कबीर माया मोह की भई अँधारी लोइ मीनिंग

कबीर माया मोह की भई अँधारी लोइ मीनिंग

कबीर माया मोह की, भई अँधारी लोइ।
जे सूते ते मुसि लिये, रहे बसत कूँ रोइ॥
Kabir Maya Moh Ki, Bhayi Andhari Loi,
Je Sute Te Musi Liye, Rahe Basat Ku Roi.
कबीर माया मोह की : माया और मोह की.
भई अँधारी लोइ : सम्पूर्ण जगत में अँधेरा व्याप्त है.
लोइ : एक तरह का आवरण, छांया.
जे सूते ते मुसि लिये : जो सोए हुए थे, नींद में थे, वे दबोच लिए गए
जे : जो.
सूते : सोये हुए, अज्ञान की निंद्रा में.
ते : वे.
मुसि : लूट लिए गए.
रहे बसत कूँ रोइ : वे अपनी वस्तु के लिए/धन के लिए रो रहे हैं.
बसत : वस्तु
कूँ : को.
रोइ : रोते हैं.
कबीर साहेब की वाणी है की इस सम्पूर्ण जगत में अज्ञान का अँधेरा व्याप्त है, चारों तरफ अज्ञान का प्रभाव फैला हुआ है. चारों तरफ अज्ञान और मोह का अँधेरा व्याप्त हो रहा है. इस अन्धकार में जो गाफिल थे उनकी वस्तु को लूट लिया गया है, अतः अब वे अपनी वस्तु का रुदन करते हैं. भाव है की अज्ञान के अँधेरे और भ्रम में व्यक्ति मानव जीवन रूपी अनमोल वस्तु को खो देता है. आखिर में व्यक्ति केवल पछताता रहता है की समय पर वह इश्वर की प्राप्ति कर लेता.
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