मुंड मून्डाया हरि मिलें सब कोई लेई मुड़ाय हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

मुंड मुड़या हरि मिलें सब कोई लेई मुड़ाय-हिंदी मीनिंग/व्याख्या Mund Mundaya Hari Mile Sab Koi Le Mundaay-Kabhir Doha Hindi Vyakhya/Meaning कबीर के दोहे हिंदी में

मुंड मुड़या हरि मिलें ,सब कोई लेई मुड़ाय।
बार बार के मुड़ते ,भेंड़ा न बैकुण्ठ जाय।।

Mund Mudaya Hari Milen, sab Koee Leee Mudaay।
Baar Baar Ke Mudate, bhenda Na Baikunth Jaay।।

मुंड मून्डाया हरि मिलें सब कोई लेई मुड़ाय हिंदी मीनिंग

मुंड मुड़या हरि मिलें सब कोई लेई मुड़ाय शब्दार्थ हिंदी Word Meaning of Moond Mundaya Hari Mile-Kabir Ke Dohe

मूंड मुंडाया : सर मुंडवाना / बालों का त्याग करना। hair cutting
हरि मिले : ईश्वर की प्राप्ति होना। Attain god
मुण्डाय : सर मुंडवाना। hair cutting
बार बार के मूंडते: बार बार बालों का त्याग करना। Frequent Hair Cutting
बैकुंठ जाय : स्वर्ग की प्राप्ति होना। Attain heaven


मुंड मुंडाया हरि मिलें सब कोई लेई मुड़ाय हिंदी मीनिंग Hindi Meaning of Kabir Doha Moond Mundaya Hari Mile

कबीर दोहे का हिंदी मीनिंग -माला जपना, गेरुआ वस्त्र धारण करना, तिलक लगाना, और नाना प्रकार के पाखंडों से ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है। इसी तरह से यदि बालों को काटने / मुंडवाने से ही यदि ईश्वर मिलता तो भेड़ के बाल तो वर्ष में कई बार काटे जातें हैं लेकिन क्या वह अमारपुर / स्वर्ग में जा पाती है ? इस दोहे में कबीर साहेब ने धर्म के नाम पर पाखण्ड और दिखावे पर चोट की है। लोग तरह तरह के भेष बना लेते हैं, कठोर तपस्या करके देह को दुःख देते हैं। कबीर साहेब ने स्पष्ट किया की आडम्बर, ढोंग और दिखावे की भक्ति से कोई लाभ नहीं होगा। इश्वर की प्राप्ति के लिए मन का पवित्र होना, आचरण की शुद्धता और मानवीय गुण होने चाहिए। फिर आप कहीं पर भी रहें इश्वर की प्राप्ति संभव है।
 
जटां बढ़ाए हरी ना मिले,
हर कोई लेवे बढ़ाए,
जटां बढ़ावे वन रा रींछडा,
कब अमरा पुर जाय।
शीश मुंडाया हरी ना मिले,
हर कोई लेवे मुंडाय,
शीश मुंडावे वन री भेड्की,
कब अमरापुर जाय।
बानी लागाया हरी ना मिले,
हर कोई लेवे लगाए,
नित बानी लगावे गधेड़ा,
कब अमरपुर जाये।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं

+

एक टिप्पणी भेजें