पतंजलि उदरकल्प चूर्ण फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Udarkalp Churna ke Fayade Benefits

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Udarkalp Churna ke Fayade Benefits

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण कब्ज (Constipation ) को दूर करने की ओषधि है। यह चूर्ण अवस्था में है क्रोनिक कब्ज की स्थिति में आप "पतंजलि शुद्धि चूर्ण Patanjali Shuddhi Churna" भी ले सकते हैं। पतंजलि शुद्धि चूर्ण इस चूर्ण से तेज होता है और शीघ्र असर दिखाता है। यह चूर्ण कब्ज दूर करने, अजीर्ण, अतिसार, मंदाग्नि, पेट दर्द, आफरा, एसिडिटी, छाती की जलन, भूख की कमी आदि विकारों में बहुत ही लाभदाई ओषधि है। उल्लेखनीय है की वर्तमान समय का जीवन प्रकृति से दूर होता चला जा रहा है।
 
 हम प्रकृति से अलग होकर नहीं रह सकते हैं लेकिन सत्य है की हम अपने जीवन को स्वंय ही बर्बाद कर रहे है अब इसे समय की मांग या मज़बूरी कुछ भी कह लें। शारीरिक गतिविधिया बहुत ही कम होती जा रही हैं, बैठे रहने के कार्य बढ़ रहे हैं, घूमने फिरने और पैदल चलने के कार्य सीमित होते जा रहे हैं जो मूल कारण हैं खराब पाचन तंत्र के। जैसा हम शरीर को ढालेंगे वैसा ही शरीर बनता चला जाएगा, ये कोई एक रोज की बात नहीं है यह क्रमिक होता है। ऐसी परिस्थितियों में हाजमे का बिगड़ना तय है और ऊपर से खाने पीने में प्राकृतिक खाद्य प्रदार्थों का चलन बहुत ही कम होता जा रहा है। जो रेडीमेड भोजन हम करते हैं वह कितना गुणकारी है यह आप स्वंय विचार कर सकते हैं। 


पाचन को सुधारने और कब्ज दूर करने की आयुर्वेदिक ओषधि

इसलिए आवश्यक है की यदि आप पाचन से जुडी समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो अपने जीवन में शारीरिक श्रम के कार्यों को जोड़े, ज्यादा से ज्यादा पैदल चलें, खाने में प्राकृतिक खाद्य वस्तुओं का इस्तेमाल बढ़ाएं, स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें आपको अवश्य ही सुधार देखने को मिलेगा, इसमें वक़्त अवश्य लगेगा। इसके साथ ही कब्ज को दूर करने के लिए हर्बल चूर्ण (उदरकल्प चूर्ण /Patanjali Udarkalp Churn Benefits Hindi) का सेवन भी लाभदाई होता है। आइये जान लेते हैं की पतंजलि उदरकल्प चूर्ण के घटक क्या होते हैं और उदरकल्प चूर्ण के सेवन से हमें कब्ज दूर करने के अतिरिक्त क्या लाभ होते हैं। इस चूर्ण के सेवन से पेट दर्द, मन्दाग्नि,अतिसार, विबंध, अजीर्णता, आदि उदर विकारों में लाभदाई होता है। उदरकल्प चूर्ण का सेवन का प्रयोग कब्ज़ और दस्त दोनों ही स्थितियों में श्रेष्ठ माना जाता है।

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण के घटक Patanjali Udarkalp Churn ke Ghatak Patanjali Udarkalp Churna Ingredients

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण में निम्न घटक का उपयोग किया जाता है जिन सभी का प्रधान गुण पाचन को दुरुस्त करना, कब्ज को दूर करना है। यह जठराग्नि को जाग्रत करती है जिससे पाचन तंत्र में सुधार होता है और कब्ज दूर होने के साथ ही भूख में भी बढ़ोत्तरी होती है। इन घटक दर्व्यों के सबंध में निचे जानकारी दी गयी है।

मुलेठी (Glycyrrhiza glabra)
रेवन्द चीनी (Rheum emodi)
सौंफ (Foeniculum vulgare (Apiaceae) -fennel)
सनाय (Senna (Cassia angustifolia)
सौंठ (Ginger (Zingiber officinale))
हरड़ छोटी (Terminalia chebula)
चीनी (Saccharum officinarum)

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण फायदे/लाभ हिंदी Patanjali Udarkalp Churna ke Fayade Hindi Me Benefits of Patanjali Udarkalp Churna Hindi 
पतंजलि उदरकल्प चूर्ण का प्रमुख कार्य पाचन और कब्ज दूर करने का है। उदरकल्प चूर्ण के निम्न लाभ प्राप्त होते हैं।

