What is Pippli पिप्पली (लॉन्ग पाइपर) क्या है ?
पिप्पली हमारे खड़े मसालों के रूप में रसोई में उपलब्ध होती है और ज्यादातर हम इसको खड़े मसालों में ही काम में लेते हैं और इसके स्वतंत्र फायदों के विषय में गौर नहीं करते हैं। आइये जान लेते हैं की पिप्पली के आयुर्वेदिक औषधीय लाभ क्या हैं और किन किन विकारों में हम इसका उपयोग कर सकते हैं।
पिप्पली जिसका वानस्पतिक नाम Piper longum है जिसे हम "लॉन्ग पाइपर" के नाम से भी जानते हैं। पिप्पली पाइपरेसी कुल का 'लता पादप' (बेल पौधा) है। इस पौधे के जो फल लगता है जिसका स्वाद काली मिर्च जैसा होता है, उसे ही हम 'पिप्पली' के नाम से पहचानते हैं। पिप्पली की बेल के सर्दियों में फल लगते हैं जो काफी सुगन्धित होते हैं। पिप्पली जितनी वजनदार और मोटी होती है उतनी ही श्रेष्ठ मानी जाती है। पिप्पली की दो किस्म है, छोटी पिप्पली और बड़ी पिप्पली। छोटी पिप्पली भारत में ही पैदा होती है और यह प्रमुख रूप से गर्म जलवायु में पैदा होती है, वहीँ बड़ी पिप्पली को इंडोनेशिया, मलेशिया आदि देशों से आयात किया जाता है। पिप्पली का पौधा भारत में मध्य हिमालय से आसाम, बंगाल के इलाकों, पश्चिम घाट के सदाबहार जंगलों, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, आँध्रप्रदेश, तमिलनाडु, निकोबार, उत्तरप्रदेश आदि इलाकों में बहुलता से पाया जाता है। पिप्पली बडे पैमाने पर चूनापत्थर मिट्टी एवं भारी वर्षावाले प्रदेशों में आसानी से उगता है जहाँ पर आद्रता की मात्रा उच्च होती है। गर्म और नमी वाले स्थानों पर यह सुगमता से पैदा की जा सकती है।
'राजनिघन्टु' में प्रमुख रूप से चार प्रकार की पिप्पलियों का परिचय प्राप्त होता है, पिप्पली, वनपिप्पली, सिंहली और गज पिप्पली। चरक सहिंता में भी इसके सबंध में विस्तार से वर्णन प्राप्त होता है। कई आयुर्वेदिक ओषधियों जैसे कास हर चूर्ण, चन्द्रप्रभा वटी, महाशंख वटी, पिपल्यासव, पिप्पलीखण्ड, गुडपिप्पली, पिप्पलीवर्धमान रसायन, संजीवनीवटी, च्यवनप्राश, आनन्दभैरव कनकासव तथा चन्द्रप्रभावटी आदि।
Various Name of Piper Longum पिप्पली के विभिन्न भाषाओँ में नाम
पिप्पली को क्षेत्रीय भाषाओं के अनुसार विभिन्न नामों से पहचाना जाता है। इसे संस्कृत में पिप्पली, पिप्पली, मागधी, कृष्णा, वैदही, चपला, हिन्दी में पीपर/पिप्पली/पीपल, मराठी में पिपल, गुजराती में पीपर, बांग्ला में पिपुल, तेलुगू में पिप्पलु, तिप्पली और अंग्रेज़ी- लांग पीपर, लैटिन- पाइपर लांगम आदि नामों से जाना जाता है।
पिप्पली का रासायनिक संगठन
पिप्पली में पाए जाने वाले रासायनिक तत्व होते हैं -कापरपेनिन, मेथॉक्सीफेनिल, पेंटेनॉयल पाइपरिडीन, पिपेरोलैक्टम ए, मिथाइलेंडीऑक्सीफेनिनल, पेंटाडिएनिल पिरोलिडीन, मिथाइलिडेनोफेनफेनिल, पेंटेनिल, पाइरोलीन, मिथाइलीन डाइऑक्साइफेनिल, नोरडायलिन, पाइरोलीन। पिप्पली को कालीमिर्च की भाँती तीखापन इसमें पाए जाने वाले ऍल्कलॉयड 'पाइपराइन' के कारण से होता है। पिप्पली में 10-20 प्रतिशत तक उत्पल तेल (oil) पाया जाता है जिनमें पिप्लीन, पाईपेरिन, पाईपरीडिन नाम एल्केलॉयड एवम् तीक्षण