गिलोय के गुण उपयोग और फायदे Giloy Ke Fayde Upyog Sevan Vidhi

ततो येयु प्रदेशेषु कपिगात्रात् परिच्युताः।
पीयुषबिन्दवः पेतुस्तेभ्यो जाता गुडूचिका॥

गिलोय के गुण उपयोग और फायदे Benefits of Giloy Ayurvedic Plant Giloy Benefits, Why Giloy Called Amrita

गिलोय के गुण उपयोग और फायदे Benefits of Giloy Ayurvedic Plant Giloy Benefits, Why Giloy Called Amrita

गिलोय (Tinosporacordifolia (Willd.) Miers):  

गिलोय का वैज्ञानिक नाम 'टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया' (Tinospora cordifolia) होता है। गिलोय एक ओषधीय बेल / लता होती है जो असंख्य गुणों से परिपूर्ण होती है। आयुर्वेद में गिलोय को अमृता कहा गया है। गिलोय को अंग्रेजी में टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया कहा जाता है जो की इसका वानस्पतिक नाम है। आयुर्वेद में इसके गुणों को पहचान कर इसके बारे में विस्तार से बताया गया है और आयुर्वेद में इसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि नामो से जाना जाता है। यह बेल पहाड़ों, खेतों के मेड़ों पर और पेड़ों के आस पास पायी जाती है और जिस पेड़ के सहारे ये ऊपर चढ़ती है उसके गुणों का समावेश स्वंय में कर लेती है। इसलिए नीम पर चढ़ी गिलोय को "नीम गिलोय" कहा जाता है। नीम के सारे गुण अपने में समावेश कर लेती है इसीलिए नीम पर चढ़ी गिलोय को श्रेष्ठ माना जाता है। आचार्य चरक ने इसके गुणों के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। आयुर्वेद में इसका वर्णन प्राप्त होता है।

इसका रस कड़वा होता है। रक्त वर्धर्क इसका गुण है। यह ज्वर नाशक है। गिलोय त्रिदोष नाशक होती है, यानी ये कफ, वात और पित्त को संतुलित करती है। इसके गुणों के कारण ही इसे अमृता कहा गया है और माना गया है की जो व्यक्ति नियमित रूप से गिलोय का सेवन करता है वह अपनी पूर्ण आयु को प्राप्त करता है बिना किसी रोग दोष के।  


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गिलोय के पत्ते : 

गिलोय बेल का हर हिस्सा गुणकारी होता है। गिलोय के पत्ते हलके कसेले, तीखे और कड़वे होते हैं जो मुंह में चिकना स्वाद छोड़ते हैं। गिलोय के पत्ते पान के पत्ते से मिलते जुलते होते हैं। आप चाहे तो दो पत्ते रोज गिलोय की बेल से तोड़कर सीधे ही सेवन कर सकते हैं। गिलोय के पत्ते में कैल्शियम, प्रोटिन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसके तनों में स्टॉर्च पाया जाता है। बुजुर्ग लोग इसकी महत्ता को समझते थे और इसे नीम के पास लगाते थे। आप भी गिलोय के बेल को अवश्य लगाएं और इसके ताजे हरे पत्ते खाएं और रोगों से मुक्त रहे। औषधीय रूप में गिलोय के पत्ते कटु, तिक्त मधुर, उष्णवीर्य, लघु, त्रिदोष शामक, रसायन, अग्निदीपक, बलकारक, मलरोधक, चक्षुष्य तथा पथ्य होते हैं। गिलोय के पत्तों का सेवन करने से वातरक्त, तृष्णा, दाह, प्रमेह, कुष्ठ, कामला तथा पाण्डु रोग में लाभ प्राप्त होता है। गिलोय का प्रधानता से वातरक्त, पाण्डु, ज्वर, छर्दि, जीर्णज्वर, कामला, प्रमेह, अरुचि, श्वास, कास, हिक्का, अर्श, दाह, मूत्रकृच्छ, प्रदर आदि रोगों की उपचार में किया जाता है। 

गिलोय की तासीर 

गिलोय की तासीर गर्म होती है। इसका सेवन सर्दियों में करना अत्यंत ही लाभदायक होती है। गर्मियों में चिकित्सक की सलाह के उपरांत इसका सेवन हितकर होता है। 
 
