पाड़ोसी सू रूसणाँ तिल तिल सुख की हाँणि मीनिंग
पाड़ोसी सू रूसणाँ, तिल तिल सुख की हाँणि।
पंडित भए सरावगी, पाँणी पीवें छाँणि॥
Padosi Ru Rusana, Til Til Ki Haani,
Pandit Bhaye Saravagi, Pani Pive Chhani.
पाड़ोसी सू रूसणाँ : पडोसी से नाराज होना, मनमुटाव होना.
तिल तिल सुख की हाँणि : क्षण क्षण की हानि है.
पंडित भए सरावगी : पंडित लोग श्रावक हो गए हैं.
पाँणी पीवें छाँणि : पानी को भी छान कर पीते हैं.
पाड़ोसी : पड़ोसी
सू : से.
रूसणाँ : नाराज होना, प्रेम का अभाव.
तिल तिल : धीरे धीरे, क्षण क्षण.
सुख की हाँणि : सुख की हानि होती है.
पंडित भए : पंडित हो गए हैं.
सरावगी ; श्रावक, जैन साधू.
पाँणी : पानी.
पीवें : पीते हैं.
छाँणि : छान छान कर, साफ़ करके.
कबीर साहेब की वाणी है की पड़ोसी से मनमुटाव होना, प्रेम का अभाव होना क्षण क्षण की हानि होती है. पंडितों का हाल जैन साधुओं के समान हो गया है. वे अपने पड़ोस का तो ध्यान नहीं रखते हैं और आडम्बर करके पानी को भी छान कर पीते हैं. यहाँ पर आत्मा का पड़ोस परमात्मा से भी लिया जा सकता है.
भाव है की हमें हमारे आस पास ही देखना चाहिए, कन कण में इश्वर का वास है, अतः हरी का सुमिरण ही जीवन का आधार है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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