प्रभु अपने दर से अब तो ना टालो

प्रभु अपने दर से अब तो ना टालो


प्रभु अपने दर से, अब तो न टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो... उठा लो।

खाली न जाता कोई दर से तुम्हारे,
द्वारे खड़ा हूँ, नन्हीं बाँहें पसारे।
चरणों की सेवा में, लगा लो... लगा लो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो... उठा लो।
प्रभु अपने दर से, अब तो न टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो... उठा लो।

नहीं टूट पाएगा दुनिया का बंधन,
जब तक कृपा न होगी तेरी रघुनंदन।
कदम लड़खड़ाए हैं, सँभालो... सँभालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो... उठा लो।
प्रभु अपने दर से, अब तो न टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो... उठा लो।

अगर था हटाना, तो फिर क्यों बुलाया?
सोते ही रहने देते, काहे जगाया?
अब जब जगाया, तो अपना बना लो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो... उठा लो।
प्रभु अपने दर से, अब तो न टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो... उठा लो।

बंधन प्रताप सारे टूट चुके हैं,
जितने सहारे थे, छूट चुके हैं।
अवसर मिला है, अब वादा निभा लो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो... उठा लो।
प्रभु अपने दर से, अब तो न टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो... उठा लो।


प्रभु अपने दर से अब तो न टालो ~ देवी हेमलता शास्त्री जी 9627225222

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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