उदरकल्प चूर्ण मल को ढीला करके शरीर से बाहर निकालने (मल त्याग) को सुगम बनाता है। यह आँतों के अंदर से पूर्ण सफाई करने का कार्य करता है।
खराब पाचन के कारण उत्पन्न गैस इस चूर्ण के सेवन से दूर होती है।
मल त्याग की प्रक्रिया को ठीक करने के साथ ही यह चूर्ण भूख को जाग्रत करने का कार्य भी करता है। अच्छे से पेट के साफ़ हो जाने पर अगले भोजन का पाचन सुगम बनता है।
भोजन के उपरान्त आफरा और गैस अपच के ही सूचक हैं जिनको उदरकल्प चूर्ण के सेवन से दूर किया जा सकता है।
क्रोनिक कब्ज को दूर करने के लिए उदरकल्प लाभदाई होता है।
कब्ज के कारण धीरे धीरे जठराग्नि मंद पड़ने लगती है और भूख कम लगने लगती है। इस चूर्ण के सेवन से अच्छे से पेट साफ़ होता है और जठराग्नि जाग्रत होती है जिसे भूख में बढ़ोत्तरी होती है और भोजन के पाचन में सुगमता होती है।

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण का सेवन Patanjali Udarkalp Kaise Len Hindi Doses of Patanjali Udarkalp Usases Churna Hindi 
 
पतजंलि उदरकल्प चूर्ण यद्यपि बगैर डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के उपलब्ध है फिर भी यदि आप कब्ज/क्रोनिक कब्ज से पीड़ित हैं तो वैद्य से अवश्यसंपर्क करें क्यों की कब्ज का यदि समुचित उपचार नहीं किया जाए तो आने वाले समय में यह अन्य कई जटिल रोगों का कारण बन जाता है। वैद्य से सलाह लेने से वह आपको इस चूर्ण के साथ अन्य ओषधि का योग भी बता सकता है जो आपके रोग के प्रकार, रोग की जटिलता, खान पान में परहेज आदि जो देश काल और आयु के मुताबिक़ भिन्न होती हैं।

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण के दुष्प्रभाव
पतंजलि उदरकल्प चूर्ण का कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं होते हैं फिर भी यदि आप किसी गंभीर रोग से पहले से ही पीड़ित हैं या उनकी दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो वैद्य से सलाह अवश्य प्राप्त कर लेवें और इसके उपरान्त ही इस चूर्ण का सेवन करें। इस हेतु आप अपने वैद्य से संपर्क करें या फिर पतंजलि आयुर्वेदा के स्टोर्स पर उपलब्ध चिकित्सक से सलाह प्राप्त करें जो निशुल्क हैं।

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण की कीमत Patanjali Udarkalp Churna Price in Hindi


पतंजलि उदरकल्प चूर्ण के १०० ग्राम की कीमत रुपये MRP: Rs 50 (Inclusive of all taxes) है आप इसकी नवीनतम कीमत के लिए पतंजलि आयुर्वेदा की वेबसाइट पर विजिट करें।

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण कहाँ से खरीदें Buy Online Patanjali Udarkalp Churna from Patanajli Ayurveda पतंजलि उदरकल्प चूर्ण आपको पतंजलि आयुर्वेदा के स्टोर्स पर उपलब्ध हो जाता है आप इसे निचे दिए गए लिंक पर ऑनलाइन आर्डर भी कर सकते हैं। विस्तृत जानकारी के लिए आप पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेबसाइट परविजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया है।

https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/churna/divya-udarkalp-churna/204


पतंजलि उदरकल्प चूर्ण के सबंध में पतंजलि आयुर्वेदा का कथन

This medicine suppresses biles and is laxative and purgative medicine. DIVYA UDARKALP CHURNA cleans stomach and treats constipation. Its use does not produce any problem or irritation in the intestines. It inflames stomach fire and hence increases digestion capacity. The nature of women, children and old persons is very delicate and hence, strong powders, sold in the market could cause harm to them, but this `churna` is totally harmless and most effective to them. Different herbs and other materials of ayurveda importance are refined to form powder. Base, salt and acid mixed powder is warm in nature, digestible, tasteful and ignites hunger. Sugar or candy mixed powders are rich in purgation quality, cool and bile suppressive while powders formed of bitter items treat fever and phlegem. The medicines prepared of herbs, which are finely grinned after being dried are called `churna` in Ayurveda. Dosage: Half or one spoon, near 2-5 grams, empty stomach or after meals, according to the disease, take in morning and evening with tepid water.

पतंजलि उदरकल्प चूर्ण के घटक की विस्तृत जानकारी

मुलेठी (Glycyrrhiza glabra) परिचय और मुलेठी के फायदे
मुलेठी क्या है ? मुलेठी औशधिय गुणों से भरपूर मुलेठी एक झाड़ीनुमा पौधा होता है जिसका वानस्पतिक नाम Glycyrrhiza glabra Linn ग्‍लीसीर्रहीजा ग्लाब्र, और इसका कुल - Fabaceae होता है जिसे प्राचीन समय से ही उपयोग में लिया जाता रहा है। इसको कई नामो से जाना जाता है यथा यष्टीमधु, यष्टीमधुक, मधुयष्टि, जलयष्टि, क्लीतिका, मधुक, स्थल्यष्टी आदि। पंजाब के इलाकों में इसे मीठी जड़ के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा भारत के अलावा अरब, ईरान, तुर्कीस्तान, अफगानिस्तान, ईराक, ग्रीक, चीन, मिस्र दक्षिणी रूस में अधिकता से पाया जाता है। पहले यह खाड़ी देशों से आयात किया जाता था लेकिन अब इसकी खेती भारत में भी की जाने लगी है। इसको पहचाने के लिए बताये तो इसके गुलाबी और जामुनी रंग के फूल होते हैं और इसके पत्ते एक दुसरे के पास (संयुक्त) और अंडाकार होते हैं। 
 
मुलेठी या मुलहटी पहाड़ी क्षेत्रों की माध्यम ऊँचाई के क्षेत्रों में अधिकता से पायी जाती है। इसका पौधा लगभग 6 फूट तक लम्बाई ले सकता है। इस पौधे की जो जड़े होती/ भूमिगत तना ही ओषधिय गुणों से भरपूर होता हैं। मुलेठी से हमें मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा आदि प्राप्त होते हैं। मुख्यतः मुलेठी जी जड़ों को ही उपयोग में लिया जाता है। इसकी मांग को देखते हुए पंजाब के कई इलाकों में इसकी खेती की जाने लगी है। 

मुलेठी के लाभ /फायदे Mulethi Ke Fayade Hindi Benefits of Mulethi in Hindi

  • मुलेठी का आप कई प्रकार से सेवन कर सकते हैं यथा मुंह के विकारों के लिए सीधे ही मुलेठी के एक तुकडे को मुंह में रख कर चूंस सकते हैं। इसका चूर्ण भी उपयोग में ले सकते हैं और इसका काढ़ा बनाकर उपयोग में ले सकते हैं। मुलेठी के निम्न ओषधिय लाभ प्राप्त होते हैं।
  • गले की खरांस, सर्दी जुकाम और खांसी के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
  • मुलेठी गले, दाँतों और मसूड़ों के लिए लाभदायक होती है।
  • दमा रोगियों के लिए भी मुलेठी अत्यंत लाभदायी होती है।
  • वात और पित्त रोगों के लिए मुलेठी सर्वोत्तम मानी जाती है।
  • खून साफ़ करती है और त्वचा के संक्रमण को दूर करती है।
  • मुलेठी चूर्ण को दूध और शहद में मिलाकर लेने से कमोत्त्जना की बढ़ोत्तरी होती है।
  • मुलेठी की एक डंडी को मुंह में रखकर देर तक चूसते रहे इससे गले की खरांस और खांसी में लाभ मिलता है।
  • स्वांस से सबंधित रोगों में भी मुलेठी क्वाथ से लाभ मिलता है।
  • हल्दी के साथ मुलेठी चूर्ण को लेने से पेट के अल्सर में सुधार होता है।
  • पेट दर्द के लिए भी आप मुलेठी चूर्ण की फाकी ले सकते हैं जिससे पेट दर्द और एंठन में लाभ मिलता है।
  • स्वांस नली की सुजन के लिए भी यह श्रेष्ठ है।
  • एंटी बेक्टेरिअल होने के कारन यह पेट के कर्मी को समाप्त करती है और त्वचा के संक्रमण के लिए भी लाभदायी होती है।
  • खांसी या सुखी खांसी के लिए आप मुलेठी चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में दो बार चाटे तो लाभ मिलता है इसके साथ ही आप मुलेठी का एक टुकड़ा मुंह में भी रखे तो जल्दी आराम मिलता है।
  • यदि मुंह में जलन हो / इन्फेक्शन हो / छाले हो तो आप मुलेठी को सुपारी जितने आकार के टुकड़ों में काट लें और इनपर शहद लगाकर मुंह में रखे और इसे चूसे इससे लाभ मिलता है।
  • मुलेठी चूर्ण को नियमित रूप से दूध में लेने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
  • पीलिया, अल्सर, ब्रोंकाइटिस आदि विकारों में भी मुलेठी लाभदायी होती है।
  • अन्य दवाओं के योग से ये स्त्रियों के रोगों के लिए भी उत्तम होती है। इसके सेवन से सौन्दय भी बढ़ता है।
  • अपच, अफरा, पेचिश, हाइपर एसिडिटी आदि विकारों में भी मुलेठी के सेवन से लाभ मिलता है।
  • अल्सर के घावों को शीघ्र भरने वाले विभिन्न घटक ग्लाइकेसइड्स, लिक्विरीस्ट्रोसाइड्स, आइसोलिक्विरीस्ट्रोसाइड आदि तत्व भी मुलेठी में पाये जाते हैं।
  • मुलेठी वमननाशक व पिपासानाशक होती है।
  • मुलेठी अमाशय की अम्लता में कमी व क्षतिग्रस्त व्रणों में सुधार लाता है।
  • अम्लोतेजक पदार्थ खाने पर होने वाली पेट की जलन, दर्द आदि को चमत्कारिक रूप से ठीक करता है 