सत्व तथा स्टार्य आदि पदार्थ पायें जाते है। पिप्पली का रस कटु, गुण-लघु तीक्ष्ण, वीर्य-शीतल, विपाक-मधुर, कर्म-कफ/वात होता है। प्रमुख आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार पिप्पली, गुण में लघु, स्निग्धं व तीक्षण होती है। इसमें - कटु, विपाक में - मधुर, वीर्य-अनुष्णशील, कर्म-वातशामक तथा आर्द्रफल-वातकफवर्द्वक एवं पित्तशामक, मेध्यं, दीवन, वातानुलोमन, शीतप्रशमन, यकृदुत्तेजक, प्लीहावृद्विहर, रक्तवर्धक, रक्तशोधक, कास-श्वासहर, हिम्का निग्रहण, शिरोविरेचन, मूत्रल ज्वरहन एवं रसायन है।
पिप्पली में पाए जाने वाले पोषक तत्व
पिप्पली से हमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, अमिनो एसिड, विटामिन और मिनरल्स की प्राप्ति होती है। पिप्पली में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज भी पाई जाती हैं।
Usages of Pippli पिप्पली का उपयोग
पिप्पली का उपयोग हम खड़े मसालों के रूप में करते हैं और पिप्पली का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवा बनाने में घटक के रूप में किया जाता है। पिप्पली को हमें घर पर रसोई में रखना चाहिए जिससे छोटे मोटे स्वास्थ्य विकार हम घर पर ही दुरुस्त कर सकते हैं।
Effect (Taseer) of Pippli पिप्पली का उपयोग
पिप्पली की तासीर गर्म होती है। पिप्पली का अधिक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यदि पिप्पली का सेवन करना अनिवार्य हो तो वैद्य की सलाह से इसे ऐसे प्रदार्थों के संयोग से लेना चाहिए जिनकी तासीर ठंडी हो। सुखी पिप्पली वात और कफ नाशक होती है वहीँ हरी पिप्पली कफ को बढ़ा देती है क्योंकि हरी पिप्पली की तासीर ठंडी होती है। पिप्पली एक तैलीय ओषधि है जिसका मतलब है की यह स्निग्ध है और इसके तेल से शरीर की वात कम होती है।
पतंजलि पिप्पली चूर्ण के फ़ायदे Benefits of Patanjali Pippli Churna
पिप्पली चूर्ण के कई औषधीय लाभ हैं, जिन्हे हम आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। पिप्पली का चूर्ण बनाकर अपने घर में रखें और कई विकारों में इसका उपयोग लें।
खाँसी और बुखार में पतंजलि पिप्पली चूर्ण का उपयोग Patanjali Churna Pippli Benefits in Cough and Fever
खाँसी और बुख़ार में पिप्पली चूर्ण का उपयोग बहुत ही लाभदाई होता है। खाँसी होने पर पिप्पली चूर्ण को शहद के साथ लेने पर लाभ मिलता है। छोटे बच्चों को पिप्पली चूर्ण को शहद के साथ देने पर बुखार और खांसी में शीघ्र लाभ मिलता है। यदि वयस्कों में कफ अधिक बढ़ गया है तो पिप्पली चूर्ण, सौंठ और काली मिर्च के चूर्ण के साथ मिला कर एक छोटी चम्मच गर्म पानी के साथ लेने पर लाभ मिलता है। फेफड़ों में जमा कफ को पिप्पली का चूर्ण ढीला करता है और आसानी से शरीर के बाहर निकालता है। स्वसन विकारों
(Respiratory Disease) में भी पिप्पली चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है। पिप्पली चूर्ण के सेवन से सर्दी खाँसी में लाभ मिलता है। शीघ्र लाभ ले लिए पिप्पली के काढ़े का सेवन करना चाहिए। पिप्पली फेफड़ों को शक्ति प्रदान करता है, ( it boosts vasodilatation and increases circulation to the lung )
