पतंजली गिलोय क्वाथ के फायदे Patanjali Giloy Kwath Benefits in Hindi

पतंजली गिलोय क्वाथ के फायदे Patanjali Giloy Kwath Benefits गिलोय के लाभ

ततो येयु प्रदेशेषु कपिगात्रात् परिच्युताः।पीयुषबिन्दवः पेतुस्तेभ्यो जाता गुडूचिका॥

गिलोय क्वाथ क्या होता है Giloy Kya Hoti Hai Hindi

गिलोय का नाम आपने सुन रखा होगा और आप यह भी जानते होंगे की गिलोय को अमृत के समान बताया गया है। गिलोय क्वाथ को गिलोय की बेल के तने और पत्तियों से प्राप्त रस बनाया जाता है। गिलोय के अलावा गिलोय क्वाथ में अन्य कोई हर्ब या जड़ी बूटी नहीं मिलाई जाती है। आप इसके अलावा आप गिलोय घनवटी का भी उपयोग कर सकते हैं। आयुर्वेदा में गिलोय की महिमा का उल्लेख है और यह इसे एक ऐसा रसायन माना गया है जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए लाभदायी है। गिलोय एक बहुवर्षीय लता है, जिसे गुडुची या अमृता के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत, चीन, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। गिलोय के तने को सबसे ज्यादा उपयोगी माना जाता है।
 
पतंजली गिलोय क्वाथ के फायदे Patanjali Giloy Kwath Benefits in Hindi
गिलोय में कई औषधीय गुण होते हैं। यह इम्यूनिटी बढ़ाने, पाचन में सुधार करने, बुखार को कम करने, मधुमेह को नियंत्रित करने, कैंसर को रोकने और त्वचा रोगों को दूर करने में मदद करता है। गिलोय का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि काढ़ा, चूर्ण, जूस, या कैप्सूल। गिलोय का सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना उचित है।

गिलोय के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
  • इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है: गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।
  • पाचन में सुधार करता है: गिलोय में पाचन एंजाइम होते हैं, जो भोजन को पचाने और अवशोषित करने में मदद करते हैं। यह कब्ज, अपच और गैस जैसी पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
  • बुखार को कम करता है: गिलोय में एंटीपिरेटिक गुण होते हैं, जो बुखार को कम करने में मदद करते हैं।
  • मधुमेह को नियंत्रित करता है: गिलोय में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  • कैंसर को रोकने में मदद करता है: गिलोय में एंटी-कैंसर गुण होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करते हैं।
  • त्वचा रोगों को दूर करता है: गिलोय में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा रोगों जैसे कि मुंहासे, खुजली और दाद को दूर करने में मदद करते हैं।

गिलोय एक सुरक्षित और प्रभावी औषधीय पौधा है। इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है।

गिलोय (Tinosporacordifolia (Willd.) Miers):   

गिलोय क्वाथ के बारे में जानने से पहले यह जानना आवशयक है की गिलोय क्या होती है, इसके क्या गुण होते हैं, इसके बारे में जानना हितकर है। 

गिलोय एक ओषधीय बेल होती है जो असंख्य गुणों से भरी हुयी होती है। आयुर्वेद में गिलोय को अमृता कहा गया है। गिलोय को अंग्रेजी में टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया कहा जाता है जो की इसका वानस्पतिक नाम है। आयुर्वेद में इसके गुणों को पहचान कर इसके बारे में विस्तार से बताया गया है और आयुर्वेद में इसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि नामो से जाना जाता है। यह बेल पहाड़ों, खेतों के मेड़ों पर और पेड़ों के आस पास पायी

जाती है और जिस पेड़ के सहारे ये ऊपर चढ़ती है उसके गुणों का समावेश स्वंय में कर लेती है। इसलिए नीम पर चढ़ी गिलोय को "नीम गिलोय" कहा जाता है। नीम के सारे गुण अपने में समावेश कर लेती है इसीलिए नीम पर चढ़ी गिलोय को श्रेष्ठ माना जाता है। आचार्य चरक ने इसके गुणों के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। आयुर्वेद में इसका वर्णन प्राप्त होता है। इसका रस कड़वा होता है। रक्त वर्धर्क इसका गुण है। यह ज्वर नाशक है। गिलोय त्रिदोष नाशक होती है, यानी ये कफ, वात और पित्त को संतुलित करती है। 

गिलोय के पत्ते : Giloy Ke Patton Ke Fayade Hindi

गिलोय बेल का हर हिस्सा गुणकारी होता है। गिलोय के पत्ते हलके कसेले, तीखे और कड़वे होते हैं जो मुंह में चिकना स्वाद छोड़ते हैं। गिलोय के पत्ते पान के पत्ते से मिलते जुलते होते हैं। आप चाहे तो दो पत्ते रोज गिलोय की बेल से तोड़कर सीधे ही सेवन कर सकते हैं। गिलोय के पत्ते में कैल्शियम, प्रोटिन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसके तनों में स्टॉर्च पाया जाता है। बुजुर्ग लोग

इसकी महत्ता को समझते थे और इसे नीम के पास लगाते थे। आप भी गिलोय के बेल को अवश्य लगाएं और इसके ताजे हरे पत्ते खाएं और रोगों से मुक्त रहे। औषधीय रूप में गिलोय के पत्ते कटु, तिक्त मधुर, उष्णवीर्य, लघु, त्रिदोष शामक, रसायन, अग्निदीपक, बलकारक, मलरोधक, चक्षुष्य तथा पथ्य होते हैं। गिलोय के पत्तों का सेवन करने से वातरक्त, तृष्णा, दाह, प्रमेह, कुष्ठ, कामला तथा पाण्डु रोग में लाभ प्राप्त होता है। गिलोय का प्रधानता से वातरक्त, पाण्डु, ज्वर, छर्दि, जीर्णज्वर, कामला, प्रमेह, अरुचि, श्वास, कास, हिक्का, अर्श, दाह, मूत्रकृच्छ, प्रदर आदि रोगों की उपचार में किया जाता है।

पतंजली गिलोय क्वाथ के फायदे- गिलोय के गुण  : 

गिलोय के असंख्य गुण होते हैं। यह त्रिदोष शामक होती है यानी की वाट कफ और पित्त का शमन करती है। गिलोय अमाशय की अम्लता को दूर करती है और दुर्बलता, खांसी, प्रमेह मधुमेह और त्वचा रोगों में लाभदायक होती है। गिलोय के गुणों में मुख्य रूप से एंटी इन्फ्लैमेन्ट्री, एंटी ऑक्सीडेंट्स और एंटी वायरल गुण होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करते हैं। इसके तने और पत्तियों में कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन पाए जाते हैं। इसके गुण निम्न प्रकार से हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए : गिलोय के एंटीऑक्सीडेंट्स इसे अद्भुत बनाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स के कारण यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का तेजी से विकास करती है। गिलोय के गुणों के अनुसार यह शरीर से फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकलती है। शरीर में समय के साथ बनने वाले विषाक्त प्रदार्थों को भी बाहर निकालने में गिलोय का महत्वपूर्ण योगदान होता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर हो जाने पर ही बार बार एलर्जी होना, सर्दी जुकाम का लगना, बुखार और त्वचा के संक्रमण से सबंधित रोग होते हैं। गिलोय शरीर को इन संक्रमण से लड़ने की

शक्ति देता है। सुबह खाली पेट गिलोय स्वरस इसके लिए बेहतर उपाय हो सकता है। यदि आप स्वंय इसका रस घर पर बनाना चाहते हैं तो या तो आप इसके पत्ते चिक्तिसक की सलाह के अनुसार मुँह में चबा कर खाएं या फिर आप आधे गिलास पानी में गिलोय के कुचले हुए तने और पत्तों को धीमी आंच पर उबाले। इस काढ़े तो तब तक उबलने दें जब तक की ये चाय के छोटे कप जितना ना रह जाय। इसके बाद इसे छान लें और गुनगुने काढ़े को चाय की तरह पिए, इससे सर्दी जुकाम और अन्य संक्रमण में मदद मिलेगी। 


रक्त को बनाये साफ़ : गिलोय में एंटी ऑक्सीडेंट्स और एंटी बैक्ट्रियल गुण होते हैं जो की हमारे रक्त को साफ़ करते हैं और उसे स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं।

