माँ थारी चुनरी लागे म्हाने लागे घनी रूपाली

माँ थारी चुनरी लागे म्हाने लागे घनी रूपाली

माँ थारी चुनरी लागे,
म्हाने लागे घनी रूपाली,
हीरा चमके, पन्ना दमके,
मूंगा मोत्या वाली।।

मुखड़ो थारो सोहणो नीको,
चाँद बिचारो लागे फीको,
नैन थारा तारा ज्यूं चमके,
बिंदिया सूरज लाली,
माँ थारी चुनरी लागे,
म्हाने लागे घनी रूपाली।।

शीश पे थारो मुकुट विराजे,
सिंह चढ़ी माँ, अंबर गाजे,
एक हाथ त्रिशूल मैया जी,
खड्ग खप्पर धारी,
माँ थारी चुनरी लागे,
म्हाने लागे घनी रूपाली।।

गोठ नगरिया धाम थारो,
धाम री शोभा, कुंड है प्यारी,
अधर खंभ है एक मंदिर में,
रहती आप संभाली,
माँ थारी चुनरी लागे,
म्हाने लागे घनी रूपाली।।

‘सम्पत’ नित थारा गुण गावे,
नित चरणा में ध्यान लगावे,
कुलदेवी माँ, लाज राखज्यो,
गोठ नगरिया वाली,
माँ थारी चुनरी लागे,
म्हाने लागे घनी रूपाली।।

माँ थारी चुनरी लागे,
म्हाने लागे घनी रूपाली,
हीरा चमके, पन्ना दमके,
मूंगा मोत्या वाली।।


MAA THARI CHUNARI || माँ थारी चुनरी लागे म्हाने लागे बहुत प्यारी || Mataji Bhajan by SAMPAT DADHICH

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Singer : Sampat Dadhich 
Lyrics : Sampat Dadhich
Music aaranger :-Pintu munwa
Editor : MUKESH DIWAKAR
Music Label : Sampat Dadhich Offical
Category : Album

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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