राजस्थानी भाषा शब्दावली (शब्दार्थ)

राजस्थानी भाषा शब्दावली (शब्दार्थ) Rajasthani Shabdawali Hindi Meaning Part 1

 
राजस्थानी भाषा शब्दावली (शब्दार्थ) Rajasthani Shabdawali Hindi Meaning

इस लेख में राजस्थानी भाषा की शब्दावली को हिंदी अर्थ सहित दिया गया है। राजस्थानी भाषा के शब्दों का अर्थ/मीनिंग देखने के लिए आप निचे दिए गए नेविगेसन का उपयोग कर सकते हैं, चूँकि सभी शब्दों का अर्थ एक ही पोस्ट में देना संभव नहीं है। राजस्थानी भाषा के जिन शब्दों का अर्थ / मीनिंग / मतलब इस पोस्ट में दिया गया है वे आंचलिक स्तर पर भिन्न हो सकते हैं। यदि आप इस विषय में विस्तृत/अधिक जानकारी रखते हैं तो कृपया कमेंट के माध्यम से सूचित करने का श्रम करे, आपके सुझावों को पोस्ट में जोड़ दिया जाएगा धन्यवाद। 
 
राजस्थानी भाषा के शब्द और उनके आगे उनके अर्थ दिए गया हैं.
  • अगूंछ (Angooch) : अग्रिम, एडवांस।
  • अजरख (Ajrakh) : एक बड़ा थैला जिसे यात्रा के समय इस्तेमाल किया जाता है। 
  • अजवांण (Ajvaan) : अजवाइन /celery
  • अछूतौ (Achhuto ) : काम में नहीं लिया हुआ, जिसे जैसा है वैसी ही स्थिति में रखा गया है। 
  • अङूवौ (Aduvo ) : एक पौधा। 
  • अबके (Abke ) : इस बार, / इबके। 
  • आंटो (Aanto ) : घुमाव, दूरी आदि।
  • आंकी (Aanki) : इनकी 
  • ओगदो (Ogado) : कचरा, ट्रैश।  
  • अत्यारा/इत्यारा (Atyara ) : अब इस समय, अब, इस वक़्त।
  • अबार (Abaar) : अभी, फिलहाल। 
  • अठीन (Athin ) : यहाँ, इस तरफ। 
  • आल्यो/आळ्यो (Aalyo) सामन रखने की एक छोटी अल्मारीनुमा जगह जिसमें दीपक/चिमनी को रखा जाता है। 
  • आंट (Aant ) : परेशानी उप्तन्न करना, टेढ़ लगाना, व्यवधान, परेशानी, दिक्क्त। 
  • आंको (Aanko ) : इनका। 
  • अवूठणौ : बरसात की कमी, बरसात का नहीं होना, सूखा पड़ना। 
  • अहड़ौ/एहड़ो : ऐसा, इस भाँती का। 
  • अहातौ : अहाता, बरामदा। 
  • अता (Ataa ) : इतना, इतने। 
  • अचपड़ा (Achpada ) : चमड़ी का एक रोग, स्किन पॉक्स। 
  • आळ (Aal ) : बदमाशी, शरारत करना। 
  • आळो (Aaalo ) कच्चा, अधपका (पु )
  • आळी (Aali ) : कच्ची, अधपकी।  (स्त्री)
  • आलो/आळो (Aalo ) कच्चा। यथा-यह बेर तो कच्चा है /ओ बोरियो तो आलो है। 
  • आल पचाल (Aal Pachaal ) उलूल जुलूल, व्यर्थ की बातें।
  • अठवाड़ौ (Athvaado) बचा हुआ खाना/थाली में बचा हुआ भोजन।
  • अठे (Athe) : यहाँ
  • अंधेरो (Andhero ) : अँधेरा।  