गिलोय से मानसिक तनाव कम करें : तनाव से जीवन का हर क्षेत्र प्रभावित होता है, इसलिए स्ट्रेस से मुक्ति के लिए गिलोय लाभदायक हो सकती है। गिलोय के सेवन से आप तनाव भी कम कर सकते हैं, इसका कारण  है इसमें पाए जाने वाले एडाप्‍टोजेनिक जो की तनाव कम करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर से ऐसे तत्वों को बाहर निकलता है जो की मानसिक अवसाद का कारन बनते हैं। आयुर्वेदिक टॉनिक में इसका उपयोग मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके चूर्ण को शहद में मिलाकर लेने से मस्तिष्क से सबंधित बिमारियों में सहारा मिल सकता है। 

गिलोय का उपयोग त्वचा के लिए : गिलोय का उपयोग त्वचा सबंधी रोगों की रोकथाम के लिए भी किया जाता है। त्वचा के संक्रमण जनित रोगों के लिए गिलोय उपयोगी होता है। दाद खाज फोड़े फुंसी के अलावा गिलोय के सेवन से त्वचा की झुर्रियां और कालेपन के निशान दूर होते हैं, ऐसा इसमें पाए जाने वाले एंटी एजिंग प्रॉपर्टीज के कारन होता है। त्वचा पर इसके रस को लेप की तरह से लगाना भी लाभदायक होता है।
 
अस्थमा के लिए गिलोय : अस्थमा रोग और अन्य स्वसन सबंधी रोगों में भी गिलोय का उपयोग लाभदायक होता है। इसके रस के सेवन या फिर पत्तियों को चबाने से अस्थमा और अन्य स्वास से सबंधित विकारों में मदद मिलती है। पुरानी खांसी के उपचार के लिए गिलोय का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। दो चमच गिलोय का रस रोज सुबह लेने से खांसी का उपचार होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ साथ इन रोगों से मुक्ति मिलती है।

पेशाब की रुकावट के लिए गिलोय का उपयोग : यदि मूत्र से सबंधित कोई विकार है या फिर पेशाब मूत्र से सबंधित मार्ग में पथरी हो तो गिलोय इसके लिए लाभदायक होती है। इसके लिए गिलोय का स्वरस उपयोगी होता है।  गिलोय रस के साथ यदि अश्वगंधा की जड़ों को भी उपयोग में लिया जाय तो इसके लाभ बढ़ जाते हैं।

गिलोय का उपयोग पाचन तंत्र के सुधार के लिए : गिलोय का स्वरस पाचन तंत्र के सुधार के लिए भी उपयोगी होता है। त्रिफला के साथ यदि गिलोय का भी प्रयोग किया जाता है पाचन तंत्र सबंधी विकारों से शीघ्र लाभ मिलता है।

हाथ पैरों में जलन के लिए : यदि आपके हाथ पैरों में जलन रहती है और वे गर्म बने रहते है तो आप गिलोय के तने और पत्तों का पेस्ट बना कर उसे हाथों और तलवों में लगाएं। इसके साथ साथ गिलोय स्वरस का भी सेवन करें जिससे आपके हाथ पैरों की जलन ठीक हो जायेगी।

कान में दर्द के लिए : कान में दर्द होने पर गिलोय का रस कान में डालने पर राहत मिलती है।

गिलोय की तासीर : गिलोय की तासीर गर्म होती है। इसका सेवन सर्दियों में करना अत्यंत ही लाभदायक होती है।

खुजली के लिए गिलोय : दाद खाज और खुजली वाले स्थान पर गिलोय को हल्दी में पीस कर लगाने से आराम मिलता है।

गठिया रोग में गिलोय का योगदान : गिलोय स्वरस का सेवन करने से गठिया के रोग में कुछ लाभ मिलता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी सेप्टिक गुणों के कारण इसका उपयोग गठिया रोगों में भी लाभ पहुंचा सकता है।

गिलोय का उपयोग बुखार के लिए : वायरल बुखार के लिए गिलोय का सेवन लाभदायक होता है। चिकन गुनिया, डेंगू, वायरल बुखार के लिए गिलोय का काढ़ा लाभदायक होता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी सेप्टिक गुण बुखार दूर करने में सहायता करते हैं।


मोटापा दूर करने के लिए गिलोय : मोटापा दूर करने के लिए गिलोय और त्रिफला के चूर्ण को शहद के साथ लेने से मोटापा दूर होता है।
 

पतंजली गिलोय क्वाथ के फायदे उलटी के लिए गिलोय :

 गिलोय का काढ़ा पिने से जी घबराना और उलटी में लाभ मिलता है।

पतंजली गिलोय क्वाथ के फायदे कैंसर में गिलोय का प्रयोग : 

