बिगड़ा नसीब किसने स्वारा तेरे वगैर

बिगड़ा नसीब किसने स्वारा तेरे वगैर

दुनिया ने तो वो ज़ख़्म दिए हैं जान पर,
पर किसने किया है दर्द का चारा तेरे बग़ैर?

बिगड़ा नसीब किसने संवारा तेरे बग़ैर?
हम बेकसों का कौन है सहारा तेरे बग़ैर?
बेअसरों का आसरा, एक श्याम आप हो,
भक्तों ने तेरे किसको पुकारा तेरे बग़ैर?
हम बेकसों का कौन है सहारा तेरे बग़ैर?
बिगड़ा नसीब किसने संवारा तेरे बग़ैर?।।

तेरे दर से उठ के जाना होता नहीं गवारा,
होता नहीं है दास का गुज़ारा तेरे बग़ैर।
मेरी तो दौड़ सँवारे बस आप तक है,
ले-दे के अपना कौन है सहारा तेरे बग़ैर?
बिगड़ा नसीब किसने संवारा तेरे बग़ैर?।।

मेरी तो ये तमन्ना ओ सँवारे बिहारी,
देखूं न कोई और मैं नज़ारा तेरे बग़ैर।
बिगड़ा नसीब किसने संवारा तेरे बग़ैर?
ले-दे के अपना कौन है सहारा तेरे बग़ैर?
हम बेकसों का कौन है सहारा तेरे बग़ैर?
बिगड़ा नसीब किसने संवारा तेरे बग़ैर?।।



bigda naseeb SRI RAVI NANDAN SHASTRI JI MAHARAJ

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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