कबीर पटल कारिवाँ पंच चोर दस द्वार मीनिंग Kabir Patal Kariva Panch Chor Meaning Kabir Ke Dohe

कबीर पटल कारिवाँ पंच चोर दस द्वार मीनिंग Kabir Patal Kariva Panch Chor Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Bhavarth/Meaning)

कबीर पटल कारिवाँ, पंच चोर दस द्वार।
जन राँणौं गढ़ भेलिसी, सुमिरि लै करतार॥
Kabir Patal Kariva, Panch Chor Das Dvaar,
Jan Rano Gadh Bhelisi, Sumiri Le Kartaar.

पटल : पाटण, नगर (जीवात्मा की देह)
कारिवाँ : कारवा, समूह, झुण्ड.
पंच चोर : पांच चोर, काम क्रोध, मद, लोभ मोह रूपी पांच चोर.
दस द्वार : दस दरवाजे. शरीर के दस दरवाजे, दो आँखें, दो कान, दो नासिका, एक ब्रह्मरंध्र, एक मुख, गुदा और मूत्र छिद्र.
जन राँणौं : काल, यमराज.
गढ़ : किला दुर्ग, यहाँ शरीर से आशय है.
भेलिसी : नष्ट करेगा.
सुमिरि लै : सुमिरण कर ले.
करतार : इश्वर, स्वामी.

कबीर साहेब की वाणी है की इस शरीर रूपी किला/किलों के समूह पर आकर्मण करने के इस तन के ही दस दरवाजे हैं. इनके माध्यम से ही शरीर नष्ट होता है. शरीर के पतन के लिए यही पाँचों चोर हैं. इन दसों द्वार से ही पाँचों चोर प्रवेश करते हैं. एक रोज काल इस गढ़ (तन) को ढहा देगा इसलिए करतार/इश्वर के नाम का सुमिरण ही मुक्ति का उपाय है. कारवा से आशय आत्मा रूपी धन है. आत्मा को धन कहा गया
है और पाँचों इन्द्रियों को चोर कहा गया है. आत्मा रूपी धन (कारवा) को सुरक्षित करने का एक ही उपाय है, भजन और भक्ति भाव.
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