कबीर कहा गरबियो देही देखि सुरंग मीनिंग Kabir Kaha Garabiyo Dehi Dekhi Surang Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Bhavarth/Meaning)
कबीर कहा गरबियो, देही देखि सुरंग।बिछड़ियाँ मिलिनौ नहीं, ज्यूँ काँचली भुवंग॥
Kabir Kaha Garbiyo, Dehi Dekhi Surang,
Bichhadiya Milino Nahi, Jyu Kanchali Bhuvang.
देही देखि : देह को देखकर.
सुरंग : सुन्दर देह, सुन्दर रंग.
बिछड़ियाँ : बिछड़ गए.
मिलिनौ नहीं : मिल नहीं पायेंगे.
ज्यूँ काँचली भुवंग : जैसे सांप केंचुली के त्यांग के उपरान्त उससे पुनः नहीं मिल पाता है.
सुरंग : सुन्दर देह, सुन्दर रंग.
बिछड़ियाँ : बिछड़ गए.
मिलिनौ नहीं : मिल नहीं पायेंगे.
ज्यूँ काँचली भुवंग : जैसे सांप केंचुली के त्यांग के उपरान्त उससे पुनः नहीं मिल पाता है.
कबीर साहेब की वाणी है की यह सुन्दर देह बहुत ही अल्प समय के लिए मिली है. इसका सदुपयोग हरी के सुमिरण में है. इस सुन्दर देह को देखकर तुम व्यर्थ में ही क्यों गर्व कर रहे हो. एक बार यदि यह बिछड़ गई, काय छूट गई तो फिर पुनः इससे मिलन हो पाना संभव नहीं हो पायेगा. पाता है. आत्मा और यह शरीर दोनों ही अलग अलग हैं. आत्मा जब इस शरीर को छोड़ जाती है तो उससे पुनः मिल पाना संभव नहीं हो पाता है. अतः जीवात्मा को सद्गुरु के सानिध्य में जाकर इश्वर का सुमिरण करना चाहिए, ज्ञान को प्राप्त करना चाहिए. ज्ञान यही है की इश्वर के नाम का सुमिरण करो, देह पर अभिमान को त्याग दो. हरी के नाम का सुमिरण ही जीवन का उद्देश्य और मुक्ति का आधार है. प्रस्तुत साखी में उपमा अलंकार की व्यंजना हुई है.
मैं मैं बड़ी बलाई है, सके निकल तो निकले भाग ।
कहे कबीर कब लग रहे, रुई लपेटी आग।।
बड़े बड़ाई न करे, बड़े न बोले बोल।
हीरा मुख से न कहे, लाख टका मम मोल।।
कबीर गर्व न कीजिए, इस जोबन की आस।
टेसू फूला दिवस दास, खांखर भया पलास।।
तिमिर गया रवि देखते, कुमति गयी गुरु ज्ञान।
पाकी खेती देख कर, गर्व किया किसान।
अबहुँ झोला बहुत है, घर आवै तब जान।।
सुमति गयी अति लोभते, भक्ति गयी अभिमान।।
कहे कबीर कब लग रहे, रुई लपेटी आग।।
बड़े बड़ाई न करे, बड़े न बोले बोल।
हीरा मुख से न कहे, लाख टका मम मोल।।
कबीर गर्व न कीजिए, इस जोबन की आस।
टेसू फूला दिवस दास, खांखर भया पलास।।
तिमिर गया रवि देखते, कुमति गयी गुरु ज्ञान।
पाकी खेती देख कर, गर्व किया किसान।
अबहुँ झोला बहुत है, घर आवै तब जान।।
सुमति गयी अति लोभते, भक्ति गयी अभिमान।।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |