नाथ संभुधनु भंजनिहारा मीनिंग
नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा॥
आयसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही॥
सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरि करनी करि करिअ लराई॥
सुनहु राम जेहिं सिवधनु तोरा। सहसंबाहु सम सो रिपु मोरा॥
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा॥
सुनि मुनि बचन लखन मुसुकाने। बोले परंसु धरहि अवमाने॥
बहु धनुहीं तोरी लरिका। कबहूँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं॥
एहि, धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू॥
रे नृप बालक काल बस, बोलत तोहि न सँभार॥
धनुही सम त्रिपुरारि धनु, बिदित सकल संसार॥
तुलसीदास के पद के शब्दार्थ Word Meaning of Tulsidas Pad:
नाथ शम्भुधनु -शिव जी का धनुष। केउ = कोई।, आयसु = आज्ञा से, काह = क्या। मोही = मुझे, मुझको, रिसाइ = क्रोध में आकर, क्रोधित कोही = क्रोधी।, अरि करनी = शत्रु के समान, लराई = लड़ाई, सहसबाहु = सहस्रबाहु जिसका परशुराम ने वध किया था। रिपु = शत्रु/दुश्मन, बिलगाउ = अलग खड़ा हो जाए। बिहाइ = छोड़कर। समाजा = सभा, समूह। न त = नहीं तो।, परसु धरहि = फरसा धारण करने वाले, परशुराम, अवमाने = अपमानित करते हुए।, धनुहीं = छोटा धनुष। तोरीं = तोड़ डाली, लरिकाईं = बचपन में।, असि = ऐसा, रिस = क्रोध/गुस्सा, गोसाईं = स्वामी, आदरसूचक संबोधन। ममता = मोह, प्यार, केहि हेतु = किस कारण। भृगुकुलकेतू = भृगुकुल की ध्वजा अर्थात् परशुराम, नृप बालक = राजकुमार, तोहि = तुझे, सँभार = संभालना, चेत, होश, ध्यान, त्रिपुरारि धनु = शिव जी का धनुष, बिदित = ज्ञात, प्रसिद्ध।
तुलसीदास पद हिंदी मीनिंग Tulsidas Pad Hindi Meaning.
तुलसीदास जी कृत बालकाण्ड के इस पद में श्री राम परशुराम जी के क्रोध को
शांत करने के लिए विनय कर रहे हैं लेकिन परशुराम जी का क्रोध शांत नहीं
होता है और वे लक्ष्मण जी से भी कटु वचनों का उपयोग करते हैं. परशुराम जी से श्री राम जी कहते हैं की शिव जी का धनुष तोड़ने वाला कोई आपका ही दास होगा. आपका क्या आदेश है, आपको क्या कहना है मुससे कहिये. इस पर क्रोधित परशुराम जी कहने लगे की सेवक तो वह होता है जो सेवा का कार्य करे. धनुष तोड़कर तो उसने लड़ाई का कार्य किया है. यह तो शत्रुता का कार्य है. जिसने भी शिव जी का धनुष तोडा है वह मेरा ऐसे ही शत्रु है जैसे सहस्रबाहु मेरा शत्रु है. वह व्यक्ति जिसने शिव जी का धनुष तोडा है वह राजाओं के समूह को छोड़कर सामने आए अन्यथा समस्त राजा मेरे हाथों मारे जायेंगे.
मुनि (परशुराम) जी क्रोधित वचन को सुनकर लक्ष्मण जी मुस्कुराए और कहने लगी की बचपन में ऐसे धनुष तो हमने बहुत से तोड़े हैं लेकिन कभी किसी ने ऐसा क्रोध नहीं किया.संभुधनु = शिव जी का धनुष।, भंजनिहारा = तोड़ने वाला, भंग करने वाला। इस धनुष पर आपकी विशेष लगाव/हेत क्यों है ? ऐसे वचन को सुनकर भृगुवंश की ध्वजा परशुराम जी ने क्रोधित होकर कहा की अरे राजकुमार तुम काल से वशीभूत हो तभी संभल कर नहीं बोल रहे हो. क्या समस्त संसार में श्रेष्ठ शिव का धनुष अन्य धनुष के बराबर है.
विशेष है की इस पद में चौपाई छंद का उपयोग हुआ है. इस पद की भाषा अवधि है तथा शांत और रौद्र रस की व्यंजना हुई है. इस छंद में उपमा अलंकार का उपयोग हुआ है.
लक्ष्मण और परशुराम जी का संवाद प्रमुख तथ्य :
संभुधनु भंजनिहारा कौन है?
शिव जी के धनुष को तोड़ने वाले श्री राम जी हैं।
लक्ष्मण और परशुराम संवाद में अनुप्रास अलंकार बताइए।
संभूधनु भंजनिहारा, आयेसु काह कहिअ किन, अरिकरनी कीर करिअ, सहसबाहु सम सो, सकल संसार, बिलगाउ बिहाइ
नाथ शम्भुधनु हिंदी मीनिंग
शिव जी का धनुष
अरिकरनी meaning in Hindi
शत्रुओं के समान करनी।
तुलसीदास : तुलसीदास जी (1511 - 1623) का जन्म उत्तरप्रदेश के बांदा जिले में राजपुर गाँव में हुआ है जिस पर अधिकतर विद्वान सहमत हैं. कुछ विद्वानों के मुताबित्क सोरों जिला एटा भी मानते हैं. तुलसीदास जी के पिता का नाम श्री आत्मा राम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था. तुलसीदास जी का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था. बचपन में ही वे अपने माता और पिता को खो चुके थे. तुलसीदास जी के बचपन का नाम राबोला था। तुलसीदास जी राम भक्त कवी हैं. इनको महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। उल्लेखनीय है की तुलसी दास जी जन्म के समय ये रोए नहीं बल्कि उनके मुख से राम नाम का साफ उच्चारणतुलसीदास जी के सबंध में प्रमुख तत्थ्य निम्न प्रकार से हैं.
पूरा नाम: गोस्वामी तुलसीदास
जन्म: सन 1532 (संवत- 1589), राजापुर, उत्तर प्रदेशमृत्यु: सन 1623 (संवत- 1680), काशी
पिता: आत्माराम दुबे
माता: हुलसी
पत्नी: रत्नावली
गुरु: आचार्य रामानंद
धर्म: हिन्दू धर्म
काल: भक्ति काल
विधा: कविता, दोहा, चौपाई
विषय: सगुण भक्ति
भाषा: संस्कृत, अवधी, हिंदी
प्रमुख रचनाएं: रामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा आदि
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं