भवसागर तारण कारण हे गुरु वंदना

भवसागर तारण कारण हे गुरु वंदना

भवसागर तारण कारण हे,
रविनंदन बंधन खंडन हे,
शरणागत किंकर भीत मने,
गुरुदेव, दया कर दीनजने।।

हृदि कंदर तामस भास्कर हे,
तुमि विष्णु, प्रजापति शंकर हे,
परब्रह्म परात्पर वेद भणे,
गुरुदेव, दया कर दीनजने।।

मन-वारण शासन अंकुश हे,
नर-त्राण तरे हरि चाक्षुष हे,
गुणगान परायण देवगणे,
गुरुदेव, दया कर दीनजने।।

कुलकुंडलिनी घुम भंजक हे,
हृदि ग्रंथि विदारण कारक हे,
मम मानस चंचल रात्र दिने,
गुरुदेव, दया कर दीनजने।।

रिपु-सूदन मंगल-नायक हे,
सुख-शांति वराभय दायक हे,
त्रय ताप हरे तव नाम गुणे,
गुरुदेव, दया कर दीनजने।।

अभिमान प्रभाव विमर्दक हे,
गतिहीन जने तुमि रक्षक हे,
चित शंकित, वंचित भक्तिधने,
गुरुदेव, दया कर दीनजने।।

तव नाम सदा शुभ-साधक हे,
पतिताधम मानव-पावक हे,
महिमा तव गोचर शुद्ध मने,
गुरुदेव, दया कर दीनजने।।

जय सद्गुरु ईश्वर प्रापक हे,
भव-रोग विकार विनाशक हे,
मन जे न रहे तव श्रीचरणे,
गुरुदेव, दया कर दीनजने।।

भवसागर तारण कारण हे,
रविनंदन बंधन खंडन हे,
शरणागत किंकर भीत मने,
गुरुदेव, दया कर दीनजने।।


Bhava sagara tarana karana he

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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