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गिलोय के गुण

गिलोय के असंख्य गुण होते हैं। यह त्रिदोष शामक होती है यानी की वात कफ और पित्त का शमन करती है। गिलोय अमाशय की अम्लता को दूर करती है और दुर्बलता, खांसी, प्रमेह मधुमेह और त्वचा रोगों में लाभदायक होती है। गिलोय के गुणों में मुख्य रूप से एंटी इन्फ्लैमेन्ट्री, एंटी ऑक्सीडेंट्स और एंटी वायरल गुण होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करते हैं। इसके तने और पत्तियों में कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन पाए जाते हैं। इसके गुण निम्न प्रकार से हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए 

गिलोय के एंटीऑक्सीडेंट्स इसे अद्भुत बनाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स के कारण यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का तेजी से विकास करती है। गिलोय के गुणों के अनुसार यह शरीर से फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकलती है। शरीर में समय के साथ बनने वाले विषाक्त प्रदार्थों को भी बाहर निकालने में गिलोय का महत्वपूर्ण योगदान होता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर हो जाने पर ही बार बार एलर्जी होना, सर्दी जुकाम का लगना,

बुखार और त्वचा के संक्रमण से सबंधित रोग होते हैं। गिलोय शरीर को इन संक्रमण से लड़ने की शक्ति देता है। सुबह खाली पेट गिलोय स्वरस इसके लिए बेहतर उपाय हो सकता है। यदि आप स्वंय इसका रस घर पर बनाना चाहते हैं तो या तो आप इसके पत्ते चिक्तिसक की सलाह के अनुसार मुँह में चबा कर खाएं या फिर आप आधे गिलास पानी में गिलोय के कुचले हुए तने और पत्तों को धीमी आंच पर उबाले। इस काढ़े तो तब तक उबलने दें जब तक की ये चाय के छोटे कप जितना ना रह जाय। इसके बाद इसे छान लें और गुनगुने काढ़े को चाय की तरह पिए, इससे सर्दी जुकाम और अन्य संक्रमण में मदद मिलेगी। 


बवासीर में लाभदायक

बवासीर रोग में भी गिलोय के सकारात्मक लाभ प्राप्त होते हैं। हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (१0 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में इनका क्वाथ बनाये। जब यह क्वाथ एक कप रह जाए तो इसे ठंडा करके इसका सेवन करने से बवासीर रोग में लाभ प्राप्त होता है। 

रक्त को बनाये साफ़

गिलोय में एंटी ऑक्सीडेंट्स और एंटी बैक्ट्रियल गुण होते हैं जो की हमारे रक्त को साफ़ करते हैं और उसे स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं। 

गिलोय से मानसिक तनाव कम करें 

तनाव से जीवन का हर क्षेत्र प्रभावित होता है, इसलिए स्ट्रेस से मुक्ति के लिए गिलोय लाभदायक हो सकती है। गिलोय के सेवन से आप तनाव भी कम कर सकते हैं, इसका कारण है इसमें पाए जाने वाले एडाप्‍टोजेनिक जो की तनाव कम करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर से ऐसे तत्वों को बाहर निकलता है जो की मानसिक अवसाद का कारन बनते हैं। आयुर्वेदिक टॉनिक में इसका उपयोग मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके चूर्ण को शहद में मिलाकर लेने से मस्तिष्क से सबंधित बिमारियों में सहारा मिल सकता है। 

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गिलोय का उपयोग त्वचा के लिए

गिलोय का उपयोग त्वचा सबंधी रोगों की रोकथाम के लिए भी किया जाता है। त्वचा के संक्रमण जनित रोगों के लिए गिलोय उपयोगी होता है। दाद खाज फोड़े फुंसी के अलावा गिलोय के सेवन से त्वचा की झुर्रियां और कालेपन के निशान दूर होते हैं, ऐसा इसमें पाए जाने वाले एंटी एजिंग प्रॉपर्टीज के कारन होता है। त्वचा पर इसके रस को लेप की तरह से लगाना भी लाभदायक होता है। 

