युगन युगन हम योगी कबीर भजन लिरिक्स Yugan Yugan Hum Yogi Avdhota Yugan Yugan Ke Hum Yogi Lyrics Kabir Bhajan Lyrics Hindi
युगन युगन हम योगी,अवधूता, युगन युगन हम योगी,
आवे ना जाये मिटे ना कबहुं,
शब्द अनाहत भोगी,
अवधूता, युगन युगन हम योगी।
सब ठौर जमात हमारी,
सब ठौर पर मेला,
हम सब मांय, सब हैं हम मांय,
हम है बहूरी अकेला,
अवधूता, युगन युगन हम योगी।
हम ही सिद्धि समाधी हम ही,
हम मौनी हम बोले,
रूप सरूप अरूप दिखा के,
हम ही हम में हम तो खेले,
अवधूता, युगन युगन हम योगी।
कहें कबीरा सुनो भाई साधो,
नाहीं न कोई इच्छा,
अपनी मढ़ी में आप मैं डोलूँ,
खेलूँ सहज स्वइच्छा,
अवधूता, युगन युगन हम योगी।
युगन युगन हम योगी,
अवधूता, युगन युगन हम योगी,
आवे ना जाये मिटे ना कबहुं,
शब्द अनाहत भोगी,
अवधूता, युगन युगन हम योगी।
शिव को अक्सर योगी कहा जाता है क्योंकि उन्हें योग का स्वामी माना जाता है। योग एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो व्यक्तिगत आत्मा को सार्वभौमिक आत्मा से जोड़ने का प्रयास करता है। कहा जाता है कि शिव ने अपने योग और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से चेतना की उच्चतम अवस्था प्राप्त की थी, और उन्हें अक्सर एक तपस्वी तपस्वी के रूप में चित्रित किया जाता है।
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यह गीत संत कबीर द्वारा रचित है। इस गीत में कबीर साहेब अपने अनुभवों को व्यक्त करते हैं कि वे युगों से योगी हैं। वे सांसारिक मोह-माया से मुक्त हैं और परमात्मा में लीन हैं।
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