चारिउ बेद पढ़ाइ करि हरि सूँ न लाया हेत हिंदी मीनिंग
चारिउ बेद पढ़ाइ करि, हरि सूँ न लाया हेत।
बालि कबीरा ले गया, पंडित ढूँढ़ै खेत॥
Chariu Bed Pdhai Kari, Hari Su Na Lagya Het,
Baali Kabir Le Gaya, Pandit Dhundhe Khet.
चारिउ बेद पढ़ाइ करि : चारों वेदों को पढ़ कर भी,
हरि सूँ न लाया हेत : हरी से हेत नहीं किया, हरी से प्रेम नहीं हुआ.
बालि कबीरा ले गया : बाली (फल) तो कबीर साहेब ने ले लिया) साहेब ने प्राप्त कर लिया है.
पंडित ढूँढ़ै खेत : शास्त्रों का अनुसरण करने वाले खेत को ढूंढ रहे हैं.
चारिउ : चारों वेद (शास्त्रीय ज्ञान, किताबी ज्ञान)
बेद : वेद.
पढ़ाइ करि : पढ़ लिया, अध्ययन कर लिया.
हरि : इश्वर से.
सूँ : से.
न लाया : किया नहीं, लाया नहीं.
हेत : प्रेम (इश्वर में ध्यान नहीं लगाया)
बालि : खाद्यान्न का वह भाग जहाँ पर अन्न लगता है, फली, मंजीर.
कबीरा ले गया: कबीर ले गया (तत्वज्ञानी ने प्राप्त कर लिया है)
पंडित ढूँढ़ै खेत : शाश्त्रीय ज्ञान और किताबी ज्ञान वाले पंडित लोग खेत को ढूंढ रहे हैं, व्यर्थ की वस्तु के पीछे लगे हैं.
पंडित : कर्मकांडी लोग.
कबीर साहेब की वाणी है की पंडित लोग जो महज किताबी ज्ञान और शास्त्रीय ज्ञान को रखते हैं और भक्ति को केवल पूजा पाठ, तीर्थ, कर्मकांड आदि में ही खोजते रहते हैं उनके हाथ कुछ भी नहीं लगता है. ऐसे लोग भले ही चारों वेदों को पढ़ ले लेकिन इश्वर से स्नेह और भक्ति स्थापित नहीं कर पाते हैं. वे केवल किताबी ज्ञान को ही प्रमुखता देते हैं. ऐसे लोगों का हाल कुछ ऐसा ही होता है जैसे किसी खेत में खड़ी फसल को तो कोई तत्वज्ञानी प्राप्त कर ले और खेत में शेष बचे कचरे को कोई ढूंढता रहे. इसी भाँती पंडित लोग भी कर्मकांड के पीछे लगे रहते हैं उनके हाथ भक्ति रस नहीं लगता है क्योंकि वे भक्ति को हृदय से नहीं करते हैं और इश्वर में अपना ध्यान नहीं लगाते हैं. भगवतज्ञान, शास्त्रीय ज्ञान से परे की वस्तु है. हाय तभी संभव है जब कोई अपने हृदय से भक्ति को करे. प्रस्तुत साखी में रुप्कातिश्योक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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