पाया है अब पाया है मेरे सतगुरु भेद बताया लिरिक्स Paaya Hai Paaya Hai Mere Satguru Bhed Bataaya Lyrics
पाया है अब पाया है मेरे सतगुरु भेद बताया है लिरिक्स Paaya Hai Paaya Hai Mere Satguru Bhed Bataaya Hai Lyrics
सतगुरु मारा खींच के, सत सुरंगी बाण,मेरा मारा फ़िर जिये, हाथ न गहौ कमाण,
(सतगुरू मारा तान करि, शब्द सुरंगी बान।
मेरा मारा फ़िर जिये, हाथ न गहौ कमान॥)
पाया है, अब पाया है, म्हाने सतगुरु भेद बताया है,
पाया है, अब पाया है, म्हाने सतगुरु भेद बताया है,
माटी चाक कुम्हार फिराया, बर्तन नाना भांत बनाया,
किसम किसम का रंग चढ़ाया, सब में रंग समाया है,
मेरे सतगुरु भेद बताया है,
पाया है, अब पाया है, म्हाने सतगुरु भेद बताया है।
सोना ज़ेवर घड़े सुनारा, भांत भाँत और न्यारा न्यारा,
जब मैं बेचन गया बजारा, एक भाव बराबर आया है,
मेरे सतगुरु भेद बताया है,
पाया है, अब पाया है, म्हाने सतगुरु भेद बताया है।
अजब जुलाहा तनियाँ ताणा, वस्त्र बुणिया बहुत सुहावना ,
एक ही ताना एक ही बाना, सबमे सूत मिलाया है,
सूत में सूत मिलाया है,
मेरे सतगुरु भेद बताया है,
पाया है, अब पाया है, म्हाने सतगुरु भेद बताया है।
सुर नर मुनि जीव जहाना, उंच नीच सब भेद मिटाना,
ब्रह्मानंद सब रूप समाना, सब में एक समाया है।
मेरे सतगुरु भेद बताया है,
पाया है, अब पाया है, म्हाने सतगुरु भेद बताया है।
भजन का सूक्ष्म भावार्थ- ब्रह्मानंद जी इस शब्द में कहते हैं कि वह सद्गुरु वह परमात्मा सब में एक समान रूप से समाया हुआ है। आगे आप अलग-अलग उदाहरण देकर समझाते हैं जिस प्रकार से मिट्टी के बर्तन अलग-अलग प्रकार के बनते हैं पर वह मिट्टी तो एक ही है। सोने की अलग-अलग गहने बनते हैं पर जब वह तोल पर आता है तो उसका मोल (भाव) एक ही होता है। उस चतुर झूलाहै (कारीगर) ऐसा कपड़ा बुना है कि उसमें ताना-बाना सबका एक समान है और वह नूर सब में एक समान समाया हुआ है। आखिर में ब्रह्मानंद जी कहते हैं कि सुर नर मुनि और ऊंच-नीच का भेद मिटाकर सब में वह एक परमात्मा ईश्वर जो भी आप मानते हैं वह समाया हुआ।
पाया है अब पाया है म्हने सतगुरु भेद बताया है ।
पाया है अब पाया है मेरे सतगुरु भेद बताया है
पाया है अब पाया है मेरे सतगुरु भेद बताया है ,
माटी चाक कुम्हार फिरावे बर्तन नाना भांत बनावे ,
किस्म - २ के रंग लगावे एक अनेक दिखाया है ,
सोना जेवर घड़े सुनारा भांत भांत और न्यारा न्यारा,
जब मै बेचन गयी बजारा भाव बराबर पाया है ,
चतर जुलाहे तनिया ताना वस्त्र बुनिया बहूत ही सुहावना ,
एक ही ताना एक ही बाना सबमे सूत लगाया है ,
पशु पक्षी खग जिव जहाना उच्च नीच का भेद मिटाना ,
कहे ब्रिह्मानंद स्वरूप पिछाना सब घट में एक समाना ,
Guru bawani nath Ji ke dajan dhalna