रेवन्द चीनी (Rheum emodi) परिचय और फायदे Revand Chini Benefits

रेवन्द चीनी मूलतः एक पहाड़ी पादप होता है जिसकी जड़ को चकित्सा हेतु उपयोग में लाया जाता है। रेवन्द चीनी को कई नामों से जाना जाता है यथा रेवातिका (rhubarb) रेवन्द चीनी, रेवन्द खटाई, पीतमूला, अम्लपर्णी, गंधिनी, रेवंदचीनी, रेवंदचीनी आदि। इसे अंग्रेजी में हिमालयन रुहबर्व (Himalayan rhubarb) तथा इण्डियन रुहबर्व (Indian rhubarb) नामों से पहचाना जाता है। रेवंदचीनी पॉलिगोनेसी (Polygonaceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम रिअम् ऍस्ट्रेल (Rheum australe D.Don) है तथा वैज्ञानिक इसे Syn-Rheum emodi Wall. ex Meissn के नाम से भी पहचानते हैं। उत्तराखंड और हिमालयी इलाकों में इसे अर्चा कहा जाता है। 

ह हमारे यहाँ हिमालय में बहुलता से पाई जाती है। इसकी जड़ पीले/भूरे रंग की होती है और कुछ सख्त होती है जिसे सूखा कर इसका चूर्ण तैयार किया जाता है जो स्वतंत्र रूप से और कुछ अन्य औषधीय में घटक के रूप में उपयोग में लाया जाता है। 
 
  • यह कब्ज दूर करने वाला होता है यही कारन है की पतंजलि उदरकल्प चूर्ण में इसका उपयोग घटक के रूप में किया जाता है। आयुर्वेद में इस पादप को पाचन तंत्र को दुरुस्त करने वाला, पेट दर्द, ज्वर, रक्तविकार, भूख का नहीं लगना, दस्त, डयबिटीज, मंदाग्नि, पेशाब में जलन आदि विकारों में श्रेष्ठ माना है। रेवन्द चीनी स्वाद में चटपटी, कड़वी, गुण कर्म में शक्ति देने वाली, कठोर मल को साफ करने वाली, पेट के विकारों को दुरुस्त करने वाली होती है तथा अतिसार, मन्दाग्नि, पित्त विकार को शांत करने वाली मानी जाती है।
  • रेवन्दचीनी का रस खट्टा तथा तीखा होता है। यह बल को बढ़ाने वाला, कठोर मल को साफ करने वाला और यकृत को उत्तेजित करने वाला होता है। यह कफ को बढ़ाने वाले दोषों को नष्ट करता है।
  • रेवन्द चीनी के चूर्ण (जड़ के चूर्ण) कब्ज दूर करने वाला और पाचन को पोषण देने वाला होता है। रेवन्द चूर्ण को सौंठ और सनाय पत्ती के चूर्ण के साथ लेने पर क्रोनिक कब्ज भी दूर होता है और पेट फूलना, अजीर्ण और कब्ज में सुधार होता है। रेवन्द चीनी रेचक होती है इसलिए यह आँतों को साफ़ करती है।
  • रेवन्द चीनी के इस्तेमाल से पाचन को बल मिलता है और भूख में बढ़ोत्तरी होती है।
  • रेवन्द चीनी की जड़ को घिस कर चन्दन के साथ त्वचा पर लगाने से त्वचा विकार दूर होते हैं। शरीर पर एलर्जी हो जाने पर रेवन्द चीनी के लेप से लाभ मिलता है।
  • बवासीर में भी रेवन्द चीनी लाभकारी होती है। इसके चूर्ण का लेप मस्सों पर लगाने से जहाँ एक और खून का गिरना बंद होता है वहीँ जलन में भी राहत मिलती है।
  • योनि के ढीलापन, योनि में खुजली होने पर रेवन्द चीनी के पानी से धोने पर राहत मिलती है।
  • घाव यदि भर नहीं रहा है तो रेवन्द चीनी के चूर्ण का लेप बना कर घाव पर लगाने से घाव शीघ्र भरता है।
  • रक्तस्त्राव को रोकने में भी रेवन्द चीनी लाभदाई होती है।
  • रेवन्द चीनी ज्वर नाशक होती है इसलिए बुखार में इसके चूर्ण के सेवन से ज्वर शांत होता है।
  • दांतों में दर्द होने, दांतों के पीलेपन, मुंह की बदबू, आदि विकारों में इसके चूर्ण को मंजन की तरह इस्तेमाल करने पर शीघ्र आराम मिलता है। साँसों की बदबू को दूर करने का यह अच्छा तरीका है।