 गिलोय में एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं जो शरीर में स्थिर फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालने में हमारी मदद करते हैं। गिलोय के साथ तुलसी, नीम और गेंहू के ज्वारे का स्वरस लिया जाय तो यह कैंसर के फैलने को रोकने में मददगार हो सकता है।

पतंजली गिलोय क्वाथ के फायदे-हृदय रोग और ब्लड प्रेशर के लिए गिलोय : 

हृदय रोग और ब्लड प्रेशर को नियन्त्रिक करने के लिए गिलोय लाभदायक होता है। इसके नियमित सेवन से हृदय सबंधी रोगों में लाभ मिलता है।

पतंजली गिलोय के अन्य लाभ : Other Benefits of Giloy Hindi

  • मस्तिष्क से सबंधित बिमारियों और स्मरण शक्ति के विकास के लिए गिलोय लाभदायक हो सकती है।
  • पेट से सबंधित बिमारियों के उपचार के लिए गिलोय सहायक हो सकती है।
  • गिलोय के सेवन से गुप्त रोगों के उपचार में सहायता मिलती है, इसके लिए किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेवें।
  • रक्त से सबंधित व्याधियों के लिए गिलोय का सेवन लाभदायक हैं।
  • त्रिफला के साथ गिलोय का नित्य सेवन करने से पुराना कब्ज दूर होता है।
  • मूत्र सबंधी विकारों में गिलोय लाभदायक होती है।
  • गिलोय के सेवन से शरीर में रक्त बढ़ता है।
  • शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाता है।
  • खाँसी, मलेरिया, शीत ज्वर (विषाणुक संक्रमण) में इसका उपयोग लाभदायक होता है।
  • गिलोय के सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रण में रखा जा सकता है।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।
  • कुष्ठ रोगों में इसका सेवन लाभकारी होता है।
  • गिलोय का सेवन लिवर की देखभाल के लिए लाभदायक होता है।
  • गिलोय शरीर के विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में लाभदायी होता है।
  • पीलिया में इसका उपयोग किया जाता है।
  • गठिया और अन्य जोड़ों के दर्द में इसका सेवन लाभदायक होता है।
  • हाई कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम में उपयोगी। शुगर के मरीजों को इससे परहेज करना चाहिए या फिर डॉक्टर की राय लेनी चाहिए।
  • राजयक्ष्मा रोग (Tuberculosis) में लाभ मिलता है।
  • शरीर की इम्युनिटी को बढाती है |
  • शरीर की सुजन कम करने में लाभकारी होती है

पतंजली गिलोय क्वाथ को कैसे लें : Patanjali Giloy Kwath Usages and Doses Hindi

इसके सेवन से सबंधित जानकारी के लिए आप पतंजलि चिकित्सालय  बैठने वाले योग्य आयुर्वेदाचार्य से राय लें। साथ ही इसकी मात्रा भी आपको डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए। सामान्यतया गिलाय क्वाथ को बताई गयी मात्रा में उबालें और जब पानी एक कप रह जाए, इसका सेवन किया जा सकता है। 

पतंजली गिलोय क्वाथ से सबंधित सावधानियां 

वैसे तो गिलोय एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं होता है फिर भी इसके सेवन से सबंधित दिशा निर्देशों को आप डॉक्टर से लेवें। अधिक मात्रा में गिलोय का सेवन करने से दस्त लग सकते हैं और गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन सामान्यतया नहीं करना चाहिए। मधुमेह से सबंधित मरीज इसके सेवन में विशेष सावधानी रखें  चिकित्सक की सलाह उपरांत ही इसका प्रयोग करें।

गिलोय का प्रयोग : गिलोय को आप ताजा रूप में इसके पत्ते खा सकते हैं। तने का सेवन कर सकते हैं। इसके पत्ते और तने का रस निकाल कर भी लिया जाता है। इसके रस से ही गिलोय स्वरस, क्वाथ और वटी बनायीं जाती है। गिलोय क्वाथ को निश्चित मात्रा से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए। 

पतंजलि गिलोय क्वाथ : पतंजलि आयुर्वेदा की तरफ से इस गुणकारी ओषधि को किफायती दरों पर उपलब्ध करवाया जाता है। इसके बारे में अधिक जानकारी और इसे खरीदने के लिए आप पतंजलि की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया जा रहा है।


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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
 
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