उपलब्ध है तो आप गिलोय के दो से तीन पत्ते मुंह में रखकर चबाएं और धीरे धीरे इसके रस को निगलें।मुलेठी के चूर्ण से खांसी को दूर करें
खांसी को दूर करने में मुलेठी का चूर्ण उपयोगी होता है, यह श्वसन तंत्र में सूजन को कम कर बलगम को ढीला करने में सहायक होता है। आप एक चम्मच मुलेठी के चूर्ण को शहद के साथ लें तो आपको गले की सुजन में त्वरित राहत मिलती है। जैसा की आपने ऊपर जाना की भाप लेना भी खांसी और बलगम को दूर करने में सहायक होता है, ऐसे ही आप भाप लेते समय इसमें मुलेठी का चूर्ण डाल दें तो इसकी भाप अधिक प्रभावी होती है।शहद का उपयोग खांसी दूर करने के लिए
सूखी खांसी के लिए शहद कारगर उपाय होता है। यह न केवल गले की खराश को दूर करता है, बल्कि गले के संक्रमण को दूर करने में भी सहायक होता है। 2 चम्मच शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से सूखी खांसी में लाभ मिलता है।
इस प्रकार इस लेख में आपने जाना कि कैसे हम सर्दी, जुखाम से अपना बचाव कर सकते हैं। घरेलू उपायों को अपनाकर हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी, जुखाम,बुखार और वायरल से बच सकते हैं। ये घरेलू नुस्खे अपनाकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर स्वस्थ रह सकते हैं।
खांसी होने पर खान पान का रखें विशेष ध्यान Diet in Cough Disease
- अपने भोजन में गर्म और ताजा खाना शामिल करें।
- अधिक ठन्डे पेय, ठन्डे खाने से बचें।
- अधिक तेल, मिर्च मसालेदार भोजन के सेवन से बचना चाहिए। मैदा युक्त भोजन नहीं करना चाहिए।
- खाने में लहसुन, प्याज, हल्दी, दालचीनी, कालीमिर्च का उपयोग करें।
- अनानास का नियमित सेवन करें क्योंकि यह खांसी की तेजी को कम करके बलगम को ढीला बनाता है।
- धूम्रपान का सेवन बंद कर देना चाहिए.
- किसी भी गर्म खाने के उपरान्त ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए।
- शहद भी आपके लिए लाभकारी होता है इसलिए आप सुबह शाम एक चम्मच शहद का सेवन अवश्य करें।
- अधिक खांसी होने पर सितोपलादि चूर्ण को शहद के साथ लें।
- सलाद में कालीमिर्च चूर्ण या त्रिकटु चूर्ण को डालकर खाएं।
- प्रदूषणयुक्त वातावरण से बचें।
- खांसी होने पर आपको ऐसे खाद्य प्रदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जिनकी तासीर ठंडी हो। आपको गर्म तासीर के भोजन को करना चाहिए।
- कोल्डड्रिंक, बर्फ का पानी, आइसक्रीम, जंक फूड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- दूध का सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए, क्योंकि यह खांसी को बढ़ा सकता है।
खांसी होने पर डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
यदि आपकी खांसी एक से दो दिनों के भीतर घरेलु उपचार से ठीक नहीं हो पा रही हो तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और उचित निदान प्राप्त करना चाहिए। आपको निम्न स्थितियों में चिकित्सक को अवश्य ही दिखाना चाहिए।- खांसी जो लगातार बनी हुई है और सांस लेने में कठिनाई आ रही है।
- गले में दर्द का लगातार बने रहना और खाना खाने में असुविधा महसूस होना।
- खांसने पर अधिक कफ का निकलना।
- खांसने पर खून का निकलना।
- पतंजलि चिरायता क्वाथ के फायदे Patanjali Chirayata Kvath Benefits Hindi
- पतंजलि स्वेत मूसली चूर्ण के फ़ायदे Benefits of Patanjali Swet Musali Churna
