अब थारो काईं पतियारो लिरिक्स Aub Tharo Kai Patiyaro Re Pardesi Lyrics

अब थारो काईं पतियारो लिरिक्स Aub Tharo Kai Patiyaro Re Pardesi Lyrics

 
अब थारो काईं पतियारो लिरिक्स Aub Tharo Kai Patiyaro Re Pardesi Lyrics

एजी काल चक्र चक्की चले
बहुत दिवस और रात
एजी अगुण सगुण दोई पाटला
तामे जीव पिसाय
एक दिन ऐसा होयगा
एक दिन ऐसा होयगा
कोउ कहूँ का नाय
घर की नारी को कहे
और तन की नारी जाय
तो मंदिर माहीं झलकती
एजी मंदिर माहीं झलकती
ने दिया की सी जोत
हंस बटाऊ चली गया,
और काड़ी घड़ की कोय

अब थारो कईं पतियारो,
रे परदेसी............हे रे हाँ,
अब थारो कईं पतियारो,
ओ दूरादेसी...........हे रे हाँ,
मायला जब लग तेल दिया रे माई बाती
हे रे हाँ....
मायला जब लग तेल दिया रे माई बाती
हे रे हाँ....
थारा मंदरिया में होयो उजियारो,
रे परदेसी........हे रे हाँ,

मायला खूटी गयो तेल,
बुझन लागी बाती........हे रे हाँ,
मायला खूटी गयो तेल,
बुझन लागी बाती........हे रे हाँ,
थारा मंदरिया में होयो उजियारो,
रे परदेसी....रे परदेसी.......हे रे हाँ,

मायला ढसी गयी भीत
पड़न लागी टाटी...........हे रे हाँ,
मायला ढसी गयी भीत
पड़न लागी टाटी...........हे रे हाँ,
थारी टाटी में मिल गयी माटी,
रे परदेसी............हे रे हाँ,

मायला घाट घड़ी को
यो सांटो रे मीठो
रे परदेसी...........हे रे हाँ,
मायला घाट घड़ी को
यो सांटो रे मीठो
रे परदेसी.........हे रे हाँ,
यो तो गांठ गांठ रस न्यारो
रे परदेसी........हे रे हाँ,


मायला उठी चलो बणियो,
सूनी आ थारी हाठड़ी.....हे रे हाँ,

मायला उठी चलो बणियो,
सूनी आ थारी हाठड़ी.........हे रे हाँ,
इ तो तालो दई गयो ने
खूंची लई गयो रे
रे परदेसी.......हे रे हाँ,
अब थारो कईं पतियारो,
रे परदेसी......हे रे हाँ,

मायला कहें हो कबीर साह,
सुनो रे भाई साधो...हे रे हाँ,
मायला कहें हो कबीर साह,
सुनो रे भाई साधो...हे रे हाँ,
थारो हंसो अमरापुर जासी
रे परदेसी......हे रे हाँ,
अब थारो कईं पतियारो,
रे परदेसी............हे रे हाँ,
अब थारो कईं पतियारो,
ओ दूरादेसी..........हे रे हाँ
 

Kabir bhajan :- अब थारो कई पतियारो रे,,Ab Tharo Kayi Patiyaro Re Pardesi,,,by prahlad singh tipaniya

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अब थारो कईं पतियारो, रे परदेसी?
ओ दूरादेसी
मायला ढसी गयी भीत पड़न लागी टाटी
थारी टाटी में मिल गयी माटी, रे परदेसी
अब थारो कईं पतियारो, रे परदेसी?
मायला घाट घड़ी को सांटो रे मीठो
यो तो गांठ गांठ रस न्यारो रे परदेसी
अब थारो कईं पतियारो, रे परदेसी?
मायला जब लग तेल दिया रे मांहि बाती
थारा मंदरिया में होयो उजियारो, रे परदेसी
अब थारो कईं पतियारो, रे परदेसी?
मायला खूटी गयो तेल, बुझन लागी बाती
थारा मंदरिया में होयो अंधियारो, रे परदेसी
अब थारो कईं पतियारो, रे परदेसी?
मायला उठी चलो बणियो, सूनी आ थारी हाठड़ी
इ तो तालो दई गयो ने खूंची लई गयो, रे दूरादेसी
अब थारो कईं पतियारो, रे परदेसी?
मायला कहें हो कबीर साह, सुनो रे भाई साधो
थारो हंसो अमरापुर जासी रे परदेसी
अब थारो कईं पतियारो, रे परदेसी?

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