सौंफ (Foeniculum vulgare (Apiaceae) -fennel) सौंफ के फायदे और परिचय
सौंफ से हम सभी परिचित हैं क्योंकि इसे रसोई में आसानी से देखा जा सकता है क्योंकि कई खाद्य प्रदार्थों में सौंफ डालने के परम्परा है जो काफी लाभदाई होती है। इसके अतिरिक्त सौंफ को हम माउथ फ्रेशनर के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। सौंफ वात और पित्त को शांत करता है, भोजन के पाचन में सहायक है, भूख बढ़ाने वाला और हृदय और मस्तिष्क के लिए हितकर होती है। इसके अतिरिक्त यह अतिसार, रक्तातिसार, पेचिस, कब्ज को दूर कर दाह को शांत करता है। सौंफ का वानस्पतिक नाम फीनीकुलम वलगैरि (Foeniculum vulgare Mill., Syn-Foeniculum officinale All. Anethum foeniculum Linn.) है और यह Apiaceae (एपिएसी) कुल से सबंधरखता है। अंग्रेजी में इसे fennel seeds के नाम से पहचाना जाता है।

सौंफ (Fennel Seeds) के फ़ायदे Benefits of Sounf Fennel Seeds Hindi
  • सौंफ (Sounf) हाजमे के लिए उत्तम होती है इसके सेवन से पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है। एक रिसर्च (Curcumin and Fennel Essential Oil Improve Symptoms and Quality of Life in Patients with Irritable Bowel Syndrome ) के मुताबिक़ इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसे गंभीर विकारों में भी सौंफ उपयोगी होती है। यह पेट दर्द, पेट के फूलने और कब्ज को दूर करने के अतिरिक्त अतिसार में भी गुणकारी ओषधि है।
  • सौंफ के बीजों का चूर्ण और सौंफ की जड़ का चूर्ण के सेवन से क्रोनिक कब्ज दूर होता है।
  • सौंफ के पाउडर का लेप बनाकर मस्तक पर लगाने से सरदर्द में राहत मिलती है।
  • सौंफ के सेवन से शरीर की दाह दूर होती है।
  • अंजीर के साथ सौंफ के सेवन से सुखी खांसी में लाभ मिलता है।
  • सौंफ के चूर्ण को पानी में भिगोकर इससे कुल्ला करने पर मुख पाक में राहत मिलती है।
  • मूत्र रोग और पेचिस में सौंफ के सेवन से लाभ मिलता है।
  • दूध के साथ सौंफ के सेवन से महिलाओं की स्तनपान क्षमता का विकास होता है।
  • कील मुहांसों पर सौंफ के चूर्ण का लेप करने पर त्वचा विकारों में लाभ मिलता है।
  • शरीर में आई सूजन और दर्द को दूर करने के लिए सौंफ के पत्तों के रस का उपयोग किया जाता है।
  • सौंफ के सेवन से याददास्त क्षमता का विकास होता है।
  • आँखों की सुजन, जलन आदि में सौंफ की भाप लेने से लाभ मिलता है इसके अतिरिक्त सौंफ में विटामिन A पाया जाता है जो आँखों के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है।
  • बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में भी सौंफ लाभप्रद रहती है। सौंफ को क्वाथ की भाँती तैयार करके इसे चाय की भाँती पीने से वजन बढ़ता नहीं है।
  • सौंफ में पाए जाने वाले पाइथोन्यूट्रिएंट्स अस्थमा और खांसी को दूर करने में सहायक होते हैं।
  • सौंफ के सेवन से शरीर में कफ की वृद्धि नहीं होती है।
  • सौंफ में एंटी इंफ्लामेट्री, एंटी माइक्रोबियल, एंटी बैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है।

सनाय (Senna -Cassia angustifolia) परिचय और फायदे

सोनामुखी/सनाय : सनाय का वानस्पतिक नाम : Senna Alexandrina Mill. (सेना अलेक्सन्ड्रिना) Syn-Cassia angustifolia Vahl, Cassia senna Linn. और सनाय का कुल Caesalpiniaceae (सेजैलपिनिएसी) तथा इसका अंग्रेजी में नाम Indian Senna (इण्डियन सेना) है। संस्कृत में सनाय को मार्कण्डिका, भूमिवल्ली, मार्कण्डी, स्वर्णपत्री, मृदुरेचनी आदि नामों से जाना जाता है। यह एक झाड़ीनुमा पादप होता है जिसकी पत्तियों को प्रधान रूप से आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है। इस पादप की पत्तियां कुछ पीली होती हैं और हलकी सुगन्धित भी होती हैं तथा सनाय की पत्तियाँ दिखने में मेहंदी के समान होती हैं। 
 
सनाय में पाए जाने वाले सेन्नोसाइड्स (Sennosides) से प्रधान रूप से विरेचक के लिए महत्वपूर्ण होता है। ओषधिय गुण कर्म में सनाय कटु, मधुर, तिक्त, कषाय, उष्ण, लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण तथा वातकफशामक होती है। वैद्य के द्वारा बताई गई मात्रा में ही इसका उपयोग किया जाना चाहिए अन्यथा इसके अधिक प्रयोग से शरीर में पोटेशियम का स्तर कम होने का खतरा होता है। सनाय का स्वाद कैसेला और स्वभाव में गर्म होता है। सनाय मलबद्ध, मंदाग्नि, लीवर (जिगर), पेट के रोग, बद्धगुद, अजीर्ण, आदि विकारों में श्रेयकर होती है। सनाय से पंचसकार चूर्ण, सारिवाद्यासव आदि महत्वपूर्ण ओषधियों का निर्माण किया जाता है।

