मोक्षदा एकादशी क्या होती है
मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को आती है और इस पवित्र अवसर पर मौन व्रत किया जाता है जिससे मोक्ष प्राप्ति संभव हो पाती है। इसी पावन दिन ही भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। मोक्षदा एकादशी के रोज पूजा उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति सम्भव होती है. इस दिन दान का फल अनंत गुना मात्र में प्राप्त होता है.
मोक्षदा एकादशी हमारे ग्रंथों में एक बहुत ही पवित्र दिन माना गया है और यह नवंबर महीने में 11 वें चंद्र दिवस (एकादशी) को आता है। हिंदू, विशेष रूप से वैष्णव भगवान विष्णु के अवतार, भगवान कृष्ण के सम्मान में 24 घंटे का उपवास करते हैं। मोक्षदा एकादशी को ‘मार्गशीरा’ के चन्द्र मास के दौरान शुक्ल पक्ष (चंद्रमा का वैक्सिंग चरण) की एकादशी तिथि (11 वें दिन) पर गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है।
मोक्षदा एकादशी भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित एक अत्यंत शुभ दिन है। श्री विष्णु जी अपने सभी पापों से छुटकारा पाने के लिए और मृत्यु के बाद मोक्ष या मुक्ति प्राप्त करने के लिए। एकादशी उसी दिन गीता जयंती के रूप में मनाई जाती है, जिस दिन कृष्ण ने पांडव राजकुमार अर्जुन को भगवद गीता का पवित्र उपदेश दिया था, जैसा कि हिंदू महाकाव्य महाभारत में वर्णित है। 700-पद्य भगवद गीता ने पांडवों और उनके चचेरे भाइयों के बीच कुरुक्षेत्र में कौरवों के बीच महाभारत युद्ध की शुरुआत में बताया था, जो विभिन्न हिंदू दार्शनिक विचारों से संबंधित है। मोक्षदा एकादशी को 'मौन एकादशी' के रूप में भी जाना जाता है और इस दिन भक्त पूरे दिन 'मौना' (घर के सदस्यों से भी कोई बात नहीं करता है। ) का पालन करते हैं। ऐसा माना जाता है की इस रोज पुरे जीवन के किये गए बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। मोक्षदा एकादशी के व्रत के दिन कुछ भी खाया पिया नहीं जाता है और मौन रह कर दिन बिताया जाता है। एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक 24 घंटे का उपवास किया जाता है जो की निर्जला होता है। ऐसी मान्यता है की नियमित रूप से इस व्रत का पालन करता है उसे मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है।
मोक्षदा एकादशी पर कैसे करें उपासना?
- प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें.
- इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान कृष्ण की पूजा करें.
- उन्हें पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें.
- इसके बाद भगवान कृष्ण के मन्त्रों का जाप करें या भगवद्गीता का पाठ करें.
- किसी निर्धन व्यक्ति को वस्त्रों या अन्न का दान करें.
- वैसे तो निर्जल उपवास रखना उत्तम होता है. परन्तु आवश्यकता होने पर जलीय आहार और फलाहार लिया जा सकता है.
मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को आती है. इस दिन को मोक्ष प्राप्ति का दिन कहा जाता है | हिंदू धर्म में मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता श्रीहरि के शरीर से प्रकट हुई थी।
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