संगत कीजै निर्मल साध री मारी हैली भजन

संगत कीजै निर्मल साध री मारी हैली भजन

संगत कीजै निर्मल,
साध री मारी हैली,
आवागमन मिट जाये,
थारो जन्म मरण मिट जाये।।

चंदन उगो रे,
हरिया बाग में मारी हैली,
खुशी होई रे वनराय,
आप सुगंध ओरो ने करे मारी हैली,
सुगंध घणी अंग माय।।

बांस उगो रे,
डरे डूंगरे मारी हैली,
झुरण लागी वनराय,
आप बले ओरो ने बाले मारी हैली,
कपट गांठ अंग माय।।

दव लागो डरे,
डूंगरे मारी हैली,
मिल गई झालो झाल,
ओर सब पंखेरू उड़ गया मारी हैली,
हंसराज बैठा आय।।

चंदन हंस,
मुख बोलिया मारी हैली,
थे क्यूं जलो हंसराज,
मै तो जला पांखा बायरा मारी हैली,
जड़ पियाला माय।।

फल खाया ने,
पान तोड़िया मारी हैली,
रमिया डाळो डाळ,
थे जलो ने मै क्यूं उबरा मारी हैली,
जीवणो कितरा काल।।

चंदन हंस रो प्रेम,
देख ने मारी हैली,
दूधा बरसीयो मैह,
कैवे कबीर सा धरमीदास ने मारी हैली,
नित नित नवला वैश।।

संगत कीजै निर्मल,
साध री मारी हैली,
आवागमन मिट जाये,
थारो जन्म मरण मिट जाये।।


संगत करो निर्मल साध री म्हारी हेली | संगत करलो संत री | राजस्थानी |

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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