सनाय के प्रमुख लाभ /फायदे
  • सनाय विरेचक होता है। यह पेट की सफाई करती है, कब्ज दूर करती है और पित्त को नियंत्रित करने में सहायक होती है।
  • सनाय रोगाणुनाशक और शरीर की प्राकृतिक रूप से सफाई करने वाली ओषधि होती है।
  • सनाय से गले के संक्रमण/ गले की खरांश दूर होती है।
  • सनाय ज्वर नाशक होती है।
  • सनाय किसी भी संक्रमण को रोकने में एक कारगर ओषधि होती है।
  • सनाय की पत्तियों को गुलाब की पत्तियों का चूर्ण, सोंठ या सूखी अदरक, सैंधा नमक, किशमिश को मिलाकर महीन चूर्ण बना कर शहद के साथ चाटने से कब्ज दूर होता है और मल ढीला पड़ता है।
  • सनाय की पत्तियों के चूर्ण को मिश्री के साथ रात को भोजन के उपरान्त सेवन से पेट में कब्ज दूर होता है और गैस/आफरा आदि विकार शांत होते हैं।
  • सनाय की पत्तियों के चूर्ण से शरीर में जोड़ों का दर्द शांत होता है।
  • पित्तज विकारों को शांत करने के लिए इसका उपयोग मिश्री के साथ श्रेयकर होता है।
  • सनाय चूर्ण को सौंठ के साथ सेवन करने से वातज विकार शांत होते हैं।
  • सनाय श्वास, कास, खुजली, गठिया, हाथ-पैरों में झनझनाहट व शूल में लाभदायक होता है।
  • सनाय को शहद के साथ लेने से शरीर की शक्ति बढती है।
  • सनाय चूर्ण को लौंग चूर्ण के साथ लेने से दमा में लाभ मिलता है।
  • सनाय के सेवन से अग्निमांद्यता (अपच) में फायदा होता है।
  • सनाय का काढ़ा बनाकर पीने से दस्तावर में लाभ मिलता है।
  • पेट के कीड़े दूर करने में सनाय बहुत ही कारगर ओषधि होती है।
  • यह अग्नि को प्रदीप्त करती है।
  • यह चरम रोग नाशक होती है।
  • अनार के रस के साथ सनाय चूर्ण के सेवन से कफ्फ दूर होता है।
  • सौंठ (Ginger - Zingiber officinale) परिचय और फायदे

सोंठ (Zingiber officinale Roscoe, Zingiberacae)

अदरक ( जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale ) को पूर्णतया पकने के बाद इसे सुखाकर सोंठ बनायी जाती है। ताजा अदरक को सुखाकर सौंठ बनायी जाती है जिसका पाउडर करके उपयोग में लिया जाता है। अदरक मूल रूप से इलायची और हल्दी के परिवार का ही सदस्य है। अदरक संस्कृत के एक शब्द " सृन्ग्वेरम" से आया है जिसका शाब्दिक अर्थ सींगों वाली जड़ है (Sanskrit word srngaveram, meaning “horn root,”) ऐसा माना जाता रहा है की अदरक का उपयोग आयुर्वेद और चीनी चिकित्सा पद्धति में 5000 साल से अधिक समय तक एक टॉनिक रूट के रूप में किया जाता रहा है। सौंठ का स्वाद तीखा होता है और यह महकदार होती है। अदरक गुण सौंठ के रूप में अधिक बढ़ जाते हैं। 
 
अदरक जिंजीबरेसी कुल का पौधा है। अदरक का उपयोग सामान्य रूप से हमारे रसोई में मसाले के रूप में किया जाता है। चाय और सब्जी में इसका उपयोग सर्दियों ज्यादा किया जाता है। अदरक के यदि औषधीय गुणों की बात की जाय तो यह शरीर से गैस को कम करने में सहायता करता है, इसीलिए सौंठ का पानी पिने से गठिया आदि रोगों में लाभ मिलता है। सामान्य रूप से सौंठ का उपयोग करने से सर्दी खांसी में आराम मिलता है। अन्य ओषधियों के साथ इसका उपयोग करने से कई अन्य बिमारियों में भी लाभ मिलता है। नवीनतम शोध के अनुसार अदरक में एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं जो शरीर से विषाक्त प्रदार्थ को बाहर निकालने में हमारी मदद करते हैं और कुछ विशेष परिस्थितियों में कैंसर जैसे रोग से भी लड़ने में सहयोगी हो सकते हैं। 
 