  • अलटप्पू (Altappu ) : व्यर्थ की बात या कार्य, असामयिक।
  • आंकड़ (Aakad) : अकड़, अभिमान। 
  • अलेवळ (Aleval ) : कचरा, व्यर्थ के समान का ढेर। 
  • अलसोट (Alsot ) : फसल के साथ स्वतः ही उग जाने वाली एक घास। 
  • अळगो (Alago ) : बहुत दूर, दूरी पर स्थापित। 
  • अळसाक (Alsaak /Alsaag ) : आलस्य, किसी काम से जी चुराना। 
  • अलसेडो/अलसेड़ी (Alsedo /Alsedi ) : सडा हुआ, मुरझाया हुआ, पुराना हो चूका, कचरा। 
  • आंकुडी (Aankudi ) : हंसिया जिसके  लम्बा पतला बांस लगा रहता है। इससे पशुओं के लिए पेड़ों की टहनियों को निचे खड़े होकर काटा जाता है। (आंकुडी का विस्तृत अर्थ देखें )
  • अठै (Athe) यहाँ। 
  • अजीठौ (Ajeetho) : सोने के गहने बनाने में काम में आने वाला एक औजार। 
  • अटकण बटकण (Atakan Batakan) : एक राजस्थानी खेल।  
  • अडवा (Adava) : खेत में मानव जैसे आकृति का एक पुतला जिसको खेत से पक्षी, आवारा पशुओं को भगाने के लिए बनाया जाता है। 
  • अड़ोई (Adoi) : ग्वालों का भोजन। 
  • अणदी (Anadi) : कुए से पानी निकालने के काम आने वाला लकड़ी का उपकरण। 
  • अणवत (Anwat) : राजस्थानी महिलाओं के पाँव का एक गहना। 
  • अणी (Ani) : नोंक, धार यथा तलवार/चाक़ू की अणि। 
  • अथऊ / ब्यालू (Athau) : रात को किया जाने वाला भोजन / डिनर। 
  • अनूता (Anuta) : अधिक। 
  • अलसोट (Alsot) : फसल के साथ स्वतः ही उग आने वाली घास। 
  • अलूणा (Aluna) : कच्चा घी जिस घिलोड़ी/गिलडी में रखा जाता है। 
  • असळ सळ (Asal Sal) : घोड़ों के चलने पर पैदा होने वाली ध्वनि। 
  • आँजणी (Aanjani) : आँख पर / पलक पर होने वाली एक फुंसी। 
  • आंक (Aank) अक्षर, पढ़ाई लिखाई। 
  • आंखड़ौ (Aankhdo) : कोल्हू के बैल की आँखों पर बाँधा जाने वाला एक कपड़ेनुमा आवरण जिससे उसको दिखाई देना बंद हो जाता है। 
  • आंगणा (Aangana) आंगन। 
  • आंगी (Aangi) : स्त्रियों की चोली। 
  • आंबौ (Aambo): पुत्री के ससुराल विदाई पर गाया जाने वाला लोकगीत। 
  • अडाणै (Adaane) गिरवी रखना।
  • अड़ावौ (Adaavo) : पशुओं का चारागाह।
  • अणहुई (Anhuyi) : अनहोनी, ना होने वाली घटना, अप्रिय घटना।
  • अनाण सनाण (Anaan Sanaan) : हुलिया। 
  • अळसाणौ (Alsalo) : आलस्य महसूस करना, काम करने का जी नहीं करना। 
  • अळसियौ (Alsiyo ) : जमीन में रहने वाला कीड़ा। 
  • अळसी (Alasi ) : अलसी : Linseed (Linum usitatissimum L.) 