अस्थमा के लिए गिलोय

अस्थमा रोग और अन्य स्वसन सबंधी रोगों में भी गिलोय का उपयोग लाभदायक होता है। इसके रस के सेवन या फिर पत्तियों को चबाने से अस्थमा और अन्य स्वास से सबंधित विकारों में मदद मिलती है। पुरानी खांसी के उपचार के लिए गिलोय का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। दो चमच गिलोय का रस रोज सुबह लेने से खांसी का उपचार होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ साथ इन रोगों से मुक्ति मिलती है। 

पेशाब की रुकावट के लिए गिलोय का उपयोग

यदि मूत्र से सबंधित कोई विकार है या फिर पेशाब मूत्र से सबंधित मार्ग में पथरी हो तो गिलोय इसके लिए लाभदायक होती है। इसके लिए

गिलोय का स्वरस उपयोगी होता है। गिलोय रस के साथ यदि अश्वगंधा की जड़ों को भी उपयोग में लिया जाय तो इसके लाभ बढ़ जाते हैं। 


गिलोय का उपयोग पाचन तंत्र के सुधार के लिए

गिलोय का स्वरस पाचन तंत्र के सुधार के लिए भी उपयोगी होता है। त्रिफला के साथ यदि गिलोय का भी प्रयोग किया जाता है पाचन तंत्र सबंधी विकारों से शीघ्र लाभ मिलता है। 

हाथ पैरों में जलन के लिए

यदि आपके हाथ पैरों में जलन रहती है और वे गर्म बने रहते है तो आप गिलोय के तने और पत्तों का पेस्ट बना कर उसे हाथों और तलवों में लगाएं। इसके साथ साथ गिलोय स्वरस का भी सेवन करें जिससे आपके हाथ पैरों की जलन ठीक हो जायेगी। 

कान में दर्द के लिए

कान में दर्द होने पर गिलोय का रस कान में डालने पर राहत मिलती है।

खुजली के लिए गिलोय

दाद खाज और खुजली वाले स्थान पर गिलोय को हल्दी में पीस कर लगाने से आराम मिलता है।

गठिया रोग में गिलोय का योगदान

गिलोय स्वरस का सेवन करने से गठिया के रोग में कुछ लाभ मिलता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी सेप्टिक गुणों के कारण इसका उपयोग गठिया रोगों में भी लाभ पहुंचा सकता है।

गिलोय का उपयोग बुखार के लिए

वायरल बुखार के लिए गिलोय का सेवन लाभदायक होता है। चिकन गुनिया, डेंगू, वायरल बुखार के लिए गिलोय का काढ़ा लाभदायक होता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी सेप्टिक गुण बुखार दूर करने में सहायता करते हैं।

मोटापा दूर करने के लिए गिलोय

मोटापा दूर करने के लिए गिलोय और त्रिफला के चूर्ण को शहद के साथ लेने से मोटापा दूर होता है। 

उलटी के लिए गिलोय

गिलोय का काढ़ा पिने से जी घबराना और उलटी में लाभ मिलता है।

कैंसर में गिलोय का प्रयोग 

गिलोय में एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं जो शरीर में स्थिर फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालने में हमारी मदद करते हैं। गिलोय के साथ तुलसी, नीम और गेंहू के ज्वारे का स्वरस लिया जाय तो यह कैंसर के फैलने को रोकने में मददगार हो सकता है।

हृदय रोग और ब्लड प्रेशर के लिए गिलोय

हृदय रोग और ब्लड प्रेशर को नियन्त्रिक करने के लिए गिलोय लाभदायक होता है। इसके नियमित सेवन से हृदय सबंधी रोगों में लाभ मिलता है। 

मधुमेह में गिलोय का लाभ

मधुमेह रोग में भी गिलोय का लाभ होता है। लो डायबिटीज वाले व्यक्तियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए या फिर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

