तेरे पांच रहेंगे माँ लाल कसम नंदलाल की खाता हूँ
तेरे पांच रहेंगे माँ लाल कसम नंदलाल की खाता हूँ
तेरे पांच रहेंगे माँ लाल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ,
मत करना दिल में मलाल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
है मित्र हमारा दुर्योधन,
मित्रता निभाना आता है,
पर अर्जुन से मत कह देना,
भाई-भाई का नाता है,
ममता का बनो ना दलाल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
एक बात बता दो ओ मैया,
जो मेरे दिल में आई है,
इतने वर्षों के बाद में माँ,
क्यों याद हमारी आई है,
अब तक ना आया ख्याल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
यह पांच बाण ले जा मुझसे,
जाकर अर्जुन को दे देना,
पर तुझे कसम है ओ मैया,
मर जाऊं लाश पर मत आना,
बेनामी का लगेगा दाग,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
तेरे पांच रहेंगे माँ लाल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ,
मत करना दिल में मलाल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
कसम नंदलाल की खाता हूँ,
मत करना दिल में मलाल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
है मित्र हमारा दुर्योधन,
मित्रता निभाना आता है,
पर अर्जुन से मत कह देना,
भाई-भाई का नाता है,
ममता का बनो ना दलाल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
एक बात बता दो ओ मैया,
जो मेरे दिल में आई है,
इतने वर्षों के बाद में माँ,
क्यों याद हमारी आई है,
अब तक ना आया ख्याल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
यह पांच बाण ले जा मुझसे,
जाकर अर्जुन को दे देना,
पर तुझे कसम है ओ मैया,
मर जाऊं लाश पर मत आना,
बेनामी का लगेगा दाग,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
तेरे पांच रहेंगे माँ लाल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ,
मत करना दिल में मलाल,
कसम नंदलाल की खाता हूँ।।
फिल्मी तर्ज भजन ~हम भूल गए हर बात|| तेरे पांच रहेंगे मां लाल कसम नंदलाल की खाता हूं।।new Bhajan
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जहाँ एक ओर जीवनभर का संघर्ष और अपमान है, वहीं दूसरी ओर माँ के प्रति अविचल स्नेह और कर्तव्य का भाव। “तेरे पाँच रहेंगे माँ लाल” कहकर वह स्वयं को उस नियति के हवाले करता है जिसने जन्म से ही उसे द्वंद्व में डाल दिया। यह वाक्य उसकी पीड़ा और त्याग का चरम है—माँ से शिकायत नहीं, केवल एक संतुलित स्वीकार है। कर्ण जानता है कि युद्ध अवश्य होगा, रक्त बहेगा, किंतु अपने कर्म और निष्ठा पर वह अटल है। उसकी हर पंक्ति आत्मबलिदान की प्रतिध्वनि जैसी लगती है; एक ऐसा पुत्र जो जन्म से तिरस्कृत रहा, पर अंत में भी मातृ सम्मान को कलंकित नहीं करता।
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Author - Saroj Jangir
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