  • अळसेड़ौ (Alsedo ) : कचरा, व्यर्थ का। 
  • असो (Aso) : ऐसा, इस तरह का। 
  • असांजौ (Asanjo ) : हमारा, सामूहिक। 
  • अस्तर (Astar) : परत लगाना, फोल्ड करने के लिए अंदर कुछ रखना। 
  • अस्‍यौ (Asyo ) ऐसा, इस भाँती का। 
  • अगेती (Ageti ) : अग्रिम, यथा अगेती कृषि। 
  • अगाउ (Agaau ) : आगे, आगे- आगे चलना। 
  • अगूंछौ (Angochho ) : तौलिया। 
  • अबार (Abaar) : अभी अभी, फिलहाल ही। 
  • अगूण (Agoon ) : पूर्व की दिशा। 
  • अर (Ar) : और। 
  • ओळख/ओळखाण(ओलखे ) : पहचानना, जानना, किसी व्यक्ति को देखकर पहचान करना। 
  • अरडाणौ (Ardaano) पशुओं का बोलना।
  • अलडाट (Aldaat ) चीखना, बांग मारना।
  • अळगौ (Alago) :  दूर। 
  • अँगड़ायोड्यो ( Angdayodyo ) : अंगड़ाई लिए हुए, सुस्त। 
  • अंगरखो (Angrakho ) : सूती कपडे से सिला हुआ एक विशेष वस्त्र जिसमें बंध /बटन लगे हुए होते हैं। इसे अंगा /अचकन भी कहते हैं। 
  • अडोकण/अडकण (Adakan ) : रुकावट, बाधा।  
  • आक, आकड़ : बैलगाड़ी के थाटे के नीचे लगाया जाने वाला यंत्र। 
  • आखातीज (Aakhateej) : एक त्यौहार का नाम। 
  • अठवाड़ौ (Athvado) : आठ दिवस का समूह। 
  • अठा (Atha) : यहाँ। 
  • अठाई (Athaai) : जैन धर्म के लोगों के द्वारा किया जाने वाला आठ दिवस का उपवास। 
  • अठांणी (Athaani) : मजबूत। 
  • अठीनलौ (Athinlo) : इस तरफ का। 
  • अड़खंजौ (Adkhanjo) : बाधा रुकावट। 
  • अड़दावौ (Addaavo) : हिंसा, मारपीट। 
  • अडवांणी (Advaani) : खेती योग्य जमीन। 
  • अडाण (Adaan) : निर्माण कार्य यथा घर दूकान आदि के समय लकड़ी का एक फट्टा जिसपे कारीगर काम करता है। 
  • अडांणी (Adaani) : छाता/ ऋण। 
  • अडायटौ (Adayato) : एक प्रकार की धोती। 
  • अड़ीजोध (Adijodh) : योध्या, लड़ाकू। 
  • अड़ोअड़ (Adoad) : बिलकुल पास पास में। 
  • अड़ोई (Adoi) : गाय चराने वालों को दिया जाने वाला भोजन। 
  • अड़ोधड़ौ (Adodhado) : जो कुछ भी है, यह भी वह भी। 
  • अढारियौ (Adhaariyo) : लोफर, निकम्मा। 
  • अणख (Anakh) : जलन। 
  • अणची (Anachi) : अवांछित, जिसे चाहा नहीं गया है। 
  • अणमणौ (Anmano) : आधे मन से, बे मन से। 
  • अणवट (Anwat) : औरत के पाँव का एक गहना। 
  • अणहूंती (Anhuti) : बेढंगा। 
  • अणियाळ (Aniyaal) : एक प्रकार का चाक़ू। 
  • अणूती उतावळ (Anuti Utaaval) : बेढंगी और बहुत अधिक जल्दबाजी। 
  • आखा : चावल और गेहूं के दाने जिन्हे, यज्ञ और मांगलिक कार्य में उपयोग में लिया जाता है। 
  • आगड : चूल्हे (लकड़ी के आग के ) का आगे का भाग। 
  • आथ : गाँवों में लकड़ी का काम करने वाले, लोहे का काम करने वाले आदि को नगदी के स्थान पर कार्य के बदले अनाज दिया जाता था जिसे आथ कहते थे। 
  • आथूंण : पश्चिम दिशा की तरफ। 
  • आथूणा : पश्चिमी
  • आभे : आकाश/आभ। 
  • एरण : लुहार जिस पर गर्म लोहे को पीटता है। यह मोटे लोहे का एक टुकड़ा होता है। 
  • अणसैंदौ (Ansando ) : अनजान, अजनबी।
  • अँगाठी (Angaathi ) : ऐसी गाय जिसके थन में  गाँठ हो। 
  • अकलदाढ (Akaldaadh ) : उम्र हो जाने पर जाड का आना (बड़ा दांत)
  • अखफोड़ (अखफोड़) : एक प्रकार की विषैली लता, बेल।  
