कालोस्ट्रम (Colostrum) क्या होता है कालोस्ट्रम के लाभ Benefits of Colostrum
कालोस्ट्रम (Colostrum) : प्रसव के उपरांत माँ को गाढ़ा दूध निकलता है जो शिशु के लिए वरदान से कम नहीं होता है। इस गाढ़े दूध को कालोस्ट्रम (Colostrum) कहते हैं। यह दूध शिशु के लिए अत्यंत अनिवार्य होता है आइये जानते हैं। कृतिम तरीके से जो दूध शिशु को दिया जाता है वह किसी भी मायने में उचित नहीं होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा पूर्व में मिथ्याप्रचार किया गया और मानव जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया। कोलेस्ट्रम गर्भधारण करने के तीसरे से चौथे महीने में बनना शुरू हो जाता है। यह दूध कुछ गाढ़ा पीला और पारदर्शी जैसा होता है। यह मात्रा में कम हो सकता है लेकिन बहुत लाभदायी होता है।
अंतरास्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन ने इस और ध्यान देकर प्रथम छह माह तक केवल स्तनपान करवाने के नियम बनाये हैं जिनका पालन किया जाना चाहिए। शिशु के पास अपनी कोई विकसित रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है यह उसे माँ के दूध से ही प्राप्त होती है। इस दूध में विटामिन A, कार्बोहाइड्रेड और दूधशर्करा होती है जो शिशु के लिए लाभदायी होते हैं। कुछ महिलायें इस प्रारंभिक दूध को अपाच्य और खराब मानती हैं जो की शायद इसके रंग के कारण हो लेकिन वास्तविकता यह है की यही पीला गाढ़ा दूध सबसे अधिक लाभदायक होता है। देरी से स्तनपान करवाने से शिशु इस दूध से वंचित रह जाता है और विभिन्न विकारों से ग्रस्त हो जाता है।
कालोस्ट्रम (Colostrum) क्या होता है कालोस्ट्रम के लाभ Benefits of Colostrum
कोलोस्ट्रम ऐसे पोषकों तथा एंटीबॉडीज़ से समृद्ध होता है, जो आपके शिशु की संक्रमणों तथा रोगों से रक्षा करते हैं। जैसे-जैसे आपका शिशु बड़ा होता जाता है, आपके स्तनों से निकलने वाला दूध बदलता जाता है। यह पतला एवं सफेद द्रव बन जाता है, जो कभी-कभी नीलापन लिए भी लग सकता है। दिन में प्रत्येक 2 से 3 घंटे बाद स्तनपान कराएं, जिससे आपका शिशु, रात में स्तनपान हेतु न जागे। दिन में कम बार स्तनपान कराने का अर्थ है कि आपके शिशु को रात के समय, और स्तनपान की आवश्यकता होगी। पहले 3 माह के दौरान, शिशुओं को 24 घंटो की अवधि में 8 से 10 बार स्तनपान की आवश्यकता होती है। स्तनपान कराने से आपको अधिक दूध उत्पन्न करने में सहायता मिलती है, तथा आपके स्तनों का अधिक भरे होने अथवा फूल जाने से बचाव होता है। आइये जान लेते हैं की कोलेस्ट्रम के सेवन से शिशु को क्या लाभ मिलते हैं।
- कोलेस्ट्रम को शिशु के लिए अमृत कहा गया है। यह मात्रा में कम भले ही हो लेकिन शिशु के लिए बहुत ही लाभदायी होता है
- कोलेस्ट्रम के सेवन से प्राकृतिक रूप से शिशु को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त होती है जो उसे इस नाजुक अवस्था में विभिन्न रोगो से मुकाबला करने की ताकत देता है।
- गर्भावस्था के दौरान शिशु के पेट के अंदर जो काला मल (मिकोनियम) होता है उसे शरीर से बाहर निकालने में कोलेस्ट्रम मदद करता है।
- प्रसव के एक घंटे के भीतर कोलेस्ट्रम का लाभ लेने के लिए स्तनपान शुरू करवा देना चाहिए।
- शिशु की उम्र बढ़ने के साथ ही कोलेस्ट्रम का स्थान पोषक दूध ले लेता है।
- कोलेस्ट्रम का सेवन शिशु के लिए बहुत लाभदायी होता है यह प्रथम टीका लगाने के समान होता है।
- कोलेस्ट्रम बहुत ही सुपाच्य होता है जो शिशु के लिए पचाना आसान होता है।
- कोलेस्ट्रम शिशु को आगामी प्राप्त होने वाले पोषक दूध के लिए तैयार करता है।
- अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होने के अलावा इसमें ल्यूकोसाइट्स (रक्षा करने वाली सफेद रक्त कोशिकाएं) भी उच्च मात्रा होती हैं जो शिशु की संक्रामक रोगों से रक्षा करती है। इसके सेवन से शिशु विभिन्न रोगों से मुक्त रहता है। जीवाणुजनित और विषाणुजनित रोगों से शिशु को सुरक्षा मिलती है। यह पेट और कान से सबंधित रोगों में भी शिशु की मदद करता है।
- कोलोस्ट्रम के सेवन से शिशु के शरीर से बिलीरुबिन को बाहर निकालने में मदद करता है और पीलिया जैसे रोगो से सुरक्षा प्रदान करता है।
- कोलोस्ट्रम में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जैसे जिंक, कैल्शियम और विटामनों जैसे ए, बी6, बी12, विटामिन K आदि जिनसे शिशु का विकास होता है।
- यह तंत्रिका तंत्र को विकसित करने में मदद करता है।
- कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कोलोस्ट्रम शिशु के अंदर तृप्ति का भावना पैदा करता है
- ज्यादातर शिशु को जन्म के बाद पीलिया होने की संभावना बनी रहती है कोलेस्ट्रम के सेवन से पीलिया रोग होने की सम्भावना नहीं रहती है।
कालोस्ट्रम एक गाढ़ा, पीले रंग का तरल पदार्थ होता है जो प्रसव के तुरंत बाद माँ के स्तनों से निकलता है। यह दूध का एक प्रारंभिक रूप है जो बच्चे को जन्म के बाद आवश्यक पोषक तत्वों और एंटीबॉडी प्रदान करता है। कालोस्ट्रम में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज होते हैं। यह बच्चे के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों की एक संतुलित मात्रा प्रदान करता है। कालोस्ट्रम में निम्नलिखित पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा में मात्रा होती है:
- प्रोटीन: कालोस्ट्रम में दूध की तुलना में अधिक प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन बच्चे के विकास और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक है।
- एंटीबॉडी: कालोस्ट्रम में बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबॉडी होते हैं।
- लैक्टोफेरिन: लैक्टोफेरिन एक प्रोटीन है जो आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है।
- लैक्टोज़: लैक्टोज़ एक कार्बोहाइड्रेट है जो बच्चे के पाचन तंत्र के लिए आवश्यक है।
- विटामिन और खनिज: कालोस्ट्रम में विटामिन और खनिज होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए आवश्यक हैं।
कालोस्ट्रम के लाभ निम्नलिखित हैं:
- बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है: कालोस्ट्रम में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।
- बच्चे के पाचन तंत्र को विकसित करने में मदद करता है: कालोस्ट्रम में लैक्टोज़ होता है, जो बच्चे के पाचन तंत्र के लिए आवश्यक है।
- बच्चे के विकास और वृद्धि को बढ़ावा देता है: कालोस्ट्रम में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा होते हैं जो बच्चे के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक हैं।
माँ के लिए कालोस्ट्रम के लाभ निम्नलिखित हैं:
- माँ के गर्भाशय को सिकोड़ने में मदद करता है: कालोस्ट्रम में ऑक्सीटोसिन होता है, जो एक हार्मोन है जो गर्भाशय को सिकोड़ने में मदद करता है।
- माँ को प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव को कम करने में मदद करता है: कालोस्ट्रम में प्रोस्टाग्लैंडिन होता है, जो एक हार्मोन है जो रक्तस्राव को कम करने में मदद करता है।
- माँ के स्तनों को दूध उत्पादन के लिए तैयार करने में मदद करता है: कालोस्ट्रम में हार्मोन होते हैं जो स्तनों को दूध उत्पादन के लिए तैयार करने में मदद करते हैं।
माँ को अपने बच्चे को जन्म के तुरंत बाद कालोस्ट्रम पिलाने की सलाह दी जाती है। कालोस्ट्रम को स्तन से सीधे पिलाया जा सकता है या इसे एक बोतल में निकाला जा सकता है और बच्चे को खिलाया जा सकता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |