कबीर कहा गरबियौ इस जीवन की आस मीनिंग Kabir Kaha Garabiyo Meaning Kabir Ke Dohe

कबीर कहा गरबियौ इस जीवन की आस मीनिंग Kabir Kaha Garabiyo Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Bhavarth/Meaning)

कबीर कहा गरबियौ, इस जीवन की आस।
टेसू फूले दिवस चारि, खंखर भये पलास॥
Kabir Kaha Garbiyo, Is Jivan Ki Aas,
Tesu Phule Divas Chari, Khankhar Bhaye Palaas.

कहा गरबियौ : क्यों गर्व करते हो,
इस जीवन की आस : इस जीवन की आसा.
टेसू फूले : टेसू का फूल
दिवस चारि : चार दिन के लिए, अल्प समय के लिए.
खंखर : ठूंठ, सूखा हुआ वृक्ष.
पलास : पलास का पेड़.

परस्तुत साखी में कबीर साहेब की वाणी है की तुम क्यों व्यर्थ में अभिमान कर रहे हो. यौवन, धन दौलत और मायाजनित व्यवहार क्षणिक होता है. भौतिक वस्तुएं सदा के लिए नहीं रहने वाली हैं.मानव जीवन ऐसे ही है जैसे टेसू का पुष्प, जो अत्यंत ही अल्प समय के लिए खिलता है. कुछ समय बाद वह मुरझा जाता है, ऐसे ही यौवन भी ढल जाता है. टेसू (पलास) के पुष्प जैसे सूखने के बाद वे सूख जाते हैं, ठूंठ बन जाते हैं, ऐसे ही एक रोज यह मानव जीवन भी मुरझा जाना है, इसलिए व्यर्थ में इस पर गर्व करना उचित नहीं है. मानव जीवन को प्राप्त करने के उपरांत व्यक्ति हरी को विस्मृत कर देता है.
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