अनिंद्रा में पतंजलि पिप्पली चूर्ण का उपयोग Patanjali Pippli Root Churna Benefits in Insomnia
वयस्क और वृद्ध व्यक्तिओं में अनिंद्रा विकारों में पिप्पली चूर्ण / पिप्पली जड़ के सेवन से लाभ मिलता है। पिप्पली जड़ के चूर्ण का सेवन मिश्री के साथ एक से दो ग्राम गुनगुने पानी के साथ लेने पर बेहतर नींद की प्राप्ति होती है।
मोटापा कम करने में पतंजलि पिप्पली चूर्ण का उपयोग Patanjali Pippli Churna Benefits in Obesity (Pippli Churna for Weight loss ) मोटापा दूर करने के लिए भी पिप्पली चूर्ण का उपयोग लाभदाई होता है। मोटापा दूर करने के लिए पिप्पली चूर्ण का उपयोग, दो से तीन ग्राम पिप्पली चूर्ण और मधु मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करें। पिप्पली चूर्ण के सेवन के दो से तीन घंटों के दौरान पानी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं खाना चाहिए, जिससे अतरिक्त वसा दूर होती है।
शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को निकाल कर करे डिटॉक्सीफाई पतंजलि पिप्पली चूर्ण
लौंग कालीमिर्च और लहसुन की भाँती ही पिप्पली में भी एंटी बेक्टेरियल और एंटी इंफ्लामेन्ट्री प्रॉपर्टीज होती हैं जो शरीर से विषाक्त कणो/प्रदार्थों को बाहर निकालने में उपयोगी होते हैं। पिप्पली चूर्ण त्रिदोष नाशक होने के कारण यह वात, कफ और पित्त जनित विकारों को दूर करती है। सप्ताह में दो से तीन बार पिप्पली चूर्ण का उपयोग किया जाना चाहिए।
कोलेस्ट्राल कम करे पतंजलि पिप्पली चूर्ण
वैद्य की सलाह के उपरान्त नियमित रूप से पिप्पली चूर्ण का उपयोग शहद के साथ लेने पर कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है, इसके अतरिक्त यह शरीर से अतिरिक्त वसा को दूर कर वजन को भी नियंत्रित करने में उपयोगी होता है।
हृदय रोगों में उपयोगी पतंजलि पिप्पली Patanjali Pippli Churna Good for Heart
हृदय रोगों में भी पिप्पली का उपयोग लाभकारी होता है। पिप्पली के सेवन से हृदय की रक्त वाहिनियों का विस्तार होता है जिससे हृदय में रक्त का संचरण सुधरता है। पिप्पली चूर्ण में शहद मिलाकर प्रातः खाली पेट लेने से कोलेस्ट्रॉल में सुधार होता है और हृदय विकारों में लाभ मिलता है। डाक्टर
रणवीर कौर के द्वारा किये गए एक रिसर्च, "Concept of Pippali (Piper Longum) Verses Heart Diseases" SSRG International Journal of Medical Science 6.5(2019): 5-6, के मुताबिक पिप्पली के सेवन से रक्त कोशिकाओं में आश्चर्य जनक रूप से सुधार होता है।
दिल की बीमारियाँ हृदय की मांसपेशियों को अपर्याप्त और अप्रयाप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति के कारण कोरोनरी धमनियों से होती हैं। दिल की विभिन्न बीमारियाँ होती हैं जिनमें हृदय की मांसपेशियाँ ठीक से काम नहीं करती हैं इसलिए ह्रदय (हृदय) शैथिल्य (कमजोर) हो जाता है जिससे आगे चलकर हृदय की मांसपेशियों के विकार पैदा हो जाते हैं। जब कोलेस्ट्रॉल के जमाव के कारण कोरोनरी धमनियां काम नहीं करती हैं तो बाएं वेंट्रिकल प्रभावित होता है। अगर कोरोनरी धमनियों में रक्त जमाव होता है, तो हृदय की मांसपेशियों को नुकसान के कारण मायोकार्डियल रोधगलन होता है। कुछ मामलों में दिल की मांसपेशियाँ बहुत अधिक कठोर हो जाती हैं या ठीक से भरने और पंप करने के लिए बहुत कमजोर हो जाती हैं। हृदय वाल्व कमजोर होने के कारण दिल भी कमजोर हो जाता है। ये सभी कारक और प्रेरक एजेंट हृदय की मांसपेशियों के अनुचित काम की ओर ले जाते हैं जिससे हृदय की थकावट होती है। पिप्पली (पाइपर लोंगम) दोनों में छोटी और लंबी पाइपरिन होती है जो एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल अनुपात में कुल सीरम कोलेस्ट्रॉल और कुल कोलेस्ट्रॉल के उन्नयन को रोकती है।
अस्थमा तथा ब्रोन्काइटिस के उपचार हेतु पतंजलि पिप्पली चूर्ण Patanjali Pippli ke Fayde Asthma Me
अस्थमा और ब्रोन्काइटिस जैसे विकारों में भी पिप्पली का उपयोग श्रेष्ठ माना गया है। पिप्पली चूर्ण फेफड़ों की क्रिया को सुचारु करता है और फेफड़ों में जमा कफ को दूर करता है। कफ के शांत होने पर अस्थमा में सुधार होता है और पिप्पली आश्चर्य जनक रूप से टीबी की रोकथाम में भी लाभदाई सिद्ध सोता है।
Benefits of Patanjali Pippli Churna पतंजलि पिप्पली चूर्ण के अन्य फायदे
- पेट दर्द हो जाने पर आधा चम्मच पिप्पली चूर्ण और आधा चम्मच सेंधा नमक को मिलाकर गर्म पानी से लेने पर लाभ मिलता है। इस चूर्ण की फाँकी लेने से कुछ ही देर में पेट दर्द में लाभ मिलता है।
- पिप्पली के चूर्ण को गर्म दूध के साथ लेने पर यह धातु को बढ़ाती है और वीर्य को पुष्ट करती है।
- सर दर्द हो जाने पर इसके चूर्ण को पानी की सहायता से लेप बना कर सर पर लगाने से सर दर्द में तुरंत राहत मिलती है।
- सौंठ, कालीमिर्च और पिप्पल के चूर्ण को मिला कर लेने से कफ विकार दूर होता है। इस त्रिकूट चूर्ण को आप चाय में डाल कर भी उपयोग में ले सकते हैं।
- शरीर में गर्मी बढ़ी हुई है और पिप्पली का चूर्ण लेना आवश्यक हो तो पिप्पली चूर्ण को गुड़ में मिलाकर गोली रूप में बनाकर देने से कफ दूर होता है और शरीर में अधिक गर्मी भी नहीं बढ़ती है।
- जहाँ पर पिप्पली का पौधा उगता है, वहाँ यदि ऋतु के अनुरूप इसके फल नहीं लगे होने पर पिप्पली की जड़ (पिपला मूल) को उबालकर पीने से सर्दी, खांसी और बुखार दूर होती है। यदि यह ताज़ी नहीं मिले तो पंसारी से इसकी सूखी जड़ों को प्राप्त किया जा सकता है।
- बुखार होने पर पिपली की जड़ का काढ़ा बनाकर सुबह शाम पिये इससे जल्द ही बुखार ठीक हो जायेगा और शरीर के विजातीय तत्व बाहर निकल जाते हैं।
- थायराइड में चव्य चित्रक पिपली पीपला मूल व सोंठ का काढ़ा बनाकर सेवन करे इससे थायराइड में लाभ मिलता है और मोटापा भी कम होता है।
- मासिक धर्म की परेशानी होने पर डेढ ग्राम पिपली व 3 ग्राम पीपला मूल का काढ़ा बनाकर इसका सेवन करने से मासिकधर्म की अनियमितता दूर होती है।
- सरदर्द होने पर पिप्पली का पाउडर कर हल्का सा भूनकर नाक से सूंघे इससे नजला जुकाम ठीक होगा और सिरदर्द में भी आराम मिलता है या इसको पानी से लेप बनाकर सर पर लगाने से सरदर्द ठीक होता है।