- पतंजली गोधन अर्क (गो मूत्र) लाभ, उपयोग और सेवन Patanjali Godhan Ark (Go Mutra) Benefits Usages Price
- टोटला क्वाथ के लाभ और उपयोग Patanjali Totla Kvath Usages and Benefits
- पतंजलि मुक्ता वटी क्या है मुक्ता वटी के फायदे Patanjali Mukta Vati Benefits Usages Price and Usages
- पतंजलि अश्वगंधा के फ़ायदे Patanjali Ashwagandha Ke Fayade Benefits of Patanjali Ashwagandha
Top 4 Natural Remedies to Reduce Cough and Cold in One Day | Health Tips | Easy Home Remedies
यह भी देखें You May Also Like
- पतंजलि अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Divya Avipattikar Churna Benefits
- पतंजलि उदरकल्प चूर्ण फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Udarkalp Churna ke Fayade Benefits
- पतंजलि बिल्वादि चूर्ण के फायदे घटक सेवन विधि Benefits of Patanjali Bilwadi Churna Bilwadi Churn Ke Fayade in Hindi
- पतंजलि कुटज घनवटी के फ़ायदे और घटक Patanjali Kutaj Ghanvati Benefits
- ग्रहणी रोग लक्षण कारण घरेलु समाधान Irritable Bowel Syndrome (IBS) Hindi
- कपर्दक भस्म के फायदे और उपयोग Kapardak Bhasm Benefits Usages Hindi
- बैद्यनाथ श्वास चिंतामणि रस के फायदे उपयोग Baidyanath Swas Chintamani Ras Ke Fyade, Doses, Usages Price
- पतंजलि स्वर्ण बसंत मालती रस के फायदे, उपयोग प्राइस Patanjali Swarn Vasant Malati Benefits Price, Doses
- पतंजलि लक्ष्मी विलास रस के फायदे Patanjali LaxmiVilas Ras Ke Fayade, Usases Doses Price
- बैद्यनाथ महालक्ष्मी विलास रस के फायदे Baidyanath Mahalakshmi Vilas Ras Ke Fayade
खांसी से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल Cough Frequently Asked Questions
क्या खांसी को तुरंत कैसे ठीक किया जा सकता है?
सामान्य खांसी को आप घरेलु उपायों और खान पान का ध्यान रखकर ठीक कर सकते हैं। लेकिन यदि खांसी लगातार बनी रहती है, खांसी का कारण कोई अन्य गंभीर बिमारी हो तो आपको चिकित्सक से इसका इलाज लेना चाहिए।खांसी होने पर सोने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
गर्म स्थान पर सोयें, ठन्डे और नमीयुक्त स्थान पर नहीं सोये। कूलर का उपयोग ना करें।रात में खांसी ज्यादा क्यों होती है?
रात में जब हम सो रहे होते हैं तो बलगम गले और स्वसन नलियों में फंस जाता है जिसके कारण अधिक खांसी आती है।रात में ज्यादा खांसी आए तो क्या करें?
यदि आपको रात में अधिक खांसी आती है तो आप हल्दी का दूध और शहद के साथ अदरक का रस लेकर सोएं।रात में लगातार खांसी आने पर क्या करें?
सोने से पूर्व हल्दी का दूध और शहद के साथ सितोप्लादी चूर्ण का सेवन करे। आप चाहे तो दूध के साथ वासावलेह को भी उपयोग में ले सकते हैं।खांसी की दवा पीने से ज्यादा नींद क्यों आती है?
खांसी की दवा में हल्का सा नींद का प्रभाव आ सकता है जो सामान्य है। कफ सीरप में फोलकोडाइन या डेक्सट्रोमेथॉर्फ़न होता है जिसके कारण आपको नींद आने लगती है। कफ्फ सीरप के अधिक उपयोग से याददास्त में कमी हो सकती है। कफ सिरप के अधिक सेवन से हृदय की धड़कने बढ़ना, चक्कर आना, बेहोशी महसूस होना, धुंधला दिखना, मितली, उल्टी, नींद आने में दिक्कत, सिर दर्द आदि समस्याएं हो सकती हैं। अतः बिना डॉक्टर की सलाह के आप कफ सीरप का उपयोग ना करें।खांसी को रोकने के उपाय क्या हैं?