गिलोय के अन्य लाभ :
  • मस्तिष्क से सबंधित बिमारियों और स्मरण शक्ति के विकास के लिए गिलोय लाभदायक हो सकती है।
  • पेट से सबंधित बिमारियों के उपचार के लिए गिलोय सहायक हो सकती है।
  • गिलोय के सेवन से गुप्त रोगों के उपचार में सहायता मिलती है, इसके लिए किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेवें।
  • रक्त से सबंधित व्याधियों के लिए गिलोय का सेवन लाभदायक हैं।
  • त्रिफला के साथ गिलोय का नित्य सेवन करने से पुराना कब्ज दूर होता है।
  • मूत्र सबंधी विकारों में गिलोय लाभदायक होती है।
  • गिलोय के सेवन से शरीर में रक्त बढ़ता है।
  • गिलोय के रस का नित्य सेवन करने से स्मरण शक्ति में इजाफा होता है और यह एक तरह से मस्तिष्क के लिए टॉनिक का काम करता है|
  • शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाता है।
  • खाँसी, मलेरिया, शीत ज्वर (विषाणुक संक्रमण) में इसका उपयोग लाभदायक होता है।
  • गिलोय के सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रण में रखा जा सकता है।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।
  • गिलोय के सेवन से त्वचा जवान बनी रहती है और त्वचा के संक्रमण दूर होते हैं।
  • कुष्ठ रोगों में इसका सेवन लाभकारी होता है।
  • गिलोय का सेवन लिवर की देखभाल के लिए लाभदायक होता है।
  • गिलोय शरीर के विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में लाभदायी होता है।
  • पीलिया में इसका उपयोग किया जाता है।
  • गठिया और अन्य जोड़ों के दर्द में इसका सेवन लाभदायक होता है।
  • हाई कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम में उपयोगी। शुगर के मरीजों को इससे परहेज करना चाहिए या फिर डॉक्टर की राय लेनी चाहिए।
  • गिलोय के रस को शहद के साथ सेवन करने से पेट से जुड़े रोग ठीक होते हैं
  • राजयक्ष्मा रोग (Tuberculosis) में लाभ मिलता है।
  • शरीर की इम्युनिटी को बढाती है |
  • शरीर की सुजन कम करने में लाभकारी होती है
  • गिलोय एक रसायन है, यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, हृदयरोगनाशक ,शोधनाशक और लीवर टॉनिक भी है।
  • गिलोय के तने को तुलसी, पपीते के पत्ते, एलोवेरा और अनार के रस के साथ जूस बनाकर पीने से डेंगू रोग में सुधार होता है।
  • इसके रस का सेवन करने से खून की कमी दूर होती है| साथ ही यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है| यह कोलेस्ट्रोल (Cholesterol) कम करती है|
  • गिलोय के रस को शहद के साथ लेने से शारीरिक कमज़ोरी दूर होती है|
गिलोय का उपयोग कब नहीं किया जाना चाहिए : वैसे तो गिलोय एक आयुर्वेदिक हर्ब होती है जिसके सेवन से कोई हानि नहीं होती है, फिर भी निम्न अवस्थाओं में गिलोय का सेवन नहीं करे अथवा चिकित्सक से संपर्क करें।
  • गिलोय का सेवन निश्चित मात्रा से अधिक नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है।
  • गर्भावस्था के दौरान भी गिलोय का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
  • यदि आपका ब्लड शुगर कम है तो भी आप गिलोय का सेवन नहीं करें क्योंकि गिलोय के सेवन से ब्लड शुगर का स्तर और अधिक कम हो जाता है।
  • छोटे शिशु को गिलोय देने से परहेज करें या चिकित्सक की सलाह लें। 
गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं। यह इम्यूनिटी को बढ़ाने, बुखार को कम करने, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों आदि में लाभकारी होता है।
गिलोय के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं:

इम्यूनिटी को बढ़ाता है गिलोय

गिलोय एक औषधीय पौधा है जिसे आयुर्वेद में कई बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। इसे गुडुची, अमृता या त्रिफला के नाम से भी जाना जाता है। गिलोय की लताएं हमेशा हरी रहती हैं और यह अन्य पेड़ों पर चढ़ती है। गिलोय की पत्तियां, तने और जड़ें तीनों ही औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं।

गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं। यह इम्यूनिटी को बढ़ाने, बुखार को कम करने, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों आदि में लाभकारी होता है।