  • अल्डूसा (Aldusa / Alduso ) : खेतों में उगने वाला एक पादप जो स्वतः ही उगता है और आयुर्वेदिक दवाओं में कार्य आता है। यह दमा, खांसी और कफ का इलाज करता है।
  • अै (Eh) : ये 
  • आकथो/आखथो (Aakhato ) : थक जाना, अधिक परिश्रम से थकावट का आना। 
  • अणूठो : उल्टा, विपरीत (नकारात्मक भाव के लिए) तू सदा ही अणूथो चाल्यो / तुम सदा ही उल्टे चले हो। 
  • अदखड़ (Adkhad) : बड़े बुजुर्ग, आधा जुता हुआ खेत। 
  • अदगेल/अदगेलो (Adgel/Adgelo) : मुर्ख, काम बुद्धि का व्यक्ति। 
  • अदगेली (Adgeli) : मुर्ख, आड़ू, बे अक्ल स्त्री। 
  • अध ब़िचलौ (Adbichlo) : ना इधर का ना उधर का, मध्य का। 
  • अधेटौ (Adheto) : यात्रा की दूरी का मध्य स्थान। 
  • अफारौ/आफरों (Aafaro) : पेट में गैस जमा होकर गुब्बार बन जाना। 
  • अबार तांई (Abaar Taai) : अभी तक, अभी के लिए। 
  • अभभूप (Abhbhoop) : कवि। 
  • अमलियौ (Amaliyo) : अमल का आदि। 
  • अरघ (Aragh) : पूजा करने के लिए जल देना, पूजा का तरीका।
  • अरजियौ (Arajiyo) : मरुभूमि का एक पेड़। 
  • अरपाळ (Arpaal) : युद्ध। 
  • अरबद (Arbad) : माउंट आबू। 
  • अरवत (Arvat) : घोडा। 
  • अराई (Araai) : रस्सी। 
  • अलगोजौ (Algojo) : मुँह से हवा फूंक कर बजाने का एक वाद्ययंत्र। 
  • अलांण (Alaan) : एक घास का नाम। 
  • अलांणौ (Alaano) : बिना काठी का ऊंट। 
  • अलांम (Alaam) : दुष्ट, नटखट, चालाक। 
  • अलायदौ (Alaayado) : पृथक, दूसरों के पृथक रखना। 
  • अळायां/अळाई (Alaai) : पीठ पर होने वाली घमोरी/फुंसी। 
  • अवळू (Awaloo) : एक लोकगीत का नाम। 
  • अंधाधुंध (Andhadhundh ) : बिना सोचे विचारे, बेतहाशा, तीव्रता से। 
  • अवलउ (Avalau ) टेढ़ा, उल्टा। 
  • अथाई/हथाई (Athaai ) : गपशप करने का स्थान, बड़े बुजुर्गों के द्वारा बातचीत करना। 
  • अथाणौ (Athano ) : अचार। 
  • ओसाण (Osaan ) : फुर्सत, खाली समय, आराम का समय मिलना। 
  • अबार (Abaar ) : अभी अभी, फिलहाल, ताजा ही। 
  • आंतरो/आन्तरे (Aantaro ) : दूरी। यथा थारो घर आन्तरे पड़े है /तुम्हारा घर दूर पड़ता है। 
  • आछ्यो (Aachhyo ) : ठीक है, अच्छा है। 
  • अलडाट (Aldaat) : चीख मारना, पीड़ा से कराहना। 
  • अडाणी (Adaani ) : छतरी, छाता। 
  • आडो (Aado ) : आगे आकर सुरक्षा देना, मुसीबत में काम आना। 
  • आडो (Aado ) : आगे किसी वास्तु को ओट के लिए लगाना, किवाड़ बंद करना। 
  • आडी (Aadi ) टेढ़ी।  
  • अंगूछी (Anguchhi ) तौलिया। 
  • अंजण (Anjan ) : काजल, सूरमा।
  • आंक (Aank) अक्षर, अंक, पढ़ाई लिखाई।
  • आंखड़ली (Aankhadali) : आखें।
  • आंखड़ल्यां (Aankhadlya) आँखें।
  • आंगळी (Aangali) अंगुली।
  • आंगी (Aangi ) बुजुर्ग महिलाओ के द्वारा पहने जाने वाला ब्लॉउज।
  • आंतरौ (Aantaro) दूर।
  • आंधी (Aandhi ) अंधी (स्त्री ० )
  • आंधो (Aandho) blind man
  • अंचलो/अंचळो (Anchalo ) : एक विशेष प्रकार का वस्त्र जिसे साधू सन्यासी अपने कंधे पर ऊपर के बदन को ढकने के लिए डाले रहते हैं। 
  • अंजणकेस (Anjankes ) : दीपक, दिया। 
  • अंट - शंट (अंटशंट ) : व्यर्थ का आलाप करना, अनर्गल बकना।
  • अंटी (Anti ) अँगुलियों के बीच की जगह। 
  • आंबली (Aambali) इमली।
  • आंबौ (Aambo) : आम।
  • आकड़ौ (Aakado) आक, मंदार (पादप) .