पाचन तंत्र के विकार, जोड़ों के दर्द, पसलियों के दर्द, मांपेशियों में दर्द, सर्दी झुकाम आदि में सौंठ का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। सौंठ के पानी के सेवन से वजन नियंत्रण होता है और साथ ही यूरिन इन्फेक्शन में भी राहत मिलती है। सौंठ से हाइपरटेंशन दूर होती है और हृदय सबंधी विकारों में भी लाभदायी होती है। करक्यूमिन और कैप्साइसिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट के कारन सौंठ अधिक उपयोगी होता है। सौंठ गुण धर्म में उष्णवीर्य, कटु, तीक्ष्ण, अग्निदीपक, रुचिवर्द्धक पाचक, कब्जनिवारक तथा हृदय के लिए हितकारी होती है। सौंठ वातविकार, उदरवात, संधिशूल (जोड़ों का दर्द), सूजन आदि आदि विकारों में हितकारी होती है। सौंठ की तासीर कुछ गर्म होती है इसलिए विशेष रूप से सर्दियों में इसका सेवन लाभकारी होता है

सौंठ के प्रमुख फायदे Benefits of Zingiber officinale Roscoe, Zingiberacae)

  • सर्दी जुकाम में सौंठ का उपयोग बहुत ही लाभकारी होता है। सर्दियों में अक्सर नाक बहना, छींके आना आदि विकारों में सौंठ का उपयोग करने से तुरंत लाभ मिलता है। शोध के अनुसार बुखार, मलेरिया के बुखार आदि में सौंठ चूर्ण का उपयोग लाभ देता है (1)
  • सौंठ / अदरक में लिपिड लेवल को कम करने की क्षमता पाई गई है जिससे यह वजन कम करने में भी सहयोगी होती है। एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी सौंठ को पाया गया है। अदरक में लसिका स्तर को रोकने के बिना या बिलीरुबिन सांद्रता को प्रभावित किए बिना शरीर के वजन को कम करने की एक शानदार क्षमता है, जिससे पेरोक्सिसोमल कटैलस लेवल और एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। (2)
  • सौंठ के सेवन से पेट में पैदा होने वाली जलन को भी दूर करने में मदद मिलती है। पेट में गैस का बनाना, अफारा, कब्ज, अजीर्ण, खट्टी डकारों जैसे विकारों को दूर करने में भी सौंठ बहुत ही लाभकारी होती है। (3) मतली और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों में भी अदरक का चूर्ण लाभ पहुचाता है।
  • कई शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है की अदरक में एंटी ट्यूमर के गुण होते हैं और साथ ही यह एक प्रबल एंटीओक्सिडेंट भी होता है।
  • Premenstrual syndrome (PMS) मतली आना और सर में दर्द रहने जैसे विकारों में भी सौंठ का उपयोग लाभ पंहुचाता है। माइग्रेन में भी सौंठ का उपयोग हितकर सिद्ध हुआ है (4)
  • सौंठ का उपयोग छाती के दर्द में भी हितकर होता है। सौंठ जैसे मसाले एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, और वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि वे ऊतक क्षति और रक्त शर्करा के उच्च स्तर और परिसंचारी लिपिड के कारण सूजन के प्रबल अवरोधक भी हैं। अदरक (Zingiber officinale Roscoe, Zingiberacae) एक औषधीय पौधा है जिसका व्यापक रूप से प्राचीन काल से ही चीनी, आयुर्वेदिक और तिब्बत-यूनानी हर्बल दवाओं में उपयोग किया जाता रहा है और यह गठिया, मोच शामिल हैं आदि विकारों में भी उपयोग में लिया जाता रहा है। अदरक में विभिन्न औषधीय गुण हैं। अदरक एक ऐसा यौगिक जो रक्त वाहिकाओं को आराम देन, रक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करने और शरीर दर्द से राहत देने के लिए उपयोगी है। (5)
  • सौंठ में एंटीइन्फ्लामेंटरीप्रॉपर्टीज होती हैं जो शरीर के विभिन्न भागों की सुजन को कम करती हैं और सुजन के कारण उत्पन्न दर्दों को दूर करती हैं। गठिया जैसे विकारों में भी सोंठ बहुत उपयोगी होती है। (6)
  • चयापचय संबंधी विकारों में भी अदरक बहुत ही उपयोगी होती है। (७)
  • क्रोनिक सरदर्द, माइग्रेन जैसे विकारों में भी सोंठ का उपयोग लाभकारी रहता है। शोध के अनुसार अदरक / सौंठ का सेवन करने से माइग्रेन जैसे विकारों में बहुत ही लाभ पंहुचता है। (८)
  • सौंठ में एंटी ओक्सिडेंट होते हैं जो शरीर से विषाक्त प्रदार्थों / मुक्त कणों को बाहर निकालने में मदद करता है। सौंठ के सेवन से फेफड़े, यकृत, स्तन, पेट, कोलोरेक्टम, गर्भाशय ग्रीवा और प्रोस्टेट कैंसर आदि विकारों की रोकथाम की जा सकती है। (9)
  • पाचन सबंधी विकारों को दूर करने के लिए भी सौंठ बहुत ही लाभकारी होती है। अजीर्ण, खट्टी डकारें, मतली आना आदि विकारों में भी सौंठ लाभकारी होती है। क्रोनिक कब्ज को दूर करने के लिए भी सौंठ का उपयोग हितकारी होता है। (10)
  • अदरक से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए भी यह बेहतर होती है।अदरक में प्रयाप्त एंटी ओक्सिदेंट्स, एंटी इन्फ्लामेंटरी प्रोपर्टीज होती हैं।
  • अदरक में अपक्षयी विकारों (गठिया ), पाचन स्वास्थ्य (अपच, कब्ज और अल्सर), हृदय संबंधी विकार (एथेरोस्क्लेरोसिस और उच्च रक्तचाप), उल्टी, मधुमेह मेलेटस और कैंसर सहित कई बीमारियों के इलाज की अद्भुद क्षमता है। (11)
  • अदरक में पाए जाने वाले एंटी इन्फ्लामेंटरी गुणों के कारण यह दांत दर्द में भी बहुत ही उपयोगी हो सकती है। (12)