गिलोय के इम्यूनिटी को बढ़ाने वाले गुणों के पीछे इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जिम्मेदार हैं। एंटीऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो संक्रमण से लड़ने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

एसिडिटी और अपच को ठीक करता है

गिलोय में एसिडिटी और अपच को ठीक करने के गुण होते हैं। गिलोय में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पेट में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो एसिडिटी और अपच का कारण बन सकती है। गिलोय में मौजूद पाचक एंजाइम भी भोजन को पचाने में मदद करते हैं, जिससे एसिडिटी और अपच को दूर करने में मदद मिल सकती है।

गिलोय में मूत्र संबंधी रोगों को ठीक करने के गुण भी होते हैं। गिलोय में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मूत्राशय में संक्रमण को रोकने और मूत्र संबंधी रोगों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।

बुखार को कम करता है गिलोय

गिलोय के बुखार को कम करने वाले गुणों के पीछे इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीपायरेटिक गुण जिम्मेदार हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो शरीर के तापमान को बढ़ा सकता है। एंटीपायरेटिक गुण शरीर के तापमान को कम करने में मदद करते हैं।

पीलिया को ठीक करता है गिलोय

गिलोय के पीलिया को ठीक करने वाले गुणों के पीछे इसके एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और डिटॉक्सिफाइंग गुण जिम्मेदार हैं। एंटीऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं, जो लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो लिवर को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। डिटॉक्सिफाइंग गुण शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जो लिवर के कार्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

गठिया को ठीक करता है गिलोय

गिलोय में कई औषधीय गुण होते हैं, जिनमें से कुछ सूजन को कम करने और गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर को मुक्त कणों से बचाने में मदद करते हैं, जो गठिया के विकास में योगदान कर सकते हैं। गिलोय में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि गिलोय का सेवन करने से गठिया के रोगियों में जोड़ों के दर्द और सूजन में कमी आई। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि गिलोय का सेवन करने से गठिया के रोगियों में यूरिक एसिड के स्तर में कमी आई।

पाचन बनाए बेहतर

गिलोय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाचन में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर को मुक्त कणों से बचाने में मदद करते हैं, जो पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। गिलोय में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाचन तंत्र में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं को पैदा कर सकता है।

मस्तिष्क के टॉनिक के रूप में

गिलोय को मस्तिष्क के टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। गिलोय में कई औषधीय गुण होते हैं, जिनमें से कुछ मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। गिलोय में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट मस्तिष्क को मुक्त कणों से बचाने में मदद करते हैं, जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मुक्त कण तनाव, बुढ़ापे और कुछ बीमारियों के कारण हो सकते हैं।

गिलोय में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मस्तिष्क में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित कर सकता है। गिलोय में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर भी मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। न्यूरोट्रांसमीटर मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच संकेतों को भेजने के लिए जिम्मेदार होते हैं। 

गिलोय के सेवन में सावधानिया

गिलोय पांच साल की उम्र या इससे ऊपर के बच्चों के लिए सुरक्षित है। हालांकि, गिलोय की खुराक दो सप्ताह से ज्यादा या बिना आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के नहीं दी जानी चाहिए।
अगर आप डायबीटीज की दवाई ले रहे हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह के इस जड़ी बूटी का सेवन नहीं करना चाहिए। गिलोय रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है, जिससे डायबिटीज की दवाओं के साथ प्रतिक्रिया हो सकती है।
गिलोय कब्ज और कम रक्त शर्करा की समस्या भी पैदा कर सकता है। अगर आपको इनमें से कोई भी समस्या है तो गिलोय का सेवन करने से पहले डॉक्टर से बात करें। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन करने से पहले डॉक्टर से बात करनी चाहिए। गिलोय एक सुरक्षित और प्रभावी जड़ी बूटी है, लेकिन इसका सुरक्षित और प्रभावी तरीके से उपयोग करना महत्वपूर्ण है। गिलोय का सेवन करने से पहले डॉक्टर से बात करना हमेशा सबसे अच्छा होता है, खासकर अगर आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हैं या कोई स्वास्थ्य समस्या है।
 
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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
 
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1 टिप्पणी

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