शिव चालीसा लिरिक्स जाने महत्त्व और फायदे Shiva Chalisa Mahatv Aur Fayde
शिव का प्रिय मास सावन का पहला सोमवार है। इस दिन भक्तगण भगवान शंकर के लिए विशेष उपवास रखते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। सोमवार के दिन जो कोई भी भगवान शिव की पूजा अर्चना सच्चे मन से करता है, उसे जरूर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। सावन के सोमवार के दिन खास तौर पर शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। शिव चालीसा में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को दोगुने फल की प्राप्ति होती है।
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद माहि महिमा तुम गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट ते मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद माहि महिमा तुम गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट ते मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
Shiv Chalisa | Suresh Wadkar
शिव चालीसा का पाठ करने से बहुत लाभ होते हैं। शिव चालीसा में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिव की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। शिव के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। शिव अलौकिक शक्ति के मालिक है, उनकी कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है। शिव चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। वे सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त करते हैं।
शिव चालीसा गुजराती में Shiv Chalisa in Gujrati Language
| દોહા ||शिव चालीसा का पाठ वास्तव में भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक प्रभावशाली उपाय है। यह चालीसा भगवान शिव की महिमा का वर्णन करती है और भक्तों से उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करती है।
જય ગણેશ ગિરિજાસુવન મંગલ મૂલ સુજાન ।
કહત અયોધ્યાદાસ તુમ દેઉ અભય વરદાન ॥
|| chaupai ||
જય ગિરિજાપતિ દીનદયાલા ।
સદા કરત સન્તન પ્રતિપાલા ॥
ભાલ ચન્દ્રમા સોહત નીકે ।
કાનન કુણ્ડલ નાગ ફની કે ॥
અંગ ગૌર શિર ગંગ બહાયે ।
મુણ્ડમાલ તન ક્ષાર લગાયે ॥
વસ્ત્ર ખાલ બાઘમ્બર સોહે ।
છવિ કો દેખિ નાગ મન મોહે ॥
મૈના માતુ કિ હવે દુલારી ।
વામ અંગ સોહત છવિ ન્યારી ॥
કર ત્રિશૂલ સોહત છવિ ભારી ।
કરત સદા શત્રુન ક્ષયકારી ॥
નંદી ગણેશ સોહૈં તહં કૈસે ।
સાગર મધ્ય કમલ હૈં જૈસે ॥
કાર્તિક શ્યામ ઔર ગણરાઊ ।
યા છવિ કૌ કહિ જાત ન કાઊ ॥
દેવન જબહીં જાય પુકારા ।
તબહિં દુખ પ્રભુ આપ નિવારા ॥
કિયા ઉપદ્રવ તારક ભારી ।
દેવન સબ મિલિ તુમહિં જુહારી ॥
તુરત ષડાનન આપ પઠાયૌ ।
લવ નિમેષ મહં મારિ ગિરાયૌ ॥
આપ જલંધર અસુર સંહારા ।
સુયશ તુમ્હાર વિદિત સંસારા ॥
ત્રિપુરાસુર સન યુદ્ધ મચાઈ ।
તબહિં કૃપા કર લીન બચાઈ ॥
કિયા તપહિં ભાગીરથ ભારી ।
પુરબ પ્રતિજ્ઞા તાસુ પુરારી ॥
દાનિન મહં તુમ સમ કોઉ નાહીં ।
સેવક સ્તુતિ કરત સદાહીં ॥
વેદ માહિ મહિમા તુમ ગાઈ ।
અકથ અનાદિ ભેદ નહીં પાઈ ॥
પ્રકટે ઉદધિ મંથન મેં જ્વાલા ।
જરત સુરાસુર ભએ વિહાલા ॥
કીન્હ દયા તહં કરી સહાઈ ।
નીલકંઠ તબ નામ કહાઈ ॥
પૂજન રામચંદ્ર જબ કીન્હાં ।
જીત કે લંક વિભીષણ દીન્હા ॥
સહસ કમલ મેં હો રહે ધારી ।
કીન્હ પરીક્ષા તબહિં ત્રિપુરારી ॥
એક કમલ પ્રભુ રાખેઉ જોઈ ।
કમલ નયન પૂજન ચહં સોઈ ॥
કઠિન ભક્તિ દેખી પ્રભુ શંકર ।
ભયે પ્રસન્ન દિએ ઇચ્છિત વર ॥
જય જય જય અનંત અવિનાશી ।
કરત કૃપા સબકે ઘટ વાસી ॥
દુષ્ટ સકલ નિત મોહિ સતાવૈં ।
ભ્રમત રહૌં મોહે ચૈન ન આવૈં ॥
ત્રાહિ ત્રાહિ મૈં નાથ પુકારો ।
યહ અવસર મોહિ આન ઉબારો ॥
લે ત્રિશૂલ શત્રુન કો મારો ।
સંકટ સે મોહિં આન ઉબારો ॥
માત પિતા ભ્રાતા સબ કોઈ ।
સંકટ મેં પૂછત નહિં કોઈ ॥
સ્વામી એક હૈ આસ તુમ્હારી ।
આય હરહુ મમ સંકટ ભારી ॥
ધન નિર્ધન કો દેત સદા હી ।
જો કોઈ જાંચે સો ફલ પાહીં ॥
અસ્તુતિ કેહિ વિધિ કરોં તુમ્હારી ।
ક્ષમહુ નાથ અબ ચૂક હમારી ॥
શંકર હો સંકટ કે નાશન ।
મંગલ કારણ વિઘ્ન વિનાશન ॥
યોગી યતિ મુનિ ધ્યાન લગાવૈં ।
શારદ નારદ શીશ નવાવૈં ॥
નમો નમો જય નમઃ શિવાય ।
સુર બ્રહ્માદિક પાર ન પાય ॥
જો યહ પાઠ કરે મન લાઈ ।
તા પર હોત હૈં શમ્ભુ સહાઈ ॥
રનિયાં જો કોઈ હો અધિકારી ।
પાઠ કરે સો પાવન હારી ॥
પુત્ર હોન કી ઇચ્છા જોઈ ।
નિશ્ચય શિવ પ્રસાદ તેહિ હોઈ ॥
પણ્ડિત ત્રયોદશી કો લાવે ।
ધ્યાન પૂર્વક હોમ કરાવે ॥
ત્રયોદશી વ્રત કરૈ હમેશા ।
તન નહિં તાકે રહૈ કલેશા ॥
ધૂપ દીપ નૈવેદ્ય ચઢ़ાવે ।
શંકર સમ્મુખ પાઠ સુનાવે ॥
જન્મ જન્મ કે પાપ નસાવે ।
અન્ત ધામ શિવપુર મેં પાવે ॥
