Sukh Sampati Mati Sugati Suhaayi Sakala Sulabh Sankar Seva Kaayee Gaisaran Aarati Ke Leenhe Nirati Nihaal Nimish Mahateere
Tulasi Daas Jaanchata Jas Gaavey Vimala Bharati Raghupati Ki Paavey
भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। तुलसीदास जी इसके माध्यम से भगवान शिव की कृपा, उनकी करुणा और भक्तों पर उनके असीम प्रेम का वर्णन कर रहे हैं। भजन का अर्थ: जाँचिये गिरिजापति कासी, जाँचिये गिरिजापति कासी: हे भक्तों काशी के स्वामी, माता पार्वती के पति भगवान शिव की महिमा को परखो और जानो।
जासु भवन अनिमादिक दासी: जिनके भवन में अनिमादिक/आठों सिद्धियाँ दासी की तरह सेवा में उपस्थित रहती हैं।
औढरदानि द्रवत पुनि थोरें: वे औढरदानी/बड़े दयालु और दानवीर हैं, जो अपने भक्तों पर थोड़ा भी कृपा करें, तो भी वे धन्य हो जाते हैं।
सकत न देखि दीन कर जोरें: वे किसी भी दीन-हीन, दुखी व्यक्ति की दशा देखकर व्याकुल हो जाते हैं और उसकी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं।
सुखसंपति मतिसुगति सुहाई: उनकी भक्ति से सुख, संपत्ति, बुद्धि, सद्गति और सुंदर जीवन की प्राप्ति होती है।
सकल सुलभ संकर सेवकाई: जो भी भगवान शंकर की सेवा करता है, उसे यह सब सहज रूप से प्राप्त हो जाता है।
गये सरन आरतिकै लीन्हे, निरखि निहाल निमिषमहँ कीन्हे: जो भी उनकी शरण में जाता है, भगवान शिव उसे तुंरत अपने दर्शन देकर कृतार्थ कर देते हैं।
तुलसीदास जाचक जस गावै, बिमलभगति रघुपतिकी पावै: तुलसीदास जी कहते हैं कि जो इस महिमा को गाता है, वह न केवल शिव कृपा प्राप्त करता है, बल्कि श्रीराम की निर्मल भक्ति भी पा लेता है।
भावार्थ: भगवान शिव की अपार कृपा और उनके दयालु स्वभाव का वर्णन करता है। शिव भक्तों के दुख को देखकर द्रवित हो जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उनकी भक्ति से सभी सुख, समृद्धि और मुक्ति प्राप्त होती है। जो उनकी शरण में आता है, वो धन्य हो जाता है और ईश्वर की कृपा से उसका जीवन सफल हो जाता है। हर-हर महादेव।