नागकेशर चूर्ण के लाभ, उपयोग और सेवन Patanjali Nagkeshar Churna Composition Benefits Doses Hindi

नागकेशर चूर्ण के लाभ, उपयोग और सेवन Patanjali Nagkeshar Churna Composition Benefits Doses Hindi


नागकेशर चूर्ण के लाभ, उपयोग और सेवन Patanjali Nagkeshar Churna Composition Benefits Doses Hindi
 

नाग केशर चूर्ण क्या है

नागकेशर चूर्ण, औषधीय गुणों से भरपूर नाग केशर से बनाया जाता है।

नागकेशर चूर्ण के घटक

इसका घटक नागकेशर होता है।

नागकेशर चूर्ण का सेवन

चिकित्सक की सलाह के अनुसार।

नागकेशर चूर्ण कहाँ से खरीदें

नागकेशर चूर्ण को आप पतंजलि आयुर्वेदा के स्टोर्स से क्रय कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत और ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट करें,

जिसका लिंक निचे दिया गया है।
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/churna/naagkesar-churna-100gm/128

पतंजलि आयुर्वेदा क्या कहता है नागकेशर चूर्ण के बारे में :

Divya Naagkeasr Churna is an ayurvedic product used in treating fever, vomiting, urinary tract disorders, migraine etc. It is one among Chaturjata group of herbs. It is used as in powder form along with other spices, and put into many herbal jams including Chyawanprash. It is best for Bleeding Disorders such as Menorrhagia, Piles, Metorrhagia, Epistaxis.

नाग केशर

नाग केशर के आयुर्वेदिक हर्ब है नाग केशर दक्षिणी भारत, पूर्व बंगाल, एवं पूर्वी हिमालय में बहुलता से पाया जाता है। यह उचाई लिए एक वृक्ष होता है जो लगभग ३० मीटर तक ऊँचा होता है। नागकेशर का पेड़ हिमालय ,आसाम, बंगाल, कोंकण, कर्नाटक, अण्डमान आदि में बहुलता से पाया जाता है और । भारत के अतिरिक्त यह बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, इण्डोनेशिया, मलेशिया, कम्बोडिया, वियतनाम, आदि स्थानों में पाया जाता है। इसका रंग पीला होता है। नागकेसर खाने में कषैला, रूखा और हल्का होता है। यह एक पेड़ का फूल है। इसकी सुगंध तेज होती है और दिखने में मेहंदी के समान लगता है।

नाग केशर के हिंदी में नाम

नाग केशर को कई नामों से जाना जाता है, हिंदी में इसे नागचम्पा, भुजंगाख्य, हेम, नागपुष्प, नागकेसर, नागेसर, पीला नागकेशर, नागचम्पा आदि नामों से जाना जाता है। इसे संस्कृत में नागपुष्प, अहिकेशर, अहिपुष्प, भुजङ्गपुष्प, वारण, गजकेसर, नागकेशर, चाम्पेय, तुङ्ग, देववल्लभ, केशर आदि नामों से जाना जाता है।
नाग केशर का वानस्पतिक नाम : इसका वानस्पतिक नाम Mesua ferrea Linn. (मेसुआ फेरिआ) होता है।

नागकेशर के गुण धर्म

नागकेशर कसैला, पचने पर कटु, तीखा, गर्म, लघु, रूक्ष, कफ-पित्तशामक, वीर्य -उष्ण, आमपाचक, व्रणरोपक तथा सन्धानकारक होता है। नाग केशर कडवी, कसैली, आम पाचक, किंचित गरम, रुखी, हल्की तथा पित, वात, कफ, रुधिर विकार, कंडू (खुजली), हृदय के विकार, पसीना, दुर्गन्ध, विष, तृषा, कोढ़, विसर्प, बस्ती पीड़ा एवं मस्तकशूल को समाप्त करने वाली होती है। यह गर्मी का विरेचन करता है, तृषा, स्वेद (पसीना), वमन (उल्टी), बदबू, कुष्ठ, बुखार, खुजली, कफ, पित्त और विष को दूर करता है।

नागकेशर की तासीर

नागकेशर की तासीर गर्म होती है।

नागकेशर की सेवन की मात्रा

नाग केशर के सेवन की मात्रा हेतु वैद्य से संपर्क किया जाना चाहिए। इसकी मात्रा विकारों के उपचार हेतु भिन्न हो सकती है।

नागकेशर के फायदे / लाभ

नाग केशर के कई आयुर्वेदिक लाभ होते हैं। मुख्यतया इसका उपयोग वातजनित रोगों को दूर करने, ज्वर सर दर्द, कमर दर्द, घुटनों में दर्द, हृदय रोगों में किया जाता है।
  • सांप के काटने पर नागकेशर की पत्तियों को पीस कर लगाने से सांप का जहर कम हो जाता है।
  • नागकेशर, शक़्कर को पीस कर इसके चूर्ण को मक्खन (शुद्ध देसी गाय का ) के साथ मिलाकर सेवन करने से बवासीर में आने वाला खून बंद हो जाता है।
  • नागकेशर के चूर्ण का लेप पावों के तलवों पर करने से तलवों की जलन कम हो जाती है।
  • नागकेशर के तेल (नाग केशर के बीजों का तेल ) को कमर, जोड़ों पर लगाने से दर्द दूर होता है।
  • गठिया रोग में भी नागकेशर के बीजों का तेल प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
  • नागकेशर के तेल को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं, ऐसा नागकेशर के एंटी बेक्टेरियल और एंटी इंफ्लेमेंटरी गुणों के कारण से होता है।
  • नागकेशर के चूर्ण को मिश्री में मिलाकर कच्चे दूध के साथ लेने से गर्भपात नहीं होता है।
  • यदि माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव होता हो तो नागकेशर के चूर्ण को छाछ में मिलाकर लेने से विकार दूर होता है। इसके लिए चुटकी भर चूर्ण उचित रहता है।
  • नागकेशर के चूर्ण के सेवन से पेट के विकार दूर होते हैं।
  • इसके सेवन से दस्त की समस्या का समाधान होता है।
  • नागकेशर क्वाथ के सेवन से खांसी, अस्थमा और फेफड़ों से जुड़े विकार दूर होते हैं।
  • नागकेसर की जड़ और छाल के क्वाथ के सेवन से खांसी के रोग में लाभ मिलता है।
  • पीली नागकेसर के चूर्ण को लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम की मात्रा में मिश्री और मक्खन के साथ मिलाकर सेवन करने से प्रदाह शांत होती है।
  • पीले नागकेसर को (लगभग ४ ग्राम ) मक्खन और मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हिचकी मिट जाती है।
  • नागकेसर और सुपारी का चूर्ण सेंवन करने से भी गर्भ ठहर जाता है।
  • भवन के वास्तुदोष को दूर करने के लिए नागकेसर की लकड़ी से हवन करने से वास्तुदोष का शमन होता है।
  • नागकेसर का तेल घाव पर लगाते रहने से घाव शीघ्र भर जाता है।

नागकेशर का सेवन कैसे करें

नाग केशर की मात्रा आपके लिए कितनी उचित होगी इसके लिए वैद्य से संपर्क करें। अपनी मर्जी से नागकेशर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
 
Disclaimer : इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी https://lyricspandits.blogspot.com की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है। अस्वीकरण सबंधी विस्तार से सूचना के लिए यहाँ क्लिक करे।
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
+

एक टिप्पणी भेजें