  • आकरौ (Aakaro) कड़क, तेज।
  • आखर (Aakhar) : शब्द, अक्षर।
  • आगलौ (Aagalo) : आगे का।
  • आगळ (Aagal) किवाड़ की चिटकनी, कुंडा।
  • आगौ (Aago) : आ गया है / आगे (दूरी पर) स्थापित  है, आगे है।
  • आछौ (Aachho) : अच्छा, सुन्दर।
  • आज्यो (Aajyo) :  आना, किसी व्यक्ति को आग्रह पूर्वक बुलाना।
  • आने (Aane) : इनको
  • आपणौ (Aapane) : अपना, हमारा।
  • आभ (Aabh) आकाश, नभ।
  • आवणौ (Aavano) आना है।
  • आवती (Aavati) आती हुई।
  • आवैली (Aaveli) आएगी।
  • आवैलो (Aavelo) आएगा।
  • अंकायत (Ankayat) दत्तक पुत्र।
  • अंगीलौ (Angilo) : रस्सी (जूट/सूत) को गूंथने के काम आने वाली एक खूंटी। 
  • अंढ़ौ (Andho ):  दिवस का तृतीय पहर। 
  • आथण (Aathan ) : श्याम को, इवनिंग। 
  • आथ (Aath ) : ढल जाना, यथा दिन आथ गो /दिन ढल गया है। 
  • आकतो (Aakato ) : थक जाना। 
  • अक्कड़-बक्कड़  (Akkad Bakkad ) : एक तरह का राजस्थानी खेल जिसे बच्चे खेलते हैं। 
  • अखड/अडावा (Akhad/Adaava ) : जिस खेत की जुताई ना की जाए, खेत की उर्वरा शक्ति को बढाने के लिए खेत को एक साल के लिए खाली छोड़ दिया जाता है। 
  • अखड, पड़त, पडेत्या जो खेत बिना जुता हुआ पड़ा रहता है
  • अचरियो बचरियो – सूर्य पूजा के दिन प्रसूता हेतु बनाया गया विभिन सब्जियों का मिश्रण अचरियो बचरियो कहलाता है। 
  • अखड, पड़त, पडेत्या (Akhad) : ऐसा खेत जिसे अडावा छोड़ दिया गया है। अडावा से आशय खेत में जुताई नहीं करना और पशुओं के चारे के लिए घास को स्वतः ही उगने देना होता है।
  • अगुणा (Aguna ) : पूर्व दिशा
  • अगूण (Agun) : पूर्व का, पूर्व दिशा का।
  • अड़क बीज (Adak Beej ) ऐसा बीज/फसल जो केवल पशु ही खा सकते हैं
  • अडाव (Adaav/Adavo) : जब लगातार काम में लेने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाने पर उसको खाली छोड़ दिया जाता है
  • अड़ावो (Adavo ) : ऐसा खेत जिसमें किसी फसल को नहीं बोया गया है, खाली पड़ा खेत।
  • अवळाई (Avalaayi ) : घूम कर जाना, सीधे राह को छोड़ देना।
  • आंक (Aank) : अक्षर, शब्द। राजस्थानी में आंक से आशय पढ़ाई लिखाई से लिया जाता है जो हिंदी भाषा के अंक से बना है।
  • आंगी (Aangi) : स्त्री की चोली, अंगरखी को राजस्थानी में आंगी (कांचली ) कहा जाता है जिसे सूती कपडे से बनाया जाता था और गाँवों में बूढी / वृद्ध औरतें इसे पहनती थी। वर्तमान में इसका चलन कम हो गया है।
  • आंटी (Aanti ) : मरोड़, कब्जे में आना, सही तरीके से कब्जे करने की स्थिति  (आंटी में आनो )
  • आकड़ो / आकड़ा (Aakada ) आक का पादप, मंदार। (अधिक जानें आकड़ो/आकड़ा)
  • आथूंण/आथुना (Aathun) : पश्चिम दिशा को राजस्थानी में आथुणा कहते हैं
  • आलो (Aalo ) : गीला, भीगा हुआ।
 

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