सामान्य खांसी और किसी अन्य विकार जनित खांसी में अंतर कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है अतः यदि आपको खांसी है तो आपको चिकित्सक की सलाह के उपरान्त ही घरेलु उपायों को आजमाना चाहिए। आप अपने स्तर पर खान पान और सर्दी गर्मी का ध्यान रख सकते हैं।एलर्जी की खांसी के लिए घरेलू उपाय क्या हो सकते हैं?
यदि आप किसी भी एलर्जी की खांसी से ग्रसित हैं तो सर्वप्रथम आपको उस स्थिति से दूर रहना चाहिए। जैसे की अस्थमा जनित खांसी वाले व्यक्ति को झाड़ू निकालने के समय खांसी हो सकती है। ऐसा डस्ट के कारण होता है। अतः स्वंय को एलर्जी के कारणों से दूर रखें और आप उपर बताये गए घरेलु उपायों को उपयोग कर सकते हैं। एलर्जी वाली खांसी से तुलसी और अदरक की चाय आपको शीघ्र ही राहत देती है। तुलसी और अदरक में एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होने के कारण ये खांसी को जल्दी रोकने में कारगर होते हैं।
लगातार खांसी का कारण क्या हो सकता है?
यदि आपको लगातार खांसी है तो आप घरेलु उपायों के स्थान पर डॉक्टर से इसका इलाज करवाएं क्योंकि ये किसी अन्य गम्भीर बिमारी का परिणाम/कारण हो सकते हैं। लगातार खांसी का कारण साइनस, पॉल्यूशन, एलर्जी या बैक्टीरियल इंफेक्शन आदि हो सकते हैं।लंबे समय तक खांसी रहने का कारण क्या है?
पुरानी खांसी प्रायः धुएं, वातावरण के प्रदुषण, एलर्जी, अस्थमा, साइनस आदि के कारण हो सकती है। पुरानी खांसी के लिए घरेलु उपचार के साथ ही चकित्सक का इलाज आवश्यक है। क्योंकि यदि लगातार खांसी बनी रहे तो यह टीबी का संकेत भी हो सकती है।खांसी ठीक नहीं हो रही है क्या करें?
खांसी के ठीक ना होने पर सर्वप्रथम तो आपको चिकित्सक से इसका इलाज करवाना चाहिए और साथ ही आप उपर बताये गए घरेलु उपायों को भी अपना सकते हैं। खांसी होना एक सामान्य बात है क्योंकि खांसी गले और वायुमार्ग को कीटाणुओं, बलगम और डस्ट को दूर करने के लिए स्वतः ही आती है। लेकिन यदि खांसी जो लगातार बनी हुई है जिसके कारण से सांस लेने में तकलीफ होना, अधिक बलगम का बनाना, कफ के साथ खून का आना जैसे अन्य लक्षणों के साथ आती है तो आपको शीघ्र ही चिकित्सक से इसका निदान लेना चाहिए।खांसी की जांच कब करवानी चाहिए?
आपको 3 सप्ताह से अधिक समय से खांसी बनी हुई है और घरेलु उपायों से वह ठीक नहीं हो रही है तो आपको खांसी की जांच करवानी चाहिए।सूखी खांसी के कारण क्या हैं ?
सूखी खांसी के सामान्य कारण अस्थमा, गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (GERD), पोस्टनेजल ड्रिप, ऊपरी श्वसन तंत्र में वायरल इंफेक्शन आदि होते हैं।बहुत ज्यादा खांसी होने पर क्या करें?
अधिक खांसी होने पर आप अदरक के रस को शहद के साथ दिन में दो से तीन बार तक लें। Source
अस्वीकरण: सलाह सहित यह
सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य
चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी
विशेषज्ञ
या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। लिरिक्सपण्डितस इस जानकारी के लिए
ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।