कबीर गर्ब न कीजिये इस जीवन कि आस मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning

कबीर गर्ब न कीजिये इस जीवन कि आस मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit/Hindi Bhavarth

कबीर गर्ब न कीजिये, इस जीवन कि आस |
इस दिन तेरा छत्र सिर, देगा काल उखाड़ ||

Kabir Garv Na Kijiye, Is Jivan Ki Aas,
Is Din Tera Chhatra Sir, Dega Kal Ukhad.
 
कबीर गर्ब न कीजिये इस जीवन कि आस मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब का सन्देश है की इस जीवन की आशा में जीवात्मा को गर्व नहीं करना चाहिए। तेरे छत्र (मुकुट) रूपी सर को काल एक ही झटके में उखाड़ फेंकेगा। आशय है की काल एक रोज सभी को अपना ग्रास बना लेगा। काल के प्रभाव से कोई नहीं बच पाया है। अतः साहेब कहते हैं की इस जीवन पर गर्व नहीं करना चाहिए यह क्षणिक है और एक रोज समाप्त हो ही जाना है। कबीरदास जी के इस दोहे का अर्थ है कि इस जीवन के अस्थायी होने का घमंड नहीं करना चाहिए। इस जीवन का अंत काल ही कर देगा। कबीरदास जी कहते हैं कि यह शरीर चर्म और हड्डी से बना है। यह अस्थायी है और एक दिन नष्ट हो जाएगा। इसलिए, इस शरीर का घमंड नहीं करना चाहिए। इस दोहे का संदेश यह है कि हमें इस जीवन को सार्थक बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए। हमें इस जीवन के अस्थायी होने को याद रखना चाहिए और इस जीवन में कुछ अच्छा करने का प्रयास करना चाहिए।
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