माँ पूरियां मुरादां करदे माता रानी भजन

माँ पूरियां मुरादां करदे माता रानी भजन

अक थक के द्वारे गया आ,
माँ पूरियां मुरादां करदे,
बैठे झोलिया माँ दर ते फैलाह,
माँ पूरियां मुरादां करदे,
अक थक के द्वारे गया आ।

मल के द्वारा बह गए,
दर ज्योता वालिये,
तेरे बिना दिल दिया,
किस नू सुनाईये,
बह के दिल वाले दुख माँ सुना,
पूरियां मुरादां करदे,
अक थक के द्वारे गया आ।

दुनिया नू छड्ड तेरा,
तकया सहारा ए,
साहा तो माँ वध तेरा,
नाम ही प्यारा ए,
वे तू अपनेया चरणा नाल ला,
पूरियां मुरादां करदे,
अक थक के द्वारे गया आ।

भगता दे माफ़ कर देई,
तू कसूर माँ,
अर्ज़ा करे माँ दर,
तेरे काका नूर माँ,
आके काका नूर,
कहंदा मर जा,
पूरियां मुरादां करदे,
अक थक के द्वारे गया आ।


MAA POORIYA MURADAN KARDE

नवरात्र का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हर साल चैत्र और आश्विन के महीने में मनाया जाता है। नवरात्र का अर्थ है "नौ रातें"। इन नौ रातों में, भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं।

पवित्रता और मोक्ष: नवरात्र को पवित्रता और मोक्ष प्राप्ति का एक अवसर माना जाता है। इन नौ रातों में, भक्त देवी दुर्गा की आराधना करते हैं, जो शक्ति और ज्ञान की देवी हैं। देवी दुर्गा की कृपा से, भक्त अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
भक्ति और समर्पण: नवरात्र भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इन नौ रातों में, भक्त देवी दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण व्यक्त करते हैं। वे देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करते हैं, भजन गाते हैं और कथाएँ सुनते हैं।
सामाजिक सद्भाव: नवरात्र सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इन नौ रातों में, विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग एक साथ मिलकर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। यह त्योहार लोगों को एकजुट करने में मदद करता है।

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नवरात्र के दौरान, भक्त कई नियमों का पालन करते हैं। वे सात्विक भोजन करते हैं, मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहते हैं। वे देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करते हैं और भजन गाते हैं। नवरात्र के अंत में, भक्त देवी दुर्गा की आरती करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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