
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
Word Meaning Tulsi Das Pad तुलसीदास जी के पद के शब्दार्थ
हसि = हँसकर। जाना = जाना है, समझा । का = क्यों। छति = क्षति, हानि/नुकसान। लाभु-लाभ/मुनाफा, जून = पुराना, जीर्ण। तोरे = तोड़ने से। नयन = नवीन, नया। भोरें = भ्रम में, धोखे में। छुअत = छूते ही। काज = कारण, काम। करिअ = करते हो। कत = क्यों। रोसू = क्रोध। चितई = देखकर। परसु = फरसा, हाथ में पकड़ कर चलाये जाने वाला अस्त्र। ओरा = ओर, की तरफ। सठ = मूर्ख, धूर्त। सुभाउ = स्वभाव। बोलि = जानकर। बधउँ =मारता। जड़ = मूर्ख। बाल ब्रह्मचारी = बचपन से संयमित. कोही = क्रोधी। बिस्व बिदित = संसार भर में ज्ञात। क्षत्रियकुल = क्षत्रियों के वंश का। द्रोही = दुश्मन/शत्रु। भुजबल = भुजाओं के बल पर/शारीरिक बल, पराक्रम से। भूप = राजा। बिपुल = बहुत बार । महि देवन्ह = ब्राह्मणों को। भुज = भुजा, हाथ। छेदनिहारा = काटने वाला, मारने वाला। बिलोकु = अवलोकन करके, देख कर। महीपकुमारा = राजा का पुत्र, राजकुमार। जनि = मत। सोचबस = शोकमग्न, दु:खी। करसि = करे। महीसकिसोर = राजपुत्र, राजकुमार। गर्भन्ह के = गर्भ में स्थित। अर्भक = भ्रूण, गर्भ में पल रहा शिशु। दंलन = नष्ट करने वाला। अति घोर = अत्यंत भयंकर।Hindi Meaning of Tulsi Das Pad तुलसीदास जी के पद का हिंदी मीनिंग/भावार्थ
तुलसीदास कृत रामचरित मानस के इस पद में लक्ष्मण और राम का संवाद है जिसमे लक्ष्मण परशुराम का व्यंग्य कर रहे हैं और परशु राम क्रोधित होकर कटु वचनों का उपयोग कर रहे हैं. यह प्रसंग श्री राम के द्वारा स्वंयवर में धनुष के तोड़े जाने के बाद का है. लक्ष्मण जी हंसकर परशु राम जी से कहते हैं की हे देव, हमने तो जाना है की सभी धनुष एक समान ही होते हैं. एक पुराने जीर्ण हो चुके धनुष को तोड़ने से किसे लाभ या हानि हो सकती है. श्री राम ने तो इसे नया समझ कर भ्रम में परखा था. यह धनुष तो रघुपति/श्री राम के छूते ही टूट गया है इसमें श्री राम का दोष नहीं है. हे मुनि आप तो बिना कारण के ही क्रोधित हो रहे हो।