जाँचिये गिरिजापति काशी भजन

जाँचिये गिरिजापति काशी भजन

 
जाँचिये गिरिजापति काशी लिरिक्स हिंदी Janchiye Girijapati Kashi Lyrics

जाँचिये गिरिजापति काशी
सासू भावना अनिमादक दासी
सुख सम्पति मति सुगति सुहाई
सकल सुलभ शंकर सेवाकाई
गैसरन आरती के लीन्हे
मिरखी निहाल निमिष महातेरे
तुलसीदास जांचत जस गावे
विमला भरती रघुपति की पाव

जाँचिये गिरिजापति कासी,
जाँचिये गिरिजापति कासी,
जासु भवन अनिमादिक दासी,
जासु भवन अनिमादिक दासी।

औढरदानि द्रवत पुनि थोरें,
औढरदानि द्रवत पुनि थोरें,
सकत न देखि दीन कर जोरें,
सकत न देखि दीन कर जोरें।

सुखसंपति मतिसुगति सुहाई,
सुखसंपति मतिसुगति सुहाई,
सकल सुलभ संकर सेवकाई।

गये सरन आरतिकै लीन्हे,
गये सरन आरतिकै लीन्हे,
निरखि निहाल निमिषमहँ कीन्हे,
निरखि निहाल निमिषमहँ कीन्हे,
तुलसिदास जाचक जस गावै,
बिमलभगति रघुपतिकी पावै,
जाँचिये गिरिजापति कासी।

Jaanchiye Girijaapati Kaasi
Jaasu Bhavana Animaadik Daasi

Sukh Sampati Mati Sugati Suhaayi
Sakala Sulabh Sankar Seva Kaayee
Gaisaran Aarati Ke Leenhe
Nirati Nihaal Nimish Mahateere

Tulasi Daas Jaanchata Jas Gaavey
Vimala Bharati Raghupati Ki Paavey
 

Janchiye Girijapati Kasi - Various Artists (Album: Bhaktimala - Shiva Vol 1)

Jaanchiye Girijaapati Kaasi
Jaasu Bhavana Animaadik Daasi

Sukh Sampati Mati Sugati Suhaayi
Sakala Sulabh Sankar Seva Kaayee
Gaisaran Aarati Ke Leenhe
Nirati Nihaal Nimish Mahateere

Tulasi Daas Jaanchata Jas Gaavey
Vimala Bharati Raghupati Ki Paavey

भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। तुलसीदास जी इसके माध्यम से भगवान शिव की कृपा, उनकी करुणा और भक्तों पर उनके असीम प्रेम का वर्णन कर रहे हैं।
भजन का अर्थ:
जाँचिये गिरिजापति कासी, जाँचिये गिरिजापति कासी:
हे भक्तों काशी के स्वामी, माता पार्वती के पति भगवान शिव की महिमा को परखो और जानो।

जासु भवन अनिमादिक दासी:
जिनके भवन में अनिमादिक/आठों सिद्धियाँ दासी की तरह सेवा में उपस्थित रहती हैं।

औढरदानि द्रवत पुनि थोरें:
वे औढरदानी/बड़े दयालु और दानवीर हैं, जो अपने भक्तों पर थोड़ा भी कृपा करें, तो भी वे धन्य हो जाते हैं।

सकत न देखि दीन कर जोरें:
वे किसी भी दीन-हीन, दुखी व्यक्ति की दशा देखकर व्याकुल हो जाते हैं और उसकी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं।

सुखसंपति मतिसुगति सुहाई:
उनकी भक्ति से सुख, संपत्ति, बुद्धि, सद्गति और सुंदर जीवन की प्राप्ति होती है।

सकल सुलभ संकर सेवकाई:
जो भी भगवान शंकर की सेवा करता है, उसे यह सब सहज रूप से प्राप्त हो जाता है।

गये सरन आरतिकै लीन्हे, निरखि निहाल निमिषमहँ कीन्हे:
जो भी उनकी शरण में जाता है, भगवान शिव उसे तुंरत अपने दर्शन देकर कृतार्थ कर देते हैं।

तुलसीदास जाचक जस गावै, बिमलभगति रघुपतिकी पावै:
तुलसीदास जी कहते हैं कि जो इस महिमा को गाता है, वह न केवल शिव कृपा प्राप्त करता है, बल्कि श्रीराम की निर्मल भक्ति भी पा लेता है।

भावार्थ: भगवान शिव की अपार कृपा और उनके दयालु स्वभाव का वर्णन करता है। शिव भक्तों के दुख को देखकर द्रवित हो जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उनकी भक्ति से सभी सुख, समृद्धि और मुक्ति प्राप्त होती है। जो उनकी शरण में आता है, वो धन्य हो जाता है और ईश्वर की कृपा से उसका जीवन सफल हो जाता है। हर-हर महादेव।
 
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