हरड़ छोटी -हरीतकी (Terminalia chebula) परिचय और फायदे

त्रिफला के विषय में हम सब जानते हैं, त्रिफला चूर्ण का एक घटक हरड़ छोटी (Terminalia chebula) होती है। हरीतकी का उपयोग आयुर्वेद में इसकी जड़, फल, छाल आदि सभी का किया जाता है।

यस्य माता गृहे नास्ति, तस्य माता हरीतकी। 
कदाचिद् कुप्यते माता, नोदरस्था हरीतकी ॥ 
 
हरड को हरीतकी भी के नाम से भी जाना जाता है। हरीतिकी के पेड़ से प्राप्‍त सूखे फल है जिन्‍हें हरड़ कहा जाता है। हरीतकी (Haritaki) का वानस्पतिक या वैज्ञानिक नाम टर्मिनालिया केबुला (Terminalia chebula) है जो Combretaceae (कॉम्ब्रीटेसी) कुल से सबंध रखती है। हरड़ को अंग्रेज़ी में Chebulic myrobalan (चेबुलिक मॉयरोबालान) के नाम से पहचाना जाता है।

इसके अन्य नाम हैं हरड, कदुक्‍कई, कराकाकाया, कदुक्‍का पोडी, हर्रा और आयुर्वेद में इसे कायस्था, प्राणदा, अमृता, मेध्या, विजया आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है। पेट से सबंधित व्याधियों जैसे की अपच, पाचन शक्ति का दुर्बल होना, बवासीर होना दस्त आदि में इसका उपयोग असरदायक होता है। हरड विटामिन C का एक अच्छा स्रोत होता है। चरक सहिता में हरड के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है।

हरड़ के कच्चे फलों को तोड़कर सूखा लिया जाता है जिन्हे हरीतकी / हरड़ छोटी कहा जाता है। हरीतकी हरीतकी मधुर और कड़वा होता है। हरड़ रूखी, पाचक, शरीर को बल देने वाली और त्रिदोष नाशक होती है। हरड़ छोटी का मुख्य रूप से कब्ज को दूर करने, भूख को जाग्रत करने, वात पित्त और कफ को संतुलित करने, शरीर को पोषण देने, शरीर के कृमि रोग, मधुमेह बवासीर आदि के निदान के लिए किया जाता है। हरड़ के सेवन से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं।
  1. हरड़ त्रिदोष नाशक होती है।
  2. हरड़ रेचक और विरेचक होती है। यह आँतों की सफाई करने में लाभदाई होती है।
  3. हरड़ कब्ज दूर करती है और पाचन को सुधारती है। यह हाजमे को दुरुस्त कर आँतों की सफाई भी करती है। हरड़ बवासीर, सभी उदर रोगों, संग्रहणी आदि रोगों में हरड़ बहुत लाभकारी होती है।
  4. हरड़ आँखों की रौशनी के लिए बहुत ही कारगर होती है। आँखों में जलन होने पर हरड़ के चूर्ण को पानी में भिगो कर इससे आँखें धोने से लाभ मिलता है।
  5. हरड़ के चूर्ण के सेवन से कफ दूर होता है और खांसी में राहत मिलती है।
  6. पिप्पली चूर्ण के साथ हरड़ को लेने से अतिसार में राहत मिलती है।
  7. हरड़ चूर्ण को सनाय पत्ती के चूर्ण के साथ लेने से कब्ज में राहत मिलती है।
  8. हरीतकी के क्वाथ को ठंडा करके मस्सों को धोने से बवासीर में लाभ मिलता है।
  9. हरीतकी चूर्ण के सेवन से मधुमेह में लाभ मिलता है।
  10. हरड़ कृमि नाशक होती है।

सन्दर्भ :

7 टिप्पणियां

  1. Shaandaar jankari
  2. सेवन विधि
  3. सेवन विधि
  4. सेवन विधि कैसे करे
  5. सेवन कैसे करे
  6. सेवन विधि तो बताइए ।आयुर्वेद आचार्य महाराज
  7. sevan vidhi bataiye