કહૈં અયોધ્યાદાસ આસ તુમ્હારી ।
જાનિ સકલ દુખ હરહુ હમારી ॥
|| દોહા ||
નિત નેમ ઉઠિ પ્રાતઃહી પાઠ કરો ચાલીસ ।
તુમ મેરી મનકામના પૂર્ણ કરો જગદીશ ॥
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- किसी मंदिर या अपने घर पर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
- धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- हाथ जोड़कर भगवान शिव से प्रार्थना करें।
- शिव चालीसा का पाठ करें।
शिव चालीसा एक बहुत ही लोकप्रिय स्तुति है। इसे हिंदू धर्म में व्यापक रूप से पढ़ा और गाया जाता है। यह चालीसा भगवान शिव की भक्ति के लिए एक शक्तिशाली उपाय है।
शिव चालीसा कैसे पढ़ें विधि
शिव चालीसा भगवान शिव की आराधना के लिए एक प्रसिद्ध स्तुति है। यह चालीसा 40 श्लोकों में भगवान शिव की महिमा का वर्णन करती है। शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।शिव चालीसा का पाठ करने के नियम:
- शिव चालीसा का पाठ सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद करना चाहिए।
- पाठ करते समय स्वच्छ कपड़े पहनकर पूर्व दिशा की ओर मुख कर कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
- भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें और उसके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- मूर्ति के पास तांबे के लोटे में साफ जल में गंगाजल मिलाकर रख दें।
- भगवान शिव का ध्यान करें।
- भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजा करते समय सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें।
- शिव चालीसा का पाठ करने से पहले गाय के घी का दीप जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर कलश की स्थापना करें।
- शिव चालीसा का पाठ लयबद्ध तरीके से करना चाहिए।
- पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
- शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- पाठ करने से भक्तों को शांति और सुख मिलता है।
- पाठ करने से भक्तों का कल्याण होता है।
शिव चालीसा का पाठ करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- अपने घर में एक पवित्र स्थान चुनें और उस पर कुशा का आसन बिछाएं।
- भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- मूर्ति के सामने एक तांबे का लोटा रखें और उसमें साफ जल भरें।
- लोटे में गंगाजल भी मिला दें।
- मूर्ति के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं।
- सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें।
- भगवान शिव का ध्यान करें।
- गाय के घी के दीपक को जलाकर एक कलश में शुद्ध जल भरें और कलश की स्थापना करें।
- शिव चालीसा को 3, 5, 11 या फिर 40 बार पाठ करें।
- पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
- शिव चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा और भक्ति से करें।
- पाठ करते समय अपने मन को शांत रखें।
- पाठ करते समय भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर को देखें।
- पाठ करते समय शिव चालीसा के अर्थ को समझने की कोशिश करें।
- शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
शिव चालीसा पढ़ने के लाभ benefits of reading Shiv Chalisa
- सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिव चालीसा का पाठ करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- कष्टों का निवारण होता है। शिव चालीसा का पाठ करने से जातक के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
- मनवांछित फल प्राप्त होता है। शिव चालीसा का पाठ विधि और नियम के अनुसार करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। शिव चालीसा का जाप करने से मन व शरीर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर होते हैं। शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से ग्रहों के बुरे प्रभाव दूर होते हैं।
- घर में खुशहाली आती है। रोज शिव चालीसा का पाठ करने से से घर में खुशहाली आती है।
- व्यापार और नौकरी में तरक्की मिलती है। शिव चालीसा के पाठ से व्यापार व नौकरी दोनों में तरक्की मिलती है।
- रोगों से मुक्ति मिलती है। रोगों से मुक्ति के लिए भी शिव चालीसा का निरंतर पाठ करना चाहिए।
- शत्रु बाधा का निवारण होता है। शिव चालीसा के पाठ करने से शत्रु बाधा का निवारण होता है।
- संतान प्राप्ति होती है। संतान की प्राप्ति के लिए शिव चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए।
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