- अनिंद्रा में रात को गर्म दूध के साथ पिप्पली चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है।
- कफ विकार होने पर पिप्पली, सौंठ, काली मिर्च का चूर्ण (त्रिकूट) बना कर लेने से कफ विकार दूर होता है।
- गले में खरांस होने पर पिप्पली चूर्ण को शहद के साथ चाटने पर लाभ मिलता है।
- दांत में दर्द होने पर पिप्पली चूर्ण को सरसों और हल्दी में मिलाकर लगाने से दांत का दर्द ठीक होता है। आप पिप्पली चूर्ण में शहद और गाय का देसी घी मिलाकर भी लगा सकते हैं जिससे दांतों के दर्द में तुरंत लाभ मिलता है।
- पिप्पली चूर्ण और मुलेठी चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से हिचकी बंद हो जाती है।
- दस्त लगने पर पिप्पली चूर्ण को गाय के गुनगुने दूध के साथ लेने पर दस्त बंद हो जाते हैं।
- पिप्पली की जड़ के चूर्ण को गाय के घी के साथ लेने पर कब्ज दूर होता है।
- साइटिका दर्द / घुटनों के दर्द के लिए पिप्पली को सौंठ के साथ तेल में पका लें और इस तेल को जोड़ो और कमर पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
- पिप्पली के सेवन से लिवर स्वस्थ रहता है।
- यदि पेट में खान पीन से गैस हो जाए तो पिप्पली चूर्ण की फाकी से आराम मिलता है।
- गले के सामान्य संक्रमण को दूर करने के लिए मुलैठी, पिप्पली, वच तथा हरड़ और इलायची का एक छोटा चम्मच लेकर इनका चूर्ण बना कर शहद के साथ लेने से तुरंत ही लाभ मिलता है।
- पिप्पली चूर्ण को हरड़ चूर्ण के साथ मिला कर शहद के साथ सेवन करने से यौन दुर्बलता दूर होती है।
- आधा चमच्च पिप्पली चूर्ण को भुने हुए जीरे और सेंधा नमक मिलाकर प्रातः छाछ के साथ लेने से बवासीर में लाभ मिलता है।
- पीपली चूर्ण, सेंधा नमक, सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर लगाने से दांत दर्द ठीक होता है।
Precaution During The Use Of Patanjali Pippli Churna पिप्पली के उपयोग में सावधानियाँ
पिप्पली यद्यपि एक आयुर्वेदिक ओषधि ही है लेकिन फिर भी इसका उपयोग अधिक मात्रा में नहीं किया जाना चाहिए। पिप्पली का सेवन यदि आप किसी विकार को दूर करने के लिए कर रहें हैं तो ध्यान रखें की वैद्य की सलाह से ही इसका उपयोग करें। आपके शरीर की तासीर, विकार के प्रकार, विकार की अवस्था, आपकी उम्र, मौसम के मुताबिक़ इसकी मात्रा, सेवन विधि में बदलाव सम्भव होता है। अतः चिकित्सकीय उपयोग के लिए वैद्य की सलाह अवश्य लेवें। यदि आपके शरीर की तासीर गर्म है तो इसे कम मात्रा में लेना चाहिए। यदि आप पहले से ही किसी अन्य रोग की दवाएं ले रहें हैं तो इसके सेवन से पूर्व वैद्य की सलाह अवश्य लेवें
पतंजलि आयुर्वेदा का पतंजलि पिप्पली चूर्ण के विषय में कथन :
Pippali is valued in Ayurvedic food and supplements for enhancing digestion and metabolism.It is considered to be a rejuvenator for lungs.It helps to relax blood vessels and therefore increases circulation specially in the lungs. It is combined with dried ginger and black pepper to form trikatu, which can be taken to regulate cholesterol and helps to control obesity.
पतंजलि पिप्पली चूर्ण की कीमत Price Of Patanjali Pippli Churna: यह लेख लिखे जाने तक पतंजलि पिप्पली चूर्ण की कीमत १०० ग्राम रूपये १३६ है। नवीनतम जानकारी के लिए
यहाँ क्लिक करें।
पतंजलि पिप्पली चूर्ण को कहाँ से खरीदें पतंजलि पिप्पली चूर्ण को पतंजली आयुर्वेद के स्टोर्स से क्रय किया जा सकता है, आप इसे ऑनलाइन भी पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेबसाइट से खरीद सकते हैं। पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेब साइट का लिंक निचे दिया गया है।
पतंजलि आयुर्वेदा का लिंक-
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/churna/pippali-churna-100gm/138पतंजलि पिप्पली चूर्ण के सेवन की विधि Doses of Patanjali Pippali Churna
पिप्पली चूर्ण की तासीर गर्म होती है इसलिए इसकी अधिक मात्रा नुकसानदेह हो सकती है। इसके सेवन से पूर्व वैद्य की सलाह अवश्य प्राप्त कर लें।सामान्य परिस्थितियों में इस चूर्ण को शहद के साथ लिया जाता है। इस हेतु आप पतंजली स्टोर्स पर वैद्य से निशुल्क सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
पिप्पली और त्रिकुटा चूर्ण : (पिप्पली श्रंगवेरं च मरिचं त्र्युष्ण विदु:)
सौंठ (सूंठी), काली मिर्च और पिप्पली के चूर्ण को ही त्रिकुटा चूर्ण कहा जाता है और तीनों की ही समान मात्रा का उपयोग इस चूर्ण में होता है। इन तीनों ही घटक द्रव्यों की तासीर गर्म होती है। इन तीन घटक द्रव्य के कारण यह चूर्ण एंटी इंफ्लामेंटरी और एंटी वायरल होता है। शरीर में उत्पन्न विभिन्न प्रकार की सूजन को दूर करने के लिए भी पिप्पली का चूर्ण लाभदायी होता है।अग्निमंध्य, अजीर्ण, पुरानी खाँसी, पुराने जुकाम और गुल्म में भी त्रिकुटा चूर्ण लाभदाई होता है। 'आम दोष' (शरीर में भोजन की अपच से उत्पन्न विषैले प्रदार्थ) के उपचार के लिए यह एक श्रेष्ठ ओषधि है।
Patanjali Pippli Churna Ke Fayade पतंजलि पिप्पली चूर्ण के फायदे हिंदी में
पतंजलि पिप्पली चूर्ण को सेंधा नमक के साथ लेने से वमन, जी मिचलाना , भूख का न लगना आदि विकारों में लाभ मिलता है।
अर्जुन की छाल के साथ त्रिकटु चूर्ण का काढ़ा हृदय रोगों में लाभकारी रहता है।
त्रिकटु करंज और सेंधा नमक घी और शहद के संयोग से बच्चो के सूखा रोग में लाभ मिलता है।
जलोदर के लिए सेंधा नमक मिला कर छाछ के साथ लेने से लाभ मिलता है।
अविपत्तिकर चूर्ण के साथ त्रिकटु चूर्ण के सेवन से टांसिल्स